क्विंट की चुनावी चौपाल पहुंची है दरभंगा. यहां सीएम लॉ कॉलेज के स्टूडेंट्स के बीच हमने बातचीत कर जानना चाहा कि इस लोकसभा चुनाव में इनके क्या मुद्दे हैं. क्या बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव आया है?
इस लॉ कॉलेज में 832 स्टूडेंट्स पर सिर्फ 12 शिक्षक है. बिहार के कई कॉलेजों का यही हाल है. शिक्षकों की कमी पूरे बिहार में समस्या है.
बिहार के शिक्षण संस्थानों में टीचर्स की इस कमी का कारण हमें सीएम लॉ कॉलेज की एक प्रोफेसर ने बताया. डॉ सोनी सिंह की नियुक्ति 2018 में की गई थी जिसके लिए नोटिफिकेशन 2014 में जारी हुआ था.
हमनें 2018 में ही यहां ज्वाइन किया है. और इसके लिए नोटिफिकेशन 2014 में जारी हुआ था. तो आप समझ सकते है कि 2014 के नोटिफिकेशन का 2018 में फाइनल होना हमारे लिए शिक्षक के तौर पर कितना नुकसानदायक था.डॉ सोनी सिंह, प्रोफेसर, सीएम लॉ कॉलेज, दरभंगा
चुनावी चर्चा सिर्फ जाति और धर्म पर सिमटकर रह गई हैं. शिक्षा जैसे बुनियादी मुद्दें किसी पार्टी के फोकस में नजर नहीं आते. ऐसे में हमनें लॉ स्टूडेंट्स से इस बारे में पूछा तो छात्र मनोज यादव ने कहा कि कोई पार्टी शिक्षा पर बात नहीं करती.
शिक्षा पर किसी पार्टी का मेनिफेस्टों नहीं आता. शिक्षा जैसे जरुरी मुद्दे पर कोई राजनीतिक दल बात नहीं करता. अगर किसी के मेनिफेस्टो में होता है तो उस पर काम नहीं किया जाता.मनोज यादव, छात्र, एलएलबी
एलएलबी पार्ट 1 की छात्रा शालिनी कुमारी का कहना है कि वो लोग रेगुलर कॉलेज और क्लास आते हैं, लेकिन कभी क्लास स्थगित हो जाती है तो कभी टीचर इधर-उधर चले जाते हैं. जाति और धर्म की जगह शिक्षा पर बात होनी चाहिए.
मेट्रो शहरों के कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर से अलग इस लॉ कॉलेज की इमारत जर्जर हो चुकी है. कॉलेज में बुक, लाइब्रेरी और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी पर क्विंट ने यहां के प्रिंसिपल से बात की.
जिन हालात में हम है उसी में काम चला रहे है. डेवलपमेंट ग्रांट के नाम पर कुछ नहीं मिलता है. जब तक ये ग्रांट नहीं मिलेगा, बच्चों की सहूलियत की चीजें मुहैया नहीं करा पाएंगे. सरकार से जो ग्रांट मिलता भी है वो फैकल्टी की सैलरी के लिए होता है. यहां पढ़ने वाले गरीब बच्चें है. इनसे ज्यादा फीस लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप नहीं कर सकते.बदरे आलम, प्रिंसिपल,सीएम लॉ कॉलेज, दरभंगा
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