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भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को एक बार फिर बातचीत से सुलझाने की कोशिश चल रही है. इसके लिए मिलिट्री स्तर पर बैठकों का दौर भी जारी है. हमेशा से यही कहा जाता है कि चीन सीमा विवाद का मुद्दा हर बार की तरह बातचीत से सुलझ जाएगा, लेकिन इस बार कुछ अलग भी हुआ है. जिस पर खूब चर्चा है. इस पूरे विषय पर क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने भारत सरकार के पूर्व इंटेलिजेंस ऑफिसर और सेंटर फॉर चाइना स्ट्रैटेजी एंड एनालिसिस के मौजूदा प्रेसिडेंट जयदेव रानाडे से बात की.
चीन के साथ मिलिट्री लेवल पर जो बातचीत शुरू हुई है, उस बातचीत के अब कई दौर चलने वाले हैं. विवाद को लेकर वहां पर जो भी बातचीत होगी उससे हम क्या उम्मीद कर सकते हैं?
बातचीत होनी अच्छी बात है. दोनों तरफ से हम यही चाहते हैं कि इसका शांतिपूर्वक समाधान निकले. आर्मी लेवल पर जो बातचीत शुरू हुई है वो काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि टेक्टिकल सिचुएशन आर्मी ही देखती है. लेकिन जो घुसपैठ की बात है उसके लिए पहले ये तय करना होता है कि कहां-कहां से हो सकती है. उनकी सेना को पीछे हटने को कहा गया है. कई मुद्दों पर समझौता भी हुआ है. लेकिन अब देखना है कि वो पीछे हट रहे हैं या नहीं. इसका बाद अगला कदम शुरू होगा.
अभी फिलहाल चीनी सेना पीछे नहीं हटी है. लेकिन इस बार की घटना ऐसी नहीं है कि अचानक से कोई तकरार हुई जिस पर बातचीत हो गई है और वो पीछे हट जाएंगे, वो लोग कुछ सोच समझकर या प्लान करके आए होंगे. ये बिना सोचा समझा प्लान लगता नहीं है.
बिल्कुल ये बिना सोच समझकर लिया गया फैसला नहीं है. ये पहले जैसी झड़प भी नहीं है. इस बार वो लोग जिन प्वाइंट्स पर आए हैं, वहां या तो कभी नहीं आए या फिर 15-20 साल पहले आए थे. दूसरी बात ये है कि इस बार वो लोग एक साथ इतनी जगहों पर पहुंच गए, जिसका मतलब सोच समझकर और प्लान करके आए हैं. इसमें तीन मिलिट्री सब डिस्ट्रिक्ट शामिल हैं. वहीं जो लड़ाकू जहाज और हथियार रखे थे उसके लिए भी हायर अथॉरिटीज के पास जाना पड़ता है. शी जिनपिंग की तरफ से ही अप्रूवल के बाद ये लोग आगे बढ़े हैं.
इंडिया का रेस्पॉन्स इस सिचुएशन में कैसा है? उनकी तरफ से ये टेस्ट किया गया होगा कि इनकी तैयारी और उसका जवाब कैसा आने वाला है. क्योंकि हम सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार कर रहे हैं. क्या वो ये कह रहे हैं कि इसे रोक दीजिए तो हम इस मामले को यहां खत्म कर देते हैं. या वो कुछ और टेस्ट कर रहे हैं.
ये सही है कि वो रेस्पॉन्स टेस्ट करने के लिए आए थे. लेकिन सिर्फ मिलिट्री का नहीं बल्कि पॉलिटिक विल को भी टेस्ट कर रहे हैं, कि आप उनका सामना करने के लिए कितना तैयार हैं. पॉलिटिकल लेवल पर आप मुकाबला करेंगे या पीछे हटेंगे, इन सब मुद्दों को वो देखेंगे. इंफ्रास्ट्रक्चर भी एक मुद्दा है, वहीं दूसरी तरफ वो ये सोच रहे हैं कि इंडिया और पाकिस्तान के बीच खराब रिश्तों की वजह से उन्हें कोई नुकसान न हो. ये मामला अभी खत्म नहीं हुआ है, चाहे बातचीत से सुलझ भी जाए लेकिन ये चैप्टर खुला ही रहेगा.
चीन मामलों के जानकार से पूरी बातचीत सुनने के लिए देखिए ये पूरा इंटरव्यू.
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