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भारत समेत पूरी दुनिया इस समय कोरोना (Covid-19) की तीसरी लहर का सामना कर रही है. कोरोना के केस हर रोज बढ़ते जा रहे हैं. इसी के साथ लोगों के कुछ सवाल भी बढ़ रहे हैं. क्या हम कोरोना के थर्ड वेव के बीच में हैं? ओमिक्रॉन संक्रमण पर दवा कब ली जाए? क्या वैक्सीन फेल हो गया? ऐसे ही सवालों के जवाब के लिए क्विंट हिंदी ने पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर मैथ्यू वर्गीज से बातचीत की है.
क्या इस वक्त हम कोरोना की तीसरी लहर के बीच है?
क्विंट ने डॉक्टर मेथ्यू वर्गीज से सवाल किया कि क्या इस वक्त हम कोरोना की तीसरी लहर के बीच हैं? इस पर डॉ. वर्गीज ने कहा कि
ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामलों में कोरोना बहुत माइल्ड बताया जा रहा है?
हमनें डॉ वर्गीज से अगला सवाल किया कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामलों में कोरोना बहुत माइल्ड बताया जा रहा है? इस पर उन्होंने कहा कि
डॉ वर्गीज ने आगे बताया कि "केवल 0.5 प्रतिशत मामलों की ही जिनोम सीक्वेंसिंग हो रही है और जो अभी माइल्ड कैस हैं वह जरूरी नहीं है कि ऑमिक्रॉन का ही हो, सकता है कुछ डेल्टा के भी हों. आप यह मान कर चलिए कि हमें कोरोना के सभी वेरिएंट से अपना बचाव करना है."
टेस्ट कब कराएं?
डॉ वर्गीज ने आगे बताया कि कोई आम आदमी जाकर बेवजह टेस्ट ना कराए. जब आपमें कोई लक्षण हो जैसे सर्दी, खांसी, जुकाम, सांस लेने में कठिनाई हो तभी आप को हेल्थ एक्सपर्ट से बात करके टेस्टिंग करानी चाहिए.
कोरोना की दूसरी लहर में जरूरी दवाओं की जमकर कालाबाजारी हुई ऐसे में दवाई का क्या रोल है और यह कब लिया जाए?
इस पर डॉ. वर्गीज ने कहा की यह एक वायरल है और किसी भी वायरल का कोई ठोस इलाज नहीं है. वायरस के प्रसार की संख्या घटाने के लिए कुछ दवाइयां हैं जिनकी सलाह दी जाती है लेकिन वायरस के 99% मामलों में दवाई नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि "ऑमिक्रॉन में अभी कोई दवाई देने की जरूरत नहीं है. यदि आप का बुखार ज्यादा है तो आप पेरासिटामोल ले सकते हैं और यदि नाक बंद हो रहा है तो एंटी एलर्जी लीजिए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि संक्रमित मरीजों को दूसरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए."
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का ऑमिक्रॉन में क्या रोल है?
इस पर डॉ मैथ्यू वर्गीज ने कहा कि अभी तक के रिसर्च में यह सामने आया है कि ऑमिक्रॉन हमारे फेफड़ों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाता. दक्षिण अफ्रीका में ऐसा देखा गया है कि 99% मामलों में लोग आईसीयू में गए ही नहीं. कुछ लोग अस्पताल में भर्ती हुए लेकिन आईसीयू में नहीं पहुंचे और ज्यादातर मामलों में लोग घर पर ही ठीक हो गए.
उन्होंने आगे कहा कि इस वायरस से सबसे ज्यादा दिक्कत गले में हो रही है और यह आपके ऊपरी श्वसन तंत्र पर हमला करता है. उन्होंने कहा कि Molnupiravir के साइडइफेक्ट्स हैं, ये दवाई इन्फ्लूएंजा के लिए बनी थी और इसके साइड इफेक्ट बहुत ज्यादा है, हालांकि यह दवाई इन्फ्लूएंजा में ज्यादा काम नहीं आई तो इसका इस्तेमाल कम हुआ.
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