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क्या बिहार में पत्रकार दबाव में काम कर रहे हैं? लालू यादव के बिना बिहार की राजनीति का हाल कैसा है? नीतीश कुमार ने बिहार में कैसा काम किया? ऐसे ही कई सवालों को समझने और जनता के मूड की इनसाइड स्टोरी जानने के लिए इसबार क्विंट की चौपाल लगी मुजफ्फरपुर के पत्रकारों के साथ.
इस चौपाल की शुरुआत पत्रकारों की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवाल से हुई, जिसमें ज्यादातर पत्रकारों का मानना है कि कुछ लोगों की वजह से पत्रकारिता धूमिल हुई है. साथ ही कई बार दबाव में भी काम करना पड़ता है.
क्या पत्रकार दो धड़े में बंट गए हैं? इस सवाल पर दैनिक भास्कर के सीनियर पत्रकार मदन कुमार कहते हैं कि मीडिया कभी राहुल तो कभी पीएम मोदी का पक्ष लेता है, जो कि पत्रकारिता के लिए खतरनाक है.
बता दें कि अभी हाल ही में पीएम मोदी ने फिल्म एक्टर अक्षय कुमार को इंटरव्यू दिया था, जिसके बाद सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों में ये सवाल उठने लगा कि प्रधानमंत्री चुनाव के वक्त किसी फिल्म एक्टर को इंटरव्यू क्यों दे रहे हैं. इसी सवाल पर सीनियर पत्रकार सुजीत कुमार पप्पू कहते हैं कि कोई भी इंसान पत्रकार हो सकता है इसलिए अक्षय कुमार के इंटरव्यू लेने में कोई दिक्कत नहीं है. जब सोशल मीडिया के जरिए लोग खबर अखबार में छपने से पहले एक दूसरे के साथ शेयर कर लेते हैं तो पीएम के इंटरव्यू में किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए.
हालांकि, चौपाल में मौजूद बाकी पत्रकारों को इस बात से आपत्ति थी कि जब देश इतने बड़े चुनाव में लगा है तब पीएम जरूरी सवालों के जवाब ना देकर फिल्म एक्टर को इंटरव्यू दे रहे हैं.
बिहार की राजनीति में यह पहला मौका है जब आरजेडी चीफ लालू यादव एक्टिव पॉलिटिक्स में मौजूद नहीं है. लालू चारा घोटाला मामले में जेल में हैं. ऐसे में बिहार के चुनाव में क्या असर पड़ेगा इस पर पत्रकारों ने अपनी राय रखी.
वहीं, दैनिक भास्कर के सीनियर पत्रकार संतोष पांडे की मानें तो लालू यादव बिहार की राजनीति के सूर्य हैं, उनके बिना बिहार की राजनीति 10% भी नहीं है.
सचिदानंद कहते हैं कि नीतीश कुमार ने सड़क और बिजली के क्षेत्र में काम किया लेकिन बहुत कुछ होना बाकी है. इतने सालों में पलायन नहीं रुका. शिक्षा का स्तर अब भी नहीं सुधरा. हालांकि सुजीत कुमार पप्पू कहते हैं कि नीतीश कुमार ने बहुत काम किया है लेकिन बिहार को उद्योग की जरूरत है, और उद्योग अकेले राज्य सरकार के बस की बात नहीं है.
इस सवाल के जवाब में पत्रकारों का मानना था कि इस बार जनता खुलकर किसी का नाम नहीं ले रही है. लेकिन जो दावा दिल्ली में बैठे पत्रकार करते हैं कि इस पार्टी की इतनी सीटें आएंगी और इसकी हार होगी, वो गलत बोलते हैं. उन्हें जमीनी हकीकत का अंदाजा नहीं है.
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