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दहशत,जलती चिताएं, मौत, पलायन, ऑक्सीजन (oxygen) की कमी, बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के घाव अभी तक भरे नहीं हैं, हमने दिन रात एम्बुलेंस के सायरन की आवाज़ें अपने कानों से सुनीं, गंगा किनारे शवों को अपनी आंखों से दफ्न देखा और अपने आस-पास लोगों के दर्द को महसूस किया इन सबके दौरान हमने यह भी देखा कि कैसे लाशों के अम्बारों की गिनती सरकारी आंकड़ों से नदारद रही, कैसे कोविड से हुई मौतों की तस्वीर कैमरों के लेंस से छिपाने की कोशिश हुई.
तमाम संगठनों द्वारा लगातार आ रही रिपोर्ट्स चीख चीखकर ये दावा करती रहीं की सरकारी आंकड़े कुछ और कहानी बयां कर रहे हैं और जमीनी हकीकत कुछ और कह रही है. सरकार लगातार इन रिपोर्ट्स से पल्ला झाड़ती रही और ऐसा ही कुछ एक बार फिर से हुआ है विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि भारत में कोरोना से 47 लाख लोगों की मौत हुई है.
वहीं भारत के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ देश में कोरोना (Covid-19) से मरने वालों की संख्या लगभग 5 लाख 30 हजार है जिस पर अब विवाद हो रहा है. इस वीडियो में हम आपको इस रिपोर्ट के बारे बताएंगे अन्य जारी हुई रिपोर्ट्स के बारे में बताएंगे और बताएंगे कि कैसे कोविड मौत के आंकड़ों को लेकर सवाल उठने ज़रूरी हो जाते हैं.
डब्ल्यूएचओ का आकलन है कि कोरोना महामारी के कारण अभी तक दुनिया में लगभग डेढ़ करोड़ लोगों की मौत हुई है. ये आंकड़ा दो साल में सामान्य रूप से अपेक्षित मौतों की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है.
डब्ल्यूएचओ का मानना है कि कई देशों ने कोविड से मरने वालों की संख्या की कम गिनती की है. इन देशों में भारत भी शामिल है.
आंकड़ों को लेकर कई खबरें,दावे, तस्वीरें पहले भी हमारे सामने आए हैं आइए हम आपको उनसे रूबरू करवाते हैं
6 मई 2021 को सौराष्ट्र समाचार ने अपने 16 पन्नों के अखबार में 8 पन्नो पर 238 लोगों के लिए शोक संदेश छापा था. अखबार ने ऐसा करके सरकार को आइना दिखाने की कोशिश की थी.
वहीं लखनऊ के भैंसाकुंड शमशान में जलती हुई चिताओं के वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन ने शमशान घाट को टिन शेड से ढकवा दिया था, ताकि वहां से वीडियो रिकार्ड ना किया जा सके.
8 मार्च 2022 को क्विंट में एक खबर छपी जिससे आंकड़ों का खेल थोड़ा और स्पष्ट हो जाता है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद 3 फरवरी 2022 को राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में डेटा सौंपा था. उससे पता चलता है कि राज्यों में आधिकारिक मौतों और मुआवजे के लिए प्राप्त आंकड़ों में काफी ज्यादा अंतर है.यूपी सरकार के मुताबिक कोविड से आधिकारिक मौत का आंकड़ा 23,073 है. जबकि 37,007 लोगों ने मुआवजे के लिए आवेदन किया है और सरकार ने 29,622 लोगों को मुआवजा दे भी दिया.
