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वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह/मयंक चावला
वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम
जो इंडिया है ना... ये तूफान नूपुर की चपेट में आ गया है. 26 मई को BJP की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) ने एक न्यूज चैनल पर पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया. देश में मुसलमान इसको लेकर नाराज थे. लेकिन जैसा अनुमान था, कुछ नहीं हुआ.
1 जून को BJP के दिल्ली मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल (Naveen Kumar Jindal) ने भी एक ट्वीट में हजरत मोहम्मद का अपमान किया. फिर से, कुछ नहीं हुआ. लेकिन 4 जून के बाद से... कतर, यूएई, कुवैत, ईरान, इराक, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, बहरीन, लीबिया, जॉर्डन, मालदीव, यहां तक कि पाकिस्तान, तालिबान, तुर्की, मलेशिया... एक के बाद दूसरे देश ने विरोध किया. वो भी कड़े शब्दों में...भारत के राजदूतों को बुला बुलाकर डांटा गया.
ये जो इंडिया है ना... उसके पास, पिछले कुछ दिनों के ड्रामा को लेकर, कई सवाल हैं -
पहला, नूपुर शर्मा की टिप्पणियों और उनके सस्पेंशन के बीच.. 10 दिनों का अंतर क्यों?
दुख की बात है कि इसका जवाब बहुत सरल है - क्योंकि हमारे अपने करोड़ों मुस्लिम नागरिकों की भावनाओं को हम महत्व नहीं देते. हमने तभी जवाब दिया, जब मुस्लिम राष्ट्र, जब विदेशों में मुसलमान नाराज हुए. जब विदेश में हमारी छवि धूमिल हुई. जब इसके राजनीतिक और आर्थिक दुष्परिणाम साफ दिखने लगे. फरहान अख्तर का यह ट्वीट भारत के मुसलमानों की निराशा को दर्शाता है. नूपुर शर्मा के 'बयान वापस लेने' के बाद उन्होंने कहा- जबरदस्ती में मांगी गई माफी, कभी दिल से नहीं मांगी जाती है.
इसी से, अगला सवाल उठता है - BJP ने नूपुर शर्मा और जिंदल