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‘नई शिक्षा नीति आने वाले भारत के लिए गेमचेंजर’: आशीष धवन Exclusive

शिक्षा नीति 2020 पर अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक आशीष धवन से क्विंट की खास बातचीत

शैली वालिया
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शिक्षा नीति 2020 पर अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक आशीष धवन से क्विंट की खास बातचीत
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शिक्षा नीति 2020 पर अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक आशीष धवन से क्विंट की खास बातचीत
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम

शिक्षा नीति 2020 पर क्विंट की शैली वालिया ने अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक आशीष धवन से खास बातचीत की. उन्होंने नई नीति को गेमचेंजर बताया और कहा कि इस पॉलिसी में कई तरह की समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की गई है.

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नई शिक्षा नीति में पढ़ाई पर बेसिक क्या तय हुआ है?

अब काफी संख्या में बच्चे स्कूल जाने लगे हैं. प्राइमरी स्कूल में करीब 100% बच्चे स्कूल जाने लगे हैं. कॉलेज में भी 25-26% संख्या है. उस दिशा में काफी तरक्की हुई है. लेकिन पढ़ाई के स्तर पर पिछले 10-15 सालों में ज्यादा तरक्की हुई नहीं है. और अभी भी पुराने तरीके से ही सब चल रहा था. तो इस तरह की समस्याएं को इस पॉलिसी में सुलझाने का काम किया गया है.

प्राथमिक शिक्षा में तीन भाषाओं को लेकर जो तय हुआ उसका क्या असर होगा?

तीन भाषाओं के फॉर्मूले पर काफी चर्चा हुई थी. और मेरे हिसाब से जो फैसला हुआ है वो ठीक हुआ है. बच्चे घर पर सभी के साथ अपनी मातृभाषा में बात करते हैं, तो उन्हें वो बात समझ आती है. वो उन शब्दों को सुनते हैं, लेकिन जो लिखाई और पढ़ाई होती है, वो आसानी से नहीं सीखा जाता है. उसे स्कूल में सिखाया जाता है. इसलिए शुरुआत में उसी पर फोकस करना चाहिए. क्योंकि आधे बच्चे आसानी से पढ़ नहीं पाते हैं. इसलिए तीन भाषाओं का फॉर्मूला बिल्कुल ठीक है.

बच्चों में साइंटिफिक टेंपर डेवलप करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

सबसे ज्यादा सफल साइंटिस्ट काफी क्रिएटिव हैं. एक चीजों पर फोकस करते हैं लेकिन दूसरी चीजों की भी समझ रखते हैं. बाहर बैठकर देखते हैं और जब फल गिरते हुए देखते हैं तो कहते हैं कि गुरूत्वाकर्षण हो सकता है. काम सिर्फ लैब में बैठकर नहीं हो सकता है. चीजों को रट कर साइंटिफिक टेंपर डेवलप नहीं हो सकता है. एक्सपेरिमेंट करें, बनाएं तब जाकर सही में साइंस समझ में आएगा. आसपास के मुश्किलों को साइंस से सुलझाने की कोशिश करें तब जाकर इसका फायदा दिखेगा.

शिक्षा में रेगुलेशन के हिसाब से क्या बदलाव होगा?

नई पॉलिसी में लिखा गया है ‘लाइट बट टाइट’ रेगुलेशन. प्राइवेट स्कूल और कॉलेज काफी योगदान देते हैं. ऐसे में इनकी क्वालिटी बढ़ाने की चुनौती है क्योंकि कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी की क्वालिटी काफी खराब है. कॉलेजों पर थोड़े रेगुलेशन की जरूरत है. पारदर्शी होने की जरूरत है ताकि पैरेंट्स को पता रहे कि हो क्या रहा है. ऐसे में ये अच्छा है कि कॉलेजों को आजादी दी जाए साथ ही गुणवत्ता और पारदर्शिता को लेकर भी बात हो.

कॉलेज में चार साल के प्रोग्राम के बारे में आप क्या कहेंगे?

इस पॉलिसी में लिखा गया है कि कई एंट्री और एक्जिट प्वॉइंट्स हो सकते हैं. ये बहुत अच्छा है. क्योंकि हर छात्र का लक्ष्य एक जैसा नहीं हो सकता है. कई छात्रों को बेसिक वोकेशनल कोर्स के बाद जॉब में जाना हो सकता है, किसी को डिप्लोमा की जरूरत हो सकती है. बीए, बीएससी के लिए तीन साल है. चार साल की फ्लेक्सिबिलिटी मिलने से स्टूडेंट्स को च्वॉइस मिलेगा.

नए एजुकेशन पॉलिसी को लागू करने में राज्य कितने सक्षम हैं?

प्रधानमंत्री का नए इंडिया का विजन शिक्षा के बिना पूरा नहीं हो सकता. अगर आधे बच्चे पढ़ नहीं सकते तो 10 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी बनानी है और आधे बच्चे पढ़ नहीं सकते तो ये कभी नहीं हो सकता. न्यू एजुकेशन पॉलिसी गेम चेंजिंग रिफॉर्म है. राज्य चाहे तो अच्छे से फोकस कर सकते हैं.

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Published: 01 Aug 2020,02:46 PM IST

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