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वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह
वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम
मैरिको (Marico Ltd.) के फाउंडर हर्ष मारीवाला (Harsh Mariwala) से द क्विंट के एडिटोरियल डॉयरेक्टर संजय पुगलिया (Sanjay Pugalia) ने उनकी किताब 'हार्श रियलिटीज' (Harsh Realities) पर बात की. इस किताब को छात्रों और उद्यमियों के लिए एक गाइड बुक माना जा रहा है. आइये जानते हैं इस इंटरव्यू से जुड़ी खास बातें-
यह बुक एक तरीके से मेरे नाम पर है, जो मेरे नाम के साथ-साथ मुझे भी अभिव्यक्त करती है. मैंने अपने जीवन में काफी फेलियर देखे हैं, तो कैसे फेलियर से सीखा जाए, वह सब डिटेल्स के साथ बुक के अंदर मौजूद है. इस किताब में छात्र, प्रोफेसर और उद्यम क्षेत्र के लोगों जैसे रीडर्स के लिए फायदेमंद चीजें हैं. क्योंकि हर चैप्टर के बाद हमारे कोऑथर प्रोफेसर रामचरण, जो अमेरिका में मैनेजमेंट गुरू हैं, उन्होंने किताब में अच्छी इनसाइट दी है. यह आपकी यात्रा में निश्चचित मदद करेगी.
मुझे ऐसी बुक लिखनी थी, जो लोग कवर देखकर और उसके नाम पर जज कर सके. हालांकि अक्सर लोग बोलते हैं कि आप बुक का कवर देख कर बुक के अंदर कहानी का अंदाजा नहीं लगा सकते. पर मैं कवर से भी एक मैसेज देना चाहता था. इसके लिए मैं एक स्पेशल लेडी कवर डिजाइनर के पास गया, जो सिर्फ बुक कवर करती हैं. उन्होंने पहले 15 दिन बुक को पढ़ा, फिर मेरी पर्सनेल्टी को स्टडी किया और करीब 5-6 डिजाइन मेरे पास लेकर आईं. जिसमें मैंने एक डिजाइन चुना. चूंकि मैं बहुत ओपन, ट्रासंपेरेंट हूं और अपने शब्दों पर स्थिर रहता हूं, यह बुक कवर कुछ ऐसी ही चीजों को प्रदर्शित करता है. इसके बारे में हमें बहुत अच्छे फीडबैक भी मिले हैं.
अगर आपकी कंपनी की इमेज अच्छी है, तो आपके पास अच्छा टेलेंट आएगा. आप अपने एंप्लाई को क्या दे रहे हैं, जिसके चलते वो आपके पास आएंगे. कैसे इंटरव्यू करें, यह सारी चीजें बहुत अहम है. मैं जब इंटरव्यू लेता हूं तो मैं केस स्टडीज देता हूं, एक दिन का पूरा वर्कशॉप होता है, लेकिन इसके बावजूद आप गलत हो सकते हैं. फिर रिटेंशन भी अहमियत रखता है. कई अच्छे लोग जल्दी छोड़कर भी चले जाते हैं. इसलिए कल्चर और गुड क्वॉलिटी लीडरशिप जरूरी है.
मैं आपकी विचार से सहमत हूं. किसी मैनेजमेंट को कस्टमर को इंटरनली समझने की जरूरत है. कोई मार्केट रिसर्च इसका जवाब नहीं देगा. मैं खुद हॉउसवाइफ के घर पर जाकर उनसे इनसाइट लेता हूं. कंज्यूमर से सीधे बात करने का कोई विकल्प नहीं है. क्योंकि उनके विकल्प बदल रहे होते हैं. इसलिए उनसे जुड़ाव रखना जरूरी है. सभी को यह करना चाहिए?
आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलाव आया है, प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, जिसके कारण गलती को सुधारने का एक अच्छा मौका है, बेहतर हाथों में संस्था को रखने की जरूरत है. यह जरूरी नहीं है कि सक्सेशन सिर्फ बेटे के पास जाए. यह टेलेंट पर निर्भर करता है. फिल्मों या दूसरे क्षेत्रों की तरह कॉरपोरेट में भी बहुत नेपोटिज्म है. आखिर में आपके व्यापार को आगे ले जाने के लिए सबसे बेहतर का चुनाव करना जरूरी है. प्रोमोटर को समझना चाहिए कि आप कंपनी के प्रोमोटर हैं, कंपनी सारे शेयरहोल्डर्स की है. तो आपको वह करना चाहिए, जो कंपनी के लिए बेहतर हो.
यह कंपनी पर निर्भर करता है . बॉस को खुश रखने की बात उचित नहीं है, वह गलत हो सकता है. बॉस को चाहिए कि वह भी अपने लोगों को खुश रखें. यदि बॉस अपनों के साथ मैनेज नहीं कर पाता तो यह गलत है. आपको क्रिएटिव और सजेशन के साथ आगे बढ़ना चाहिए.
कई लोगों का ऑटोमेटिक इगो उतर जाता है. वैसे हमारे पास अगर लर्निंग माइंडसेट और ओपननेस होगा, तो इगो नहीं होगा. आपको हर किसी से सीखने की जरूरत है, अगर कहते हो, मुझे सब आता है तो दुनिया में तुम्हारे लिए कुछ नहीं रहा.
एक तो है कि ब्रॉन्ड इन्वेस्टमेंट बहुत जरूरी है. इसमें ब्रॉन्ड के साथ कस्टमर का इमोशनली कनेक्ट होना जरूरी है. दूसरा, अच्छी क्वॉलिटी मेंटेन रखने की जरूरत है और लगातार इनोवेशन यानी हमेशा कुछ अलग करने की इच्छा रखनी होती है.
महामारी से हमारे सामने कई मौके भी आए हैं. जैसे एक वैक्सीन का उदाहरण है. कितनी जल्दी इसका निर्माण होने लगा है. कंपनियों को अपनी एजिलिटी तेज करनी होगी. दूसरी चीज लीडरशिप है. यह अहम है कि मैं अपनी कंपनी के कर्मचारियों को सारी बातें बताएं कि कंपनियों में अंदर क्या चल रहा है, क्योंकि लोगों में काफी एंजॉयटी है. तीसरा, एक-दूसरे के परिवार से मिलना है. फिर डिजिटल कनेक्ट, वर्क फ्रॉम होम जैसी कई अपॉर्चुनिटी आई हैं.
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