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कानपुर के देव वोहरा पास भी 5 साल का पिटबुल है. देव 2017 में इस कुत्ते को घर लाये थे. इनके परिवार के लोग पिटबुल को प्यार से नूर बुलाते हैं.
देव समेत कई लोग हैं, जो पिटबुल को खतरनाक नहीं मानते हैं. "जैसा कि सभी कहते हैं, पिटबुल बहुत क्रूर होते हैं, लेकिन यह हमारे कुत्ते के लिए सच नहीं है.नूर हम सब से और हमारे परिवार से बहुत जुड़ी हुई है.वह हमारे परिवार के सभी सदस्यों के के साथ फ्रेंडली है." देव कहते हैं.
प्रस्ताव में कहा गया कि इन नस्लों में से किसी को भी किसी व्यक्ति ने पाला तो उस पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा और उनके पालतू कुत्ते को जब्त कर लिया जाएगा.
पिछले महीने पिटबुल के महले के बाद एक गाय घायल हो गई थी.
देव नगर निगम के फैसलों पर नाराजगी जताते हुए कहते हैं, "मैं कहना चाहता हूं कि यह बहुत अनुचित है, क्योंकि अब ऐसा लगता है, वे कभी भी हम पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगा सकते हैं और हमारे कुत्तों को भी जब्त कर सकते हैं.पांच साल हो गए हैं और ऐसे अन्य परिवार भी हैं जिनके पास पालतू जानवर हैं और उन्हें भी उससे बहुत लगाव होगा."
जब इन नस्लों के कुत्ते पर प्रतिबंध का आदेश आया तो देव समेत शहर के वे सभी लोग दहशत में थे, जिनके पास रॉटलीवर या पिटबुल नस्ल के कुत्ता है, उनको समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें?
"लेकिन फिर कानपुर के मेयर ने आदेश दिया कि हमारे पास हमारे पुराने पालतू जानवर हो सकते हैं, हमें उन्हें पंजीकृत करने और लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता है लेकिन नए कुत्ते पालतू नहीं हो सकते. पालतू जानवरों के मालिकों के रूप में, हमें एक हलफनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए भी कहा गया था कि अगर कुत्ता किसी को काटता है तो हमें भुगतान करना होगा (उनके इलाज के लिए)." देव कहते है.
ब्रीडर्स के पास पल रहे बच्चे (पपीज) पर देव वोहर चिंता जताते हुए कहते हैं..
देव वोहरा इन नस्लों के कुत्तों पर लगे प्रतिबंध को अनुचित मानते हैं उनका कहना है कि "जाहिर है, मालिक अपने कुत्तों के व्यवहार के लिए जिम्मेदार हैं.लेकिन इन नस्लों के साथ अन्याय करने के बजायइन कुत्तों को कैसे रखा जाए, इस प्रशिक्षण पर ध्यान दिया जाना चाहिए."
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