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कोरोनो वायरस महामारी को लेकर हम सभी के पास सरकार से पूछने के लिए कई सवाल हैं. सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सरकार हमारी अर्थव्यवस्था और आजीविका को बचाने के लिए क्या कर रही है? सरकार प्रवासी संकट से कैसे निपट रही है? सरकार ने हाल ही में 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज पेश किया, क्या ये एक क्रांतिकारी कदम या सिर्फ छलावा? क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने ये सारे सवाल पूछे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से.
इंटरव्यू में चिदंबरम ने सरकार पर आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी का 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज एक धोखा है.
लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था की हालत खराब है ऐसे में ग्लोबल रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग घटा रही हैं, इस पर चिदंबरम ने कहा - “रेटिंग डाउनग्रेड एक दलदल है. भारत अकेला देश नहीं है, हर देश मंदी के दौर से गुजर रहा है. अगर वे भारत को अपग्रेड करते हैं, तो उन्हें दुनिया भर के सैकड़ों देशों को अपग्रेड करना होगा. तब भी सापेक्ष रेटिंग समान रहेगी.”
लॉकडाउन को लेकर की गई लापरवाहियों के बारे में चिदंबरम ने कहा -“वर्तमान सरकार इस तथ्य का लाभ उठा रही है कि अगला आम चुनाव चार साल दूर है, लेकिन भारत के लोग मूर्ख नहीं हैं. उन्होंने पिछले दो वर्षों में बहुत कुछ झेला है, और उनका दुख आज अभूतपूर्व है, वो चार साल बाद भी इसे याद रखेंगे. वो आज सरकार को माफ कर सकते हैं लेकिन सरकार ने आज उनके साथ जो किया उसे वो कभी नहीं भूलेंगे. ”
लॉकडाउन को लेकर चिदंबरम ने कहा कि पीएम अपनी जिम्मेदारी राज्यों पर टाल रहे हैं. आत्मानिभारत पर चिदंबरम ने कहा,
पूर्व वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के सुझावों और सलाह को स्वीकार नहीं कर रही है. जैसे उन्होंने बताया कि गोल्ड बॉन्ड, सरकारी जमीन बेचने और मंदिरों में पड़े सोने को निकालने की स्कीम फेल होने वाली है क्योंकि इस वक्त कोई अपना सोना गिरवी नहीं रहेगा और इस मंदी के समय कौन जमीन खरीदना चाहेगा. चिदंबरम के मुताबिक 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर रहने वाली है. चिदंबरम का अनुमान है कि इस साल जीडीपी 5% निगेटव में रहने वाली है.
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