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मालदीव में गहराये राजनीतिक संकट के बीच पूर्व उप राष्ट्रपति डॉ. जमील अहमद ने भारत से मदद मांगी है. क्विंट से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए डॉ. जमील ने कहा कि पड़ोसी और लोकतांत्रिक देश होने के नाते भारत की ये जिम्मेदारी है कि वो मालदीव में लोकतंत्र की बहाली करवाए.
हालांकि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत कई नेता ट्विटर के जरिये भारत से मदद की गुहार लगा चुके हैं लेकिन मालदीव के एक किसी बड़े नेता की किसी भारतीय मीडिया हाऊस से पहली बातचीत है. इससे पहले डॉक्टर जमील ने ट्विटर के जरिये भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी.
8 फरवरी को उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था कि हमारा देश और संविधान का संबंध लोगों से है, अराजकतावादियों के किसी ग्रुप या किसी एक इंसान से नहीं. सुरक्षा बलों को अपनी शपथ और कर्तव्य के खिलाफ काम नहीं करना चाहिए और संविधान का आदर करना चाहिए. रक्षा और पुलिस के पुराने अफसरों को ये फोर्स को बताना चाहिए क्योंकि यही सच्ची देशभक्ति है. मासूम लोगों को निशाना बनाना और सताना बंद होना चाहिए .
यूनाइटेड किंगडम से क्विंट को भेजे अपने WhatsApp इंटरव्यू में डॉ. जमील ने भारत से मिलिट्री एक्शन तक की गुजारिश कर डाली.
भारत से मालदीव के नेताओं की उम्मीद की वजह ये है कि साल 1988 में ऑपरेशन कैक्टस के तहत भारत ने मालदीव में अपनी सेना भेजकर वहां तख्तापलट की कोशिशों को नाकाम किया था.
हालांकि भारत मालदीव में मचीे राजनीतिक उथल-पुथल पर नजर बनाए हुए है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से इस मसले पर फोन पर बातचीत की. दोनों नेताओं ने मालदीव में के राजनीतिक संकट पर चिंता भी जताई.
पेशे से वकील डॉ. मोहम्मद जमील अहमद मालदीव की उथल-पुथल भरी राजनीति में एक महत्वपूर्ण शख्सियत रहे हैं.
नवंबर 2013 में अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली और उन्हें समर्थन देने वाले डॉ. जमील अहमद को उपराष्ट्रपति बनाया गया. लेकिन 2015 में तख्तापलट की कोशिश का आरोप लगाते हुए उनपर महाभियोग चलाया गया और उन्हें पद से हटा दिया गया. उसके बाद से वो यूनाइटेड किंगडम में रह रहे हैं.
जून 2016 में पूर्व राष्ट्रपति मोदम्मद नशीद ने मालदीव में लोकतंत्र की बहाली के लिए तमाम विपक्षी पार्टियों का एक मंच बनाया था, जिसका अध्यक्ष डॉक्टर जमील अहमद को ही बनाया गया था.
6 फरवरी 2018 को मालदीव की सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत 9 लोगों के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था. साथ ही इन राजनेताओं की रिहाई के आदेश भी दिए थे. लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आपातकाल घोषित कर दिया. जिसके कुछ ही घंटों बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद और एक जज अली हमीद को गिरफ्तार कर लिया गया.
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