advertisement
एडिटर: विवेक गुप्ता
कोरोना वायरस के चलते पीएम मोदी के 24 मार्च को देशभर में लॉकडाउन की घोषणा करने के कुछ ही घंटों के भीतर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई ट्वीट किए. ट्वीट में लोगों से दूध, खाना या दवाओं जैसी आवश्यक आपूर्ति के लिए भी घर से बाहर निकलने से मना किया गया. उन्होंने दावा किया कि 10,000 वाहन जरूरी सामानों को यूपी के लोगों तक पहुंचाएंगे.बता दें, यूपी की आबादी करीब 20 करोड़ है.
क्विंट आपके लिए अयोध्या, मुजफ्फरनगर और उन्नाव की जमीनी हकीकत ग्राउंड रिपोर्ट के जरिये लाया है. हमने पड़ताल की कि क्या सरकार अपने वादों को निभा रही है? लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्ग, दिहाड़ी मजदूरों और गरीबों तक कैसे मदद पहुंचाई जा रही है?
बुजुर्ग, जिनमें से कई बीमार हैं और अब काम नहीं कर सकते वो अपने जीवनयापन के लिए अपने बच्चों पर निर्भर हैं. इनमें मुजफ्फरनगर के सुधा और शगुनचंद शामिल हैं, जो करीब 60-70 साल के हैं. साथ ही लक्ष्मी जो अपने पति के साथ रहती हैं, जो कुछ भी कर पाने में असमर्थ हैं. उन्नाव की एक 65 वर्षीय महिला नन्ही ने हमें बताया कि क्योंकि अब कोई दिहाड़ी मजदूरी का काम नहीं है, वो नहीं जानतीं कि उन्हें अपने खाना और राशन का इंतजाम कहां से करना है.
इसी तरह, कई दिहाड़ी मजदूर पेट पालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. लॉकडाउन की घोषणा के बाद भी दिनेश अयोध्या में काम करने के लिए घूमे, लेकिन कुछ नहीं मिला. अयोध्या के मुकेश अपने बच्चों को खाना खिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
यूपी प्रशासन ने अलग-अलग जिलों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी की है, इसलिए हमने इन लोगों से पूछा कि क्या वे इसके बारे में जानते हैं. इनमें से किसी को भी जानकारी नहीं थी. जिस व्यक्ति को नंबर के बारे में पता था, उसने कहा कि नंबर डायल करने पर इनवैलिड बता रहा है. इन हेल्पलाइन नंबरों पर द क्विंट ने कॉल किया तो नंबर या तो बिजी थे या स्विच ऑफ थे.
अब जबकि सरकार सबसे कमजोर लोगों तक पहुंचने की कोशिशें कर रही है, उन्हें गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों तक पहुंचने के लिए बहुत कुछ करना होगा. इन मजदूरों के पास पैसे नहीं हैं और न ही वो लॉकडाउन की वजह से पैसे कमा सकते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)