वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा
भारत-चीन सीमा पर तनाव जारी है. 6 जून को दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की मीटिंग के बाद, विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश सीमा पर द्विपक्षीय समझौतों के जरिए शांतिपूर्ण ढंग से विवाद का हल निकालने को तैयार हैं. लेकिन क्या चीन इतनी आसानी से पीछे हटने को तैयार है? हालातों को देखते हुए दोनों देशों के सामने कौन से विकल्प हैं? इस पूरे विषय पर क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के विशिष्ट फेलो मनोज जोशी से बातचीत की.
मनोज जोशी ने कहा कि इससे पहले भी कन्फ्रंटेशन होता रहा है, लेकिन इस बार हालात अलग हैं. उन्होंने कहा, “पहले भी कंफ्रंटेशन होता रहा है. सीमा पर 10-15 जगह ऐसी हैं, जहां दोनों के बीच बॉर्डर को लेकर फर्क है. लेकिन इस बार की घटना में 2-3 नए इलाके थे. जिस तरह से PLA सामने आया, उससे लगता है कि चीन ने ये कदम बहुत सोच-समझकर उठाया है. और अगर ऐसा है तो इसका मतलब है कि वो इतनी आसानी से नहीं हटेंगे.”
भारत में जहां विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल बॉर्डर पॉलिसी के लिए जिम्मेदार हैं, वहीं चीन में PLA (पीपल्स लिब्रेशन आर्मी) खुद काफी पावरफुल है. वो मुद्दों को लेकर विदेश मंत्रालय को सलाह और जानकारी दे भी सकता है और नहीं भी.
जोशी ने कहा कि चीन भी सीमा पर तनाव नहीं चाहेगा, क्योंकि अगर कुछ इलाकों में वो मजबूत है, तो भारत भी काफी मजबूत है. LAC में भारत ने चीन से ज्यादा सैनिक तैनात किए हैं.
चीन का लक्ष्य समझना मुश्किल
जोशी ने कहा कि अभी चीन का लक्ष्य समझना मुश्किल है, लेकिन चीन देख रहा है कि भारत, अमेरिका के नजदीक बढ़ रहा है. अगर चीन का ये लक्ष्य है तो इससे समस्या खड़ी हो सकती है.
“अगर चीन समझता है कि भारत, अमेरिका के साथ उसे घेरने में लगा हुआ है, तो कन्फ्रंटेशन वाली बात हो जाएगी और एलएसी के अलावा भी कई इलाकों में हमें चीन को झेलना पड़ेगा.”मनोज जोशी, विशिष्ट फेलो, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन
‘कूटनीति से सुलझे विवाद’
मनोज जोशी का मानना है कि ये डिप्लोमेसी का मौका है और इस पूरे मामले को कूटनीतिक तरीके से सुलझाया जा सकता है. जोशी ने कहा भारत अभी कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह जूझ रहा है. वहीं, चीन इससे आगे बढ़ गया है और वहां इकनॉमी भी चालू हो गई है. इसलिए भारत को टकराव से बचना चाहिए.
“हमारे यहां संकट है. ये मौका नहीं है कि भारत किसी विदेशी ताकत से टकराव ले सकता है.”मनोज जोशी, विशिष्ट फेलो, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन
मोदी-जिनपिंग करें बात
जोशी ने कहा कि अगर ये बातचीत कूटनीतिक लेवल पर नहीं सुलझती है, तो उसे आगे ऊंचे स्तर पर ले जाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मंत्री आपस में बात करें और अगर तब भी हालात नहीं सुधरते हैं, तो इसे समिट लेवल पर ले जाया जाए और पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बात करें.
“मेरे मुताबिक, इसे पॉलिटिक्ल तरीके से ही सुलझाया जाना चाहिए क्योंकि इस समय हमारी अंदरूनी समस्या इतनी गंभीर है कि हम बाहरी समस्या को नहीं झेल सकते.”मनोज जोशी, विशिष्ट फेलो, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन
मनोज जोशी ने कहा कि ये मामला इसी लेवल पर निपट सकता है क्योंकि जो हादसे हुए हैं वो एक तरीके से बिलकुल मामूली है. पैंगोंग त्सो में टकराव ज्यादा बड़ा नहीं था और ग्लावान को लेकर सरकार कहती है कि वो हमारे इलाके में नहीं घुस पाए हैं.
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