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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे का मानना है कि आज मीडिया पर हर तरफ से दबाव पड़ रहा है. सत्तापक्ष का दबाव है और यहां तक जिस प्रेस काउंसिल को उसके हितों की रक्षा करनी चाहिए, वो भी मीडिया के खिलाफ खड़ी नजर आ रही है. हालांकि मृणाल का ये भी मानना है कि हिंदी मीडिया का भविष्य उज्जवल है.
मृणाल पांडे ने हाल ही में CSDS की ओर से आयोजित विशेष व्याख्यान: ‘हिंदी मीडिया, बेपनाह ताकत के खतरे’ में हिस्सा लिया. इस मौके पर क्विंट हिंदी ने मीडिया के मौजूदा हालत पर उनसे बात की.
उन्होंने कहा कि ये मामला अदालत में लंबित है, उसके प्रमुख ने बिना विषय को काउंसिल के सदस्यों की मीटिंग में रखे एकतरफा अपनी ओर से बयान दे दिया कि वो सरकार का समर्थन करते हैं. ये समय है कि मीडिया एकजुटता दिखाए, मीडिया से जुड़े संगठन उसे वो छतरी दें जो कई वजहों से उसे उपलब्ध नहीं है.
बता दें कि 10 अगस्त को अनुराधा भसीन ने कश्मीर में कम्यूनिकेशन ब्लैकआउट के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
लेकिन प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन जस्टिस चंद्रमौली प्रसाद ने अनुराधा भसीन की याचिका में हस्तक्षेप करते हुए सरकार के कदमों का समर्थन किया था और सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई थी.
मौजूदा समय में हिंदी मीडिया की हालत पर वो कहती हैं कि BJP ने हिंदी मीडिया की पूछ तो बढ़ा दी है लेकिन इसका इस्तेमाल एकतरफा संवाद के लिए किया जा रहा है.
“बीजेपी के अधिकतर लोग हिंदी में ही बोलना पसंद करते हैं, राजनीतिक वजहों से भी. लेकिन दिक्कत ये है कि वो एकतरफा संवाद चाहते हैं. एकतरफा संवाद अगर अखबार करने लगें तो उनकी क्षमता और साख घटती है. बाजार में अपना सिर उठाए रखने के लिए, राजनीति से नजदीकियां बनाए रखने के लिए और बाजार से पैसा खींचने के लिए हिंदी ने इस बीच शक्ति से कई समझौते किए हैं.”
कमजोर बुनियादी ढांचा, मीडिया संस्थानों में परिवारवाद, बाजार के तमाम खतरों के बावजूद वो हिंदी मीडिया का भविष्य उज्जवल बताती हैं. गूगल और मीडिया मॉनिटरिंग ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए उन्होंने बताया,
देखिए इस खास बातचीत का पूरा वीडियो.
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