advertisement
कैमरापर्सन: अभिषेक रंजन
वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता
अगर आपके WhatsApp पर कोई कॉल आए और रिसीव करने से पहले ही कट जाए तो सावधान हो जाइएगा. वो स्पाईवेयर(Spyware) हो सकता है. स्पाईवेयर यानी वो जासूस वायरस जो आपके फोन से सारा डेटा चोरी कर सकता है. आप किस से बात कर रहे हैं, किसे क्या मैसेज कर रहे हैं, क्या चैटिंग कर रहे हैं, आपके फोन की कॉन्टैक्ट लिस्ट, नोट्स, फोटोग्राफ्स, लोकेशन यानी सब कुछ दूर बैठा कोई शख्स ट्रैक कर सकता है और खुद आपको इसकी कानोकान खबर तक नहीं होगी.
आपका WhatsApp वो खुली खिड़की है जिसके रास्ते कोई स्पाईवेयर आपके फोन में घुसकर आपसे जुड़ी तमाम जानकारी को बेपर्दा कर सकता है. 18 जुलाई को एक भारतीय ऑनलाइन न्यूज पोर्टल ने अपने रिपोर्ट में दावा किया कि कम से कम 40 भारतीय पत्रकारों की जासूसी के लिए इजरायली स्पाइवेयर ,पेगासस का इस्तेमाल किया गया है. 2019 में भी दुनिया की सबसे पसंदीदा मैसेजिंग ऐप WhatsApp ने भारत के करीब दो दर्जन पत्रकारों, दलित एक्टिविस्ट, वकील और बुद्धिजीवियों से संपर्क कर उन्हें सावधान किया था कि दुनिया की बेहतरीन सर्विलांस टेक्नोलॉजी के तहत करीब दो हफ्ते तक उनकी जासूसी की गई.
ये जासूसी मई, 2019 तक हुई. गौर कीजिएगा, ये वही वक्त है जब देश में लोकसभा चुनाव चल रहे थे.
सनससीखेज तरीके से की गई ये जासूसी हुई थी स्पाईवेयर ‘पैगेसस’ के जरिये जिसे इजरायल की टेक्नोलॉजी कंपनी एनएसओ ग्रुप ने बनाया है. हैरान कर देने वाले इस मामले में WhatsApp ने सेन फ्रांसिस्को की एक फेडरल कोर्ट में बाकायदा मुकदमा दर्ज करवाया था.
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है. लेकिन जनाब... टेक्नोलॉजी है तो सब मुमकिन है.
साल 2012 के बाद से एनएसओ ग्रुप ने ‘पैगेसस’ को किसी फोन में इंस्टॉल करने के कई तरीके इजाद किए. पहले एक टेक्स्ट मैसेज के जरिए ललचाता हुआ सा एक लिंक आपके पास पहुंचता था. अगर आपने क्लिक कर दिया तो समझिए कि वायरस फोन में इंस्टॉल हो गया. लेकिन फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मई, 2019 तक पहुंचते-पहुंचते एनएसओ ने एक बेहद खतरनाक तरीका इजाद कर लिया. वो तरीका था मिस्ड कॉल.
इंस्टॉल होने के बाद ये वायरस कमांड और कंट्रोल सर्वर के जरिये आपके प्राइवेट डेटा तक पहुंचता है. यानी जासूस ‘पैगेसस’ आपके:
WhatsApp, आई-मैसेज, स्काइप या टेलीग्राम के जरिये किए जाने वाले किसी भी कम्यूनिकेशन को इंटरसेप्ट कर सकता है.
पासवर्ड्स, कॉन्टैक्ट लिस्ट, कैलेंडर इवेंट्स, टेक्स्ट मैसेजेस में सेंध लगा सकता है.
आपके मोबाइल कैमरा और माइक्रोफोन तक को कंट्रोल कर सकता है.
जीपीएस फंक्शन के जरिये आपकी लोकेशन ट्रैक कर सकता है.
अंदाजा लगाइए कि ये कितना खतरनाक है. असल में ये स्थिति तो उससे भी डरावनी है कि कोई आपके बेडरूम में स्पाई कैमरा लगा दे.
जमाल खशोगी याद हैं आपको?
सऊदी अरब के पत्रकार जिनकी गुमशुदगी ने अमेरिका समेत पूरी दुनिया में हंगामा मचा दिया था. 2 अक्टूबर 2018 को इस्तांबुल के सऊदी कांसुलेट में उनकी हत्या कर दी गई थी.
तब एनएसओ ग्रुप ने WhatsApp के तमाम आरोपों का खंडन किया था. एनएसओ के मुताबिक
एनएसओ का साफ दावा था कि ‘पैगेसस’ को सिर्फ सरकारी एजेंसियों को ही बेचा जाता है.
सवाल ये है कि इस तरह के लोगों की जासूसी कौन करना चाहेगा?
आखिरी बात..
2019 सितंबर में लॉन्च हुए एपल के ऑपरेटिंग सिस्टम 13 के बारे में कहा गया था कि कोई बग उसका सुरक्षा घेरा नहीं तोड़ सकता. लेकिन एनएसओ का दावा था कि वो एपल का सुरक्षा घेरा भी तोड़ चुका है.
तो रहिए सावधान.. आपका फोन भी किसी स्पाईवेयर के जरिये कहीं आपकी चुगलखोरी ना कर रहा हो.
(ये खबर पहली बार 31 अक्टूबर 2019 को प्रकाशित की गई थी. स्टोरी में कुछ अपडेट के साथ इसे रिपब्लिश किया जा रहा है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)