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केदारनाथ त्रासदी के 6 साल: 32 महिलाएं, 1 बदकिस्मत गांव और वो दिन

ये महिलाएं एक नई जिंदगी शुरू करना चाहती हैं.

अभिनव भट्ट & एंथनी रोजारियो
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2013 केदानाथ आपदा के दौरान देवली भणिग्राम के 57 पुरुषों की मौत हो गई थी.
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2013 केदानाथ आपदा के दौरान देवली भणिग्राम के 57 पुरुषों की मौत हो गई थी.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई

उत्तराखंड के गुप्तकाशी से करीब 10 किलोमीटर दूर देवली-भणिग्राम गांव. यहां शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जिसका संबंध 2013 की आपदा से न हो. इस गांव के 50 से ज्यादा पुरुषों के बारे में केदारनाथ त्रासदी के बाद कुछ पता नहीं चला, जिसके बाद सरकार की तरफ से उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

‘उम्मीद पर जिंदा हैं...’

सरकार और समाज की बेरुखी से नाराज विनीता शुक्ला से हम मिले. अपना पेट पालने के लिए खेती ही उनके पास एक मात्र जरिया बचा है. त्रासदी के 6 साल बीत जाने पर वो कहती हैं:

हम आज भी इस उम्मीद पर जिंदा है कि वो (विनीता देवी के पति) आएंगे. हाल ये हैं कि मेरे बेटे ने इंटर पास किया लेकिन मैं आगे पढ़ाई के लिए उसे बाहर नहीं भेज सकी, क्योंकि आर्थिक स्थिति है नहीं ऐसी. सरकार ने पीड़ित परिवारों में से किसी एक को नौकरी देने का वादा किया था लेकिन वो कभी पूरा नहीं हुआ.
विनीता शुक्ला, निवासी, देवली-भणिग्राम

सरकार और समाज की बेरुखी से निराश

गांव में ज्यादातर ब्राह्मण परिवार हैं. कई महिलाएं ऐसी हैं जिनकी कम उम्र में शादी हो गई थी लेकिन 2013 की त्रासदी ने उनका सबकुछ छीन लिया. सामाजिक रीति रिवाजों की वजह से वो दूसरी शादी नहीं कर सकतीं. हालांकि, गांव की एक और महिला विनीता देवी ने इन रिवाजों को तोड़ते हुए दूसरी शादी की.

शादी के 6 महीने ही हुए थे कि त्रासदी में मेरे पति की मौत हो गई. मैं उस समय 20 साल की थी. खुद को संभालने में काफी समय लग गया और फिर दूसरी शादी की. लेकिन ये इतना आसान नहीं था. क्योंकि गांव में दूसरी शादी करने को सही नहीं मानते. सब आगे बढ़ रहे हैं तो सोच भी बदलनी चाहिए.
विनीता देवी, निवासी, तिलवाड़ा (रुद्रप्रयाग)

आपदा में अपना सबकुछ खो चुकी ये महिलाएं सरकार और समाज की बेरुखी की वजह से बेड़ियों से नहीं निकल पा रही है. ये नई जिंदगी शुरू करना चाहती हैं इसके लिए सरकार और समाज दोनों को इनका साथ देना होगा.

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Published: 17 Jun 2018,11:47 AM IST

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