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सड़क पर उतरे चौकीदार,‘देश के चौकीदार’ से बेहतर वेतन की मांग 

गुजरात: अलग-अलग सरकारी दफ्तरों में तैनात सिक्योरिटी गार्ड्स, कम वेतन और कॅान्ट्रैक्ट नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं. 

राहुल नायर
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अहमदाबाद: सड़कों पर गुजरात इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स GISF के गार्ड्स
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अहमदाबाद: सड़कों पर गुजरात इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स GISF के गार्ड्स
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: मो इरशाद

अहमदाबाद में गुजरात इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (GISF) के लिए काम करने वाले सिक्योरिटी गार्ड जो राज्य के अलग-अलग सरकारी दफ्तरों में तैनात हैं, कम वेतन और कॅान्ट्रैक्ट नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं. इन सिक्योरिटी गार्ड के पास सिर्फ एक सवाल है कि जब देश के पीएम खुद को गर्व से चौकीदार बताते हैं तो सरकार असली चौकीदारों तक क्यों नहीं पहुंचती? उनकी वित्तीय मदद क्यों नहीं करती?

GISF के तहत काम करने वाले सैकड़ों सुरक्षा गार्ड्स ने इन्हीं मांगों को लेकर 28 मार्च को रैली निकाली.

GISF का गठन 1997 में हुआ था और ये गुजरात के अलग-अलग सरकारी कार्यालयों को सुरक्षा मुहैया कराता है.

गठन के बाद से, GISF के तहत काम करने वाले गार्ड्स को सिर्फ न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जा रहा है. इसके अलावा उन्हें और कोई भी सुविधा मुहैया नहीं कराई जाती. कुछ गार्ड्स के मुताबिक, उन्हें बिना किसी लाभ या पेंशन के 10,000 रुपये वेतन के रूप में मिलते हैं. इतनी कम रकम से घर चलाने में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

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लेबर कोर्ट में GISF के प्रतिनिधि एडवोकेट अमरीश पटेल ने सिक्योरिटी गार्ड्स की मांगों को लेकर इस रैली का आयोजन किया था.
“मैं GISF के 5 हजार गार्ड की बात कर रहा हूं, जो आज भी 22 सालों से न्यूनतम वेतन पर काम कर रहे हैं. यहां BJP शासन में है. आप (BJP) जब आए तो ये कह रहे थे कि 15 हजार रुपये कम से कम वेतन होना चाहिए. आज हम कह रहे हैं कि जो न्यूनतम वेतन का कानून है उसके मुताबिक कम से कम 25 हजार रुपये वेतन होना चाहिए. आज गुजरात में 300 रुपये न्यूनतम वेतन है, तो आप कौन से विकास की बात कर रहे हैं?” 
<b>अमरीश पटेल, </b><b>एडवोकेट</b>

रैली में शामिल गार्ड्स ने मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोला. उन्होंने आरोप लगाए कि सरकार मजदूरों, छोटे कामगारों के साथ न्याय नहीं कर रही है.

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