advertisement
वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई
उत्तराखंड के गुप्तकाशी से करीब 10 किलोमीटर दूर देवली-भणिग्राम गांव. यहां शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जिसका संबंध 2013 की आपदा से न हो. इस गांव के 50 से ज्यादा पुरुषों के बारे में केदारनाथ त्रासदी के बाद कुछ पता नहीं चला, जिसके बाद सरकार की तरफ से उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
सरकार और समाज की बेरुखी से नाराज विनीता शुक्ला से हम मिले. अपना पेट पालने के लिए खेती ही उनके पास एक मात्र जरिया बचा है. त्रासदी के 6 साल बीत जाने पर वो कहती हैं:
गांव में ज्यादातर ब्राह्मण परिवार हैं. कई महिलाएं ऐसी हैं जिनकी कम उम्र में शादी हो गई थी लेकिन 2013 की त्रासदी ने उनका सबकुछ छीन लिया. सामाजिक रीति रिवाजों की वजह से वो दूसरी शादी नहीं कर सकतीं. हालांकि, गांव की एक और महिला विनीता देवी ने इन रिवाजों को तोड़ते हुए दूसरी शादी की.
आपदा में अपना सबकुछ खो चुकी ये महिलाएं सरकार और समाज की बेरुखी की वजह से बेड़ियों से नहीं निकल पा रही है. ये नई जिंदगी शुरू करना चाहती हैं इसके लिए सरकार और समाज दोनों को इनका साथ देना होगा.
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के ‘रूम-रूम बॉयज’ कई सबक सिखा देते हैं
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)