इन सबके अलावा आपकी जानकारी के लिए बात दें कि राज्यों ने कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों को बार बार बदला भी है मसलन 2 दिसम्बर 2021 को बिहार में कोविड से मरने वालों का आंकड़ा 9664 था मगर 3 दिसम्बर को आंकड़ों में 2425 की बढ़ोतरी के साथ ये आंकड़ा 12,089 हो गया और ऐसा पहली बार नहीं 6 महीने में दूसरी बार हुआ था कुछ ऐसा ही हाल अन्य राज्यों का भी रहा जैसे मध्यप्रदेश, दिल्ली इत्यादि
CRS यानी सिविल रेजिस्ट्रेशन सिस्टम ने भी एक आंकड़े जारी किए हैं जो चौंकाने वाले हैं, उत्तर प्रदेश में साल 2020 में 8.73 लाख मौतें रजिस्टर हुई हैं जो कि कोविड महामारी वाला साल था लेकिन 2019 में यह आंकड़ा 9.44 लाख था जो कि महामारी वाले साल यानी 2020 से अधिक है और ठीक इसी तरह की गिरावट केरल, तेलंगाना, उत्तराखंड और दिल्ली में भी देखने को मिली.
अब इन उदाहरणों से यह स्पष्ट हो जाता है की कहीं न कहीं जैसा दिखाने की कोशिश की जा रही है सच उससे काफी दूर खड़ा हुआ है.
इनके अलावा कई और संगठन हैं जिन्होंने WHO की तरह ही पहले भी कोरोना से हुई मौतों की अंडरकाउंटिंग पर सवाल उठाया है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी उठाए थे आंकड़ों पर सवाल-
24 मई 2021 को न्यू यॉर्क टाइम्स की एक स्टडी ने कोविड से हुई अंडर रिपोर्टिंग को लेकर सवाल उठाए थे, 24 मई 2021 तक स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो भारत में लगभग 3.07 लाख लोगों की मृत्यु कोरोना से हो चुकी थी जबकि 2.69 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके थे. यह आंकड़ा अपने आप में भयानक था. सरकारी आंकड़ों में अंडर रिर्पोटिंग कि बात तब भी लगातार हो रही थी. उसी बीच न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एक स्टडी में दावा किया था कि मौत और संक्रमण के वास्तविक आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हैं.स्टडी के मुताबिक कम से कम भी माने तो भारत में कोरोना से 24 मई 2021 तक 6 लाख मौत और 40.42 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके थे.
लैंसेट साइंस जर्नल से भी उठे सवाल-
साइंस जर्नल लैंसेट ने इसी साल 10 मार्च को एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जनवरी 2020 से 31 दिसंबर 2021 तक दुनियाभर में कोरोना से 1.82 करोड़ मौतों का अनुमान लगाया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया में सबसे ज्यादा 40.7 लाख मौतें भारत में हुईं हैं.
भारत सरकार ने डब्ल्यूएचओ के आंकलन के तरीकों पर सवाल उठाए हैं. उसने साथ ही जो मॉडल इस्तेमाल किया गया है उसकी वैधता को लेकर भी सवाल किए हैं. भारत सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "इस प्रक्रिया, कार्यप्रणाली और परिणामों पर भारत की आपत्ति के बावजूद डब्ल्यूएचओ ने अतिरिक्त मृत्यु दर का अनुमान जारी किया है"
सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया कि WHO द्वारा जो आंकड़े जारी किए गए हैं वो सिर्फ 17 राज्यों को लेकर हैं. केंद्र के मुताबिक वो कौन से राज्य हैं, WHO द्वारा लंबे समय तक वो भी स्पष्ट नहीं किया गया था. अभी ये भी नहीं पता है कि कब ये आंकड़े इकट्ठा किए गए थे. इसके अलावा सरकार ने इस बात पर भी आपत्ति दर्ज करवाई कि WHO ने मैथमेटिकल मॉडल का इस्तेमाल कर आंकड़े जुटाए, जबकि भारत द्वारा हाल ही में विश्वनीय CSR रिपोर्ट जारी की गई.
अपने -अपने तथ्य हैं और अपने अपने तर्क मगर इन सबके बीच सच कहीं धुंधलाता हुआ नजर आ रहा है.
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