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धारावी मॉडल: कोरोना की दूसरी वेव से जल्दी कैसे निकली ये बस्ती?

कोरोना की पहली लहर में सबसे ज्यादा केस वाली धारावी ने दूसरी लहर को कैसे हराया?

ऋत्विक भालेकर
न्यूज वीडियो
Published:
<div class="paragraphs"><p>धारावी ने कोरोना की  दूसरी लहर को कैसे हराया?</p></div>
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धारावी ने कोरोना की दूसरी लहर को कैसे हराया?

(फोटो: क्विंट हिंदी/AP)

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) की दूसरे लहर में एशिया की सबसे बड़ी स्लम धारावी ने अपने रिकवरी रेट से सबको चौंका दिया है. अप्रैल में बढ़े आंकड़ो पर महज दो महीनों में धारावी ने काबू पा लिया. 3 जून 2021 को धारावी (Dharavi) में सिर्फ एक कोरोना केस दर्ज हुआ. जिस वजह से धारावी 'मिशन जीरो' (Dharavi Mission Zero) से सिर्फ एक पॉजिटिव मरीज से चूक गया है. पहली लहर में सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बना धारावी इस बार कोरोना (COVID-19) से निपटने का एक आदर्श मॉडल माना जा रहा है.

यही 'धारावी मॉडल' (Dharavi Model) समझने के लिए क्विंट हिंदी की टीम ने धारावी के सुधरती स्थिति का जायजा लिया. पिछले तीन साल से धारावी में रहने आई रमिजा शेख, 42 ने बताया कि-

BMC के कर्मचारी लगातार उनके इलाके में चेक-अप करने आ रहे थे. कोई बीमार मिला तो तुरंत दवाइयां देते थे. अब तक तो धारावी में कोरोना नियंत्रण में है और सभी चुस्त दुरुस्त है.

टेक्सटाइल का काम करने वाले शाहनु टेंगले (39) का कहना है कि-

लॉकडाउन में प्रशासन ने खाने-पीने से लेकर सभी चीजों का खयाल रखा. काम-धंधा बंद होने के बावजूद हम पर भूखे मरने की नौबत नहीं आई. जिस वजह से आज धारावी की स्थिति सुधारने में मदद हुई है.

मुंबई के बीचों-बीच बसने वाली धारावी की बस्ती लगभग 2.4 स्क्वेयर किमी इलाके में फैली हुई है. जिसमें लगभग साढ़े सात से आठ लाख की आबादी रहती है. डॉ. वीरेंद्र मोहिते, जी नार्थ, मेडिकल हेल्थ ऑफिसर ने कहा कि- 'दुनिया के सबसे घने आबादी वाले इस इलाके में कोरोना को खदेड़ना एक मुश्किल काम था. क्योंकि संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन जैसी पाबंदियों को यहां लागू करना लगभग नामुमकिन था'

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डॉ. मोहिते बताते हैं, 'क्या है धारावी मॉडल'?

  • कंटेनमेंट जोंस:

पॉजिटिव मरीज पाए जाने पर उस इलाके की एंट्री और एग्जिट सील कर दी जाती थी. लोग बाहर न निकले इसलिए खाने-पीने के साथ दवाइयों भी मुहैया कराई जाती थी.

  • प्राइवेट डॉक्टर्स का वॉट्सऐप ग्रुप :

बीएमसी के अधिकारियों और धारावी के प्राइवेट डॉक्टर्स का एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया था. किसी भी डॉक्टर के पास बीमार मरीज पहुंचा तो उसकी जानकारी बीएमसी से साथ साझा की जाती. जिससे बीएमसी कर्मचारियों को उसके घर पहुंचकर टेस्टिंग करने में मदद होती थी.

  • सख्त नियमों का पालन, रुका संक्रमण :

चार T's के सूत्र का काफी सख्ती से पालन किया गया. ट्रेसिंग, ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट के साथ कोरोना के संक्रमण को रोकने में सबसे कारगर प्रक्रिया साबित हुई.

  • विश्वास की लड़ाई:

शुरुआती दौर में धारावी की झुग्गियों में बीएमसी स्टाफ को घुसने नही दिया जाता था. कोरोना मरीजों को लेकर गए तो वापस नहीं आते ऐसा डर लोगों के मन में था. लेकिन पहली लहर में बीएमसी ने क्वारंटीन सेंटर में इलाज के साथ अच्छी सुविधाएं दी जिससे लोगों में विश्वास बढ़ा. लोगों का विरोध कम होने की वजह प्रशासन का भी काम करने का हौसला बढ़ गया.

  • हर्ड इम्म्युनिटी का कमाल:

धारावी दशकों से गैस्ट्रो, हेपेटाइटस, स्वाइन फ्लू और टीबी जैसी बीमारियों से बेहाल रहा है. जिस वजह से लोगों मे इन बीमारियों से लड़ने की प्रतिकार शक्ति मजबूत हो गई है. इसीलिए कोरोना विषाणु से भी निपटने में धारावी की हर्ड इम्युनिटी ने कमाल दिखाया ऐसा डॉक्टरों का मानना है.

  • विविधता में दिखाई एकता:

बीएमसी ने लोगों मे जनजागृति फैलाने का काम किया. लेकिन उसे तब प्रतिसाद मिला जब लोगों को उनकी भाषा मे कोरोना के बारे में सावधानी बरतने का आह्वान किया गया. तेलगु, तमिल, हिंदी, उर्दू, मराठी ऐसी सभी भाषाओं से लोगों में कोरोना के खिलाफ प्रचार किया गया. जिसका लोगों पर काफी सकारात्मक असर दिखा.

  • हेल्थ पोस्ट का नेटवर्क:

डॉ. विशाल कोलते ने जानकारी दी कि, 'धारावी इलाके में कुल चार हेल्थ पोस्ट के जरिये बीएमसी स्टाफ घर-घर तक पहुंच सका. एक हेल्थ पोस्ट पर तकरीबन 11 कर्मचारियों की टीम थी. जिसमें हर किसी के साथ 3 कम्युनिटी हेल्थ वर्कर्स काम करते थे. ये लोगों के घर जाकर स्क्रीनिंग और टेस्टिंग का काम करते थे. इस टीम पर लगभग डेढ़ से दो लाख आबादी की जिम्मेदारी थी.'

  • वैक्सीनेशन में गति:

अर्बन सेंटर की नोडल ऑफिसर डॉ. अमृता सुपले ने बताया कि, 'धारावी में कुल चार वैक्सीनेशन सेंटर हैं. लेकिन शुरू में हर सेंटर पर सिर्फ 35 से 40 लोग वैक्सीन लेने आते थे. लोगों को वैक्सीनेशन के लिए मनाना कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई थी. जिसके लिए उन्हें घर-घर जाकर लोगों को विश्वास दिलाना पडा. अब एक महीने बाद वैक्सीनेशन की गति बढ़ी है. दिन में हर एक सेंटर पर 100 लोगों का टारगेट पूरा हो रहा है.'

  • धार्मिक ग्रुप्स की मदद:

साथ ही भारतीय जैन संगठन के सचिव राहुल नहाटा का कहना है कि, 'धारवी में मौजूद धार्मिक मंडल ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने का सबसे आसान जरिया बना. गणपति-देवी मंडलों के साथ मस्जिद ट्रस्ट की मदद से हर मुहल्ले में मेडिकल कैम्पस लगे जिससे लोगों का ज्ञान बढ़ा. साथ ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई और तेज हुई.'

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