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वीडियो प्रोड्यूसर: अनुभव मिश्रा
वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसान क्या चाहते हैं? कृषि कर्ज की माफी? बेसिक सालाना आय? या उन्हें उनकी फसलों के लिए सही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का भुगतान किया जाए? इन सवालों के जवाब जानने के लिए क्विंट का ‘चौपाल’ मंदसौर पहुंचा.कुछ ने दावा किया कि मोदी सरकार के अंतरिम बजट 2019 में हर साल किसानों को 6,000 रुपये देने की घोषणा मदद नहीं, सिर्फ चुनावी हथकंडा है.
6 जून 2017 को मंदसौर कृषि संकट का केंद्र बन गया, जब मध्य प्रदेश पुलिस के कथित गोलीबारी में 6 किसान मारे गए.
किसानों ने अपनी फसल का उचित दाम पाने के लिए मंदसौर में प्रदर्शन किया था, प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोली चला दी थी. इस गोलीकांड में 6 किसानों की मौत हुई थी. इस आंदोलन की आग ने प्रदेश के कई अन्य हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया था. किसान इतने आक्रोशित थे कि तत्कालीन जिलाधिकारी तक की पिटाई कर दी गई थी.
लेकिन तब से क्या बदला है?
कई पोल पंडितों का मानना है कि किसानों की नाराजगी की वजह से ही 2018 में बीजेपी को ‘हिंदी हार्टलैंड’ यानी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनावी नुकसान उठाना पड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव नजदीक हैं. मोदी सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि मंदसौर के किसानों और साथ ही बीजेपी को कितना फायदा पहुंचा पाएगी?
किसानों का कहना है कि किसान सम्मान निधि, ऊंट के मुंह में जीरे जैसा है. साफ है कि मोदी सरकार को किसान राहत देने के मूड में नहीं है.
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