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नरेंद्र मोदी सरकार के 4 साल तो पूरे हो गए हैं लेकिन एक ताजा सर्वे से उनके माथे पर थोड़ी शिकन जरूर आनी चाहिए. लोकनीति-CSDS-एबीपी न्यूज के ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे के इशारे बहुत कुछ कहते हैं. मोदी सरकार के दोबारा चुने जाने की संभावना कितनी है, यूपी से महाराष्ट्र तक चुनावी समीकरण क्या कहते हैं, ऐसे तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए क्विंट ने बात की CSDS के डायरेक्टर संजय कुमार से.
सर्वे के मुताबिक पीएम मोदी की निजी लोकप्रियता घटी है, हालांकि तब भी एनडीए की सत्ता में आने की संभावना पर इतना असर नहीं पड़ा है.
सर्वे में सवाल पूछा गया कि क्या मोदी सरकार को दूसरा टर्म मिलना चाहिए?
47 फीसदी लोगों ने इसका जवाब ना में दिया लेकिन 39 फीसदी लोग मोदी सरकार को दूसरा मौका दिए जाने के पक्ष में दिखे.
इस सर्वे को 28 अप्रैल से 17 मई बीच कराया गया. देश के 19 राज्यों में हुए सर्वे में 50, 859 लोग शामिल हुए.
चुनावी राजनीति पर नजर रखने वाले और सरसरी तौर पर खबरों से ताल्लुक रखने वाले भी समझते हैं कि 2019 का चुनाव गठबंधनों के भविष्य पर निर्भर करेगा. इसलिए पहले बात एनडीए के घटकों की. CSDS के डायरेक्टर संजय कुमार कहते हैं कि सर्वे में उन्होंने महाराष्ट्र के लिए फिलहाल बीजेपी और शिवसेना को एक साथ माना है.वहीं यूपी में बीजेपी के 2014 वाले साथी अब भी बने हुए हैं. बिहार में जेडीयू के साथ से बीजेपी को फायदा मिलेगा.
बिहार में NDA का वोट अगर बढ़ता दिख रहा है तो सर्वे के मुताबिक इसमें गठबंधन का रोल न होकर खुद बीजेपी का पांव पसारना दिखता है.
उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता घटती नजर आ रही है जिसकी वजह से जेडीयू का वोट बढ़ता नहीं दिखता. आरजेडी को, लालू के जेल में होने की सहानुभूति मिलती नहीं दिखती. आंकड़ों में कांग्रेस को भी कुछ बढ़त मिलती नजर आती है.
यूपी में तस्वीर कमोबेश साफ है. एसपी-बीएसपी का साथ बीजेपी को तगड़ा झटका देने को तैयार है. समाजवादी पार्टी का वोट शेयर बढ़ता दिख रहा है. अगर इन दोनों दलों को कांग्रेस और आरएलडी का साथ भी मिल जाता है तो बीजेपी 8 से 10 सीटों तक भी सिमट सकती है.
सर्वे में लोकप्रियता के सवाल पर CSDS के डायरेक्टर संजय कुमार कहते हैं,
2014 के आम चुनाव से 9 महीने पहले भी लोकनीति-CSDS ने देश का मूड भांपने के लिए ऐसा ही एक सर्वे कराया था जिसके नतीजे काफी करीबी रहे थे. ऐसे में अब जब 2019 चुनाव को भी करीब इतना ही वक्त बचा है तो सर्वे के नतीजों को ध्यान से देखना होगा.
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