Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मुसलमानों को 'शैतान' बनाने से कश्मीरी पंडितों का भला नहीं होगा

मुसलमानों को 'शैतान' बनाने से कश्मीरी पंडितों का भला नहीं होगा

कश्मीरी पंडितों पर जो जुल्म हुआ, क्या उसका जवाब जुल्म ही हो सकता है? क्या हिंसा और 'सजा' का ये चक्र चलता ही रहेगा ?

रोहित खन्ना
वीडियो
Updated:
<div class="paragraphs"><p>ये जो इंडिया है ना</p></div>
i

ये जो इंडिया है ना

क्विंट हिंदी

advertisement

अंग्रेजी में "एलिफैंट इन द रूम" कहने का मतलब होता है एक हाथी के साइज का बड़ा सा मसला, जो हमारे सामने है जिसने हमारी सोच के कमरे को भर रखा है... और फिर भी उसके बारे में हम कुछ नहीं करते. ये जो इंडिया है ना, यहां भी कई बड़े मसलों से हम मुंह चुरा लेते हैं, उन पर बात नहीं करते, कुछ नहीं करते.

ऐसा ही मसला है कश्मीर (Kashmir). हाल ही में हमने देखा कि कश्मीरी पंडितों को बडगाम में सड़कों पर पीटा गया. मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए. देखिए नौकरी के ऑफर को लेकर कश्मीर लौटने वाले कश्मीरी पंडित क्या कह रहे हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ये मोदी सरकार से खफा हैं क्योंकि ये घाटी में अब भी असुरक्षित हैं. जाहिर है आतंकवाद की समस्या कम होने के दावे सच नहीं हैं. ना ही अमन कायम करने के दावे. तो क्या है,एलिफैंट इन द रूम ? असल मसला क्या है. मसला ये है कि जब तक कश्मीरी मुसलमानों को साथ नहीं लिया जाएगा, उन्हें दुश्मन और आतंकी ही माना जाएगा तब तक घाटी में अमन नहीं लौटेगा.

'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्म से हर कश्मीरी मुस्लिम को विलेन दिखाने से कुछ सिनेमाघरों में वाहवाही मिल सकती है, फिल्म देखने की अपील करने वाले मंत्रियों का भला हो सकता है, कट्टरपंथियों को और नफरत फैलाने में मदद मिल सकती है, लेकिन ये हमें जम्मू-कश्मीर में अमन से और दूर भी ले जाती है.

कश्मीर की सियासी पार्टियां, और उनके कार्यकर्ताओं ने दशकों से इलेक्शन में हिस्सा लिया, आतंकियों की धमकियों के बावजूद फिर भी हम उन्हें गाली देते हैं. कश्मीर के हजारों सरकारी कर्मचारी, पुलिसकर्मी, लाखों आम कश्मीरियों को भी हम बदनाम करते हैं. जो कश्मीरी छात्र घाटी से निकलकर बाकी देश में पढ़ने आते हैं, हम उन्हें भी सताते हैं.

कश्मीरी पंडितों पर जो जुल्म हुआ, क्या उसका जवाब जुल्म ही हो सकता है? क्या हिंसा और 'सजा' का ये चक्र चलता ही रहेगा ? हिंसा के जवाब में हिंसा से कश्मीर से दूर बैठे नफरत फैलाने वालों को ही फायदा होगा. इससे वो तमाम भारतीय मुसलमानों को बदनाम करने में कामयाब होते हैं. 'द कश्मीर फाइल्स' रिलीज होने के बाद हमने यही देखा. लेकिन इससे कश्मीरी पंडितों को फायदा नहीं होता है, ना ही होगा.

आतंकवादी तो चंद सौ होंगे लेकिन हम सभी कश्मीरी मुसलमानों पर “आतंकी”, ''जेहादी'' होने का ठप्पा लगा देते हैं. ऐसे में फिर बातचीत के लिए बचता कौन है? कोई नहीं. तो फिर सरकार हिंसा खत्म करने की उम्मीद कैसे कर सकती है? या फिर मसले को सुलझाने का कोई प्लान है ही नहीं? अगर ऐसा है तो कश्मीरी पंडितों को प्लीज बता दीजिए कि उन्हें कश्मीर में सुरक्षा की गारंटी नहीं मिल सकती. ये जो इंडिया है ना, यहां सच तो ये है… कि जो "एलिफैंट इन द रूम" हम यूज रोज नफरत की खुराक देकर और बड़ा होने दे रहे हैं.. और इसका नतीजा हमारे सामने है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 19 May 2022,08:47 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT