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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दू प्रीतम
कैमरापर्सन: मुकुल भंडारी
2 फरवरी, 2020 को दिल्ली की बदरपुर विधानसभा में बीजेपी उम्मीदवार रामबीर सिंह बिधूड़ी की प्रचार रैली के दौरान उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के भाषण के कुछ अंश देखिए-
शाहीन बाग.. बिरयानी.. कश्मीर .. 370.. ‘बोली नहीं गोली’.. राम मंदिर.. राष्ट्रभक्ति, आतंकवाद.. मजहब.. तीन तलाक.. पाकिस्तान वगैरह वगैरह.. साहब.. ये चुनावी रैली है या किसी एक समुदाय के खिलाफ किसी दूसरे समुदाय को युद्ध के लिए प्रेरित करने का कोई भाषण? ताज्जुब है कि गेरुआ वस्त्र वाला एक योगी चुनाव प्रचार के अपने ओजस्वी भाषणों में इस तरह की वाणी का इस्तेमाल करता है.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इन दिनों दिल्ली में धुआंधार प्रचार रैलियां कर रहे हैं. हो भी क्यों ना? आखिरकार बीजेपी के स्टार प्रचारक हैं. लेकिन खास बात ये है कि उनके भाषणों का प्रिय विषय है- शाहीन बाग
शब्दों पर ध्यान दीजिए. योगी आदित्यनाथ के मुताबिक केजरीवाल और उनकी मंडली ने ही शाहीन बाग की घटना को अंजाम दिया है. शाहीन बाग से होते हुए योगी जी कश्मीर में प्रवेश करते हैं.
इसे कहते हैं गागर में सागर भरना. महज 25 सेकेंड के बयान में कश्मीर और 370 जैसे एक्शन का जिक्र, पाकिस्तान जैसे दुश्मन की नापाक मंशा और केजरीवाल और राहुल गांधी जैसे सियासी दुश्मनों को पाकिस्तान के पाले मे खड़ा कर देना. सिर्फ 25 सेकेंड में. दुश्मन को जुबानी हमलों से धाराशायी करने के बाद योगी जी आते हैं इच्छाशक्ति और राष्ट्रभक्ति जैसे इमोशनल मुद्दों पर.
भाषण के ग्राफ में बड़ी साफगोई है. साफगोई ये कि मंदी की बात हो ना हो लेकिन मंदिर की बात जरूर होनी है.
अब केजरीवाल भले ही स्कूली शिक्षा को अपनी पांच साल की सबसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हों लेकिन योगी आदित्यनाथ की बात सुनकर तो आप चकरा ही जाएंगे.
पाठशाला बनाम मधुशाला के बाद योगी प्रदूषित यमुना की बात करते हैं तो लगता है यहां योगी जी दिल्ली चुनाव के बुनियादी पर आएंगे. जी नहीं,वो इन्हें छूते हुए वापस अपने पसंदीदा मुद्दों पर लौटते हैं. चेतावनी के साथ.
योगी जी अपने अंदाज में आए तो लोग भी उत्साह में नारेबाजी करने लगे. और, नारे तो मंच के वक्ता के लिए जोश की मुगली घुट्टी का काम करते हैं. बात ही बात में योगी जी ने कांवड़ियों के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चला दी.
अब कोई समझता रहे कि दिल्ली चुनाव में बिजली, पानी, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, अनाधिकृत कॉलोनियों जैसे मुद्दों की बात होगी.
हां, योगी आदित्यनाथ विकास और सुशासन की बात करते हैं लेकिन सिर्फ सीढ़ी के तौर पर. वो सीढ़ी, जिसपर चढ़कर जाना तो फिर शाहीन बाग पर ही है.
अब वाकई दिल्ली की जनता को तय करना है कि वो सुशासन और विकास के मुद्दों की राजनीति को चुनेगी या फिर समाज को बांटने वाली सियासत को. योगी के ओजस्वी भाषण सुनने के बाद झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हम जनता का फैसला हम देख चुके हैं, दिल्ली क्या तय करती है, 11 फरवरी को देखेंगे.
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