मुंबई में लिट्टी-चोखा और संघर्ष: बस इतना सा ख्वाब है!

परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिए छोड़ दी पढ़ाई, बेच रहे लिट्टी-चोखा

दिव्या तलवार
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<div class="paragraphs"><p>मुंबई में लिट्टी-चोखा और संघर्ष</p></div>
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मुंबई में लिट्टी-चोखा और संघर्ष

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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'मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी ताकि मेरे भाइयों को पढ़ाई न छोड़नी पड़े'- छत्तीसगढ़ के रहने वाले योगेश बंजारे अपनी जिंदगी की मुश्किलों को गिनाते हैं. योगेश बंजारे अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं. काम और बेहतर कमाई की तलाश में योगेश छत्तीसगढ़ से मुंबई आए, ताकि अपने भाइयों की पढ़ाई जारी रख पाएं.

योगेश जब 10वीं क्लास में थे तब ही से उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था जिससे अपनी पढ़ाई का खर्च वो खुद निकाल सकें. योगेश के पिता की सेहत सही नहीं रहती. ऐसे में वो काम पर नहीं जाते. यही वजह है कि घर की जिम्मेदारी योगेश ने अपने कंधों पर ले ली.

मुझे स्कूल बीच में ही छोड़ना पड़ा, मुझे लगा अगर मैंने अभी कुछ काम नहीं किया तो मेरे साथ-साथ मेरे भाई भी आगे पढ़ नहीं पाएंगे. तो मैंने कई जगह काम ढूंढना शुरू कर दिया. मैंने नया काम आजमाने के लिए और कुछ बेहतर कमाई के लिए मुंबई आने का फैसला किया.
योगेश बंजारे, लिट्टी चोखा स्टॉल के मालिक

योगेश के कड़े संघर्ष की कहानी तब शुरू होती है मुंबई के रेस्टोरेंट में एक हेल्पर के तौर पर काम करते थे. होटेल की स्थिति भी ठीक नहीं थी, योगेश बताते हैं कि उन्हें कई महीनों तक काम करने के बावजूद तनख्वाह नहीं मिली.

कुछ वक्त तक योगेश ने लोगों से पैसे उधार लेकर अपना गुजारा किया. लेकिन एक दिन उन्होंने ये निर्णय लिया कि वो अपने दोस्त से लिए पैसे से अपना खुद का स्टॉल शुरू करेंगे.

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इसी के साथ ही एक ग्राहक ने उनकी फोटो ट्विटर पर शेयर करते हुए उनके लिट्टी की तारीफ करते हुए पोस्ट किया. कुछ ही वक्त में वो पोस्ट वायरल हो गया.जिसके बाद जोमेटो और स्विगी ने योगेश के स्टॉल को अपनी ऐप पर लिस्ट किया.

जब पोस्ट वायरल हो गया तो स्विगी और जोमैटो ने मेरी मदद की, लेकिन उससे मेरे बिजनेस को कुछ फायदा नहीं हुआ. मेरे कस्टमर नहीं बढ़े, मैंने स्विगी और जोमेटो से स्टॉल को लिस्ट करने की मांग नहीं की थी, मुझे एक शॉप, एक दुकान खोलने के लिए मदद चाहिए थी. म
योगेश बंजारे, लिट्टी चोखा स्टॉल के मालिक

योगेश चाहते हैं कि उनकी एक दुकान हो ताकि उन्हें सड़क पर मिलने वाली गाली और हर वक्त स्टॉल हट जाने का डर खत्म हो सके.

आज योगेश हर महीने लगभग 15 से 16 हजार रुपए कमाते हैं. स्टॉल का सामान, घर के किराए के बाद जो बचता है योगेश अपने घर भेज देते हैं. फिलहाल मुंबई में योगेश जहां रहते हैं वहां उनके पड़ौसी उनके लिए खाना बना कर देते हैं. योगेश कहते हैं कि उन्होंने भूख देखी है इसलिए वो जरूरतमंदों को भी खाना देते हैं.

योगेश की परेशानी खत्म नहीं हो रही हैं लेकिन योगेश भी हार मानने वालों में से नहीं हैं. योगेश के संघर्ष की कहानी सभी को, कभी न हार मानने की प्रेरणा देती है.

कैमरा: संजोय देब/गौतम शर्मा

एडिटर: वीरू कृष्णा मोहन

प्रोड्यूसर: दिव्या तलवार

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