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विपक्षी ताकत जुट तो रही है लेकिन 2019 में BJP का किला हिल पाएगा?

सामूहिक विपक्ष की चुनौती का BJP की सेहत पर कितना होगा असर?

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कैमरा- शिव कुमार मौर्या

वीडियो एडिटर- मो. इरशाद आलम

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से 24 मई की शाम जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने एक बात तो साबित कर दी कि 2019 की जंग में विपक्ष अपने सारे घोड़े खोलकर पीएम मोदी के अश्वमेध को रोकने की तैयारी करेगा.

लेकिन इस विपक्षी गुट की अगुवाई कौन करेगा, किस नेता के नाम पर सहमति होगी, कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उन राज्यों में क्या होगा, जहां कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी से नहीं बल्कि रीजनल पार्टियों से ही है. ये सारे अनसुलझे सवाल हैं. लेकिन इतना तय है कि 2019 के आम चुनाव में बीजेपी को सामूहिक विपक्ष की चुनौती मिलेगी.

बीजेपी की सेहत पर क्या होगा असर?

बीजेपी के पक्ष में बोलने वालों का जवाब होगा- कोई फर्क नहीं पड़ेगा. और उनकी दलीलें कुछ इस तरह की होंगी.

  • 2014 में बीजेपी ने महज 428 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 282 सीटों पर सफलता मिली. मतलब 65 परसेंट का स्ट्राइक रेट.
  • 2014 में 70 से ज्यादा सीटों पर वोटर टर्नआउट पिछले चुनाव के मुकाबले 15 परसेंट से ज्यादा रहा. इनमें से 67 सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगियों को जीत मिली.
  • 2014 में जहां पूरे देश में विनर और रनर अप के बीच वोट का औसत अंतर 15 परसेंट का रहा, वहीं जिन सीटों पर बीजेपी की जीत हुई वहां विनर और रनर अप के बीच का औसत अंतर 18 परसेंट का रहा. कई सीटों पर तो बीजेपी के जीतने वाले उम्मीदवार को 50 परसेंट से ज्यादा वोट मिले.

ये रिकॉर्ड अपने आप में इतने दमदार हैं कि इसमें थोड़ी कमी आने के बावजूद बीजेपी के नंबर में बड़ा अंतर मुमकिन नहीं लगता है.

सामूहिक विपक्ष की चुनौती का BJP की सेहत पर कितना होगा असर?
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लेकिन इंडेक्स ऑफ अपोजिशन यूनिटी की बात करने वाले इसका ठीक उलट तर्क देते हैं. अगर विपक्षी एकता बढ़ती है तो बीजेपी को किस तरह की मुश्किलें आ सकती हैं.

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ये हैं विपक्ष की दलीलें

  • 2014 में बीजेपी को जो 282 सीटें मिली थी. उनमें से सिर्फ 137 सीटों पर ही बीजेपी के उम्मीदवार को 50 परसेंट से ज्यादा वोट मिले. बाकी 145 सीटों पर तो वोट शेयर कम था.
  • हाल के उपचुनाव में देखा गया है कि साझा विपक्ष के सामने में 50 परसेंट से ज्यादा वोट शेयर वाली सीट भी सुरक्षित नहीं है. गोरखपुर और फूलपुर में 2014 में बीजेपी को 52 परसेंट से ज्यादा वोट मिले थे. दोनों ही जगह साझा विपक्ष के सामने बीजेपी के वोट शेयर में भारी कमी आई.
  • 2014 में सिर्फ 5 राज्यों- गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 50 परसेंट से ज्यादा वोट मिले थे. क्या इन राज्यों में बीजेपी अपना प्रदर्शन इतने ही दमदार तरीके से दोहरा पाएगी?
सामूहिक विपक्ष की चुनौती का BJP की सेहत पर कितना होगा असर?
  • 2014 में मोदी लहर के बावजूद भी देश के 240 लोक सभा सीटों में बीजेपी की पकड़ काफी कम रही. ये सीट उत्तर और पश्चिम भारत से बाहर के राज्यों में हैं. इन 240 सीटों में बीजेपी को 17 परसेंट वोट के साथ सिर्फ 39 सीटें मिली.
  • 2014 में जहां बीजेपी को एक लोकसभा सीट जीतने के लिए सिर्फ 6 लाख वोटों की जरूरत पड़ी, वहीं कांग्रेस को 1 सीट हासिल करने के लिए 24 लाख वोटों को अपनी झोली में करना पड़ा. वोट्स और सीट्स में इतना बड़ा अंतर पहले कभी नहीं देखा गया था. अगर 2019 में इसमें मामूली बदलाव भी होता है तो सारे समीकरण बदल सकते हैं.

दोनों पक्षों की दलीलें आपने देखी. विपक्षियों के एक साथ आने से एक बात तो तय है. 2019 में चुनाव का नतीजा अभी से तय नहीं माना जा सकता है.

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