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बिहार को लीलती जहरीली शराब. शराबबंदी के बावजूद बिहार में जहरीली शराब से एक के बाद एक मौत की खबरें आ रही हैं. कहा जा रहा है कि बिहार में पहली बार कथित तौर पर शराब पीने से 70 लोगों की मौत हो गई है. हालांकि सरकार इस संख्या (70) से इनकार कर रही है. बिहार में शराब से हुई मौत की सच्चाई जानने के लिए क्विंट की टीम छपरा पहुंची.
क्विंट की टीम जब छपरा के मशरख में पहुंची तो एक दूसरे से लिपट कर रोते बिलखते लोग दिखे. एंबुलेंस से शव उतर रहे थे. सदर अस्पताल में जहरीली शराब पीने से मरने वालों के शव रखे थे. हर तरफ मातम पसरा था.
मृतक चंद्रमा राम के बेटा संतोष कुमार राम ने बताया कि सरकार के नुमाइंदे सादी वर्दी में आते हैं और बिना कुछ देखे सुने और ना ही किसी तरह की सरकारी सहायता की बात कह कर सीधा कहते हैं कि अरे तुम्हारे पिता तो ठंड से मर गए हैं, इन्हें ले जाकर अंतिम संस्कार कर लो.
बता दें कि छपरा के मशरख गांव में जहरीली शराब से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. मृतक हरेंद्र राम की पत्नी शीला देवी ने बताया कि उनके पति दिन भर मेहनत मजदूरी करके आते थे, लेकिन उस रात शराब पीने से तबियत बिगड़ गई. लेकिन उस रात न तो कोई अधिकारी ही मृतक हरेंद्र राम को दोबारा देखने आया और ना ही उन्हें किसी भी तरह की सरकारी एंबुलेंस या सहायता दी गई.
बिहार के छपरा में जहरीली शराब से हुई मौत के बाद बिहार सरकार के मध्य निषेध मंत्री सुनील कुमार, प्रधान सचिव केके पाठक, एडीजी हेड क्वार्टर जी एस गंगवार ने पटना में बिहार विधानसभा के प्रांगण में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि शराब कांड से मौत का सही आंकड़ा 38 है.
बता दें कि बिहार सरकार बार-बार दावा कर रही है कि 2016 से लेकर अबतक शराब बंदी के दौरान शराब से जुड़ी मौतें हुई हैं वो दूसरे राज्यों से कम है. बिहार सरकार का दावा है कि शराबबंदी की वजह से रोड ऐक्सिडेंट और घरेलू हिंसा में कमी आई है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को विधानसभा में साफ शब्दों में कहा है कि शराब पीकर मरने वालों के मुआवजा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता है. इससे पहले नीतीश कुमार ने कहा कि वह तो बार-बार यह कह रहे कि जो पीएगा, वह मरेगा. शराब पीने वालों को मदद की जाती है क्या? सभी धर्म में शराब पीने वालों को ठीक नहीं माना जाता. अब तो वह हर जगह जाकर बताएंगे कि जो शराब के पक्ष मे बोल रहे हैं, वह आपके हित में नहीं हैं.
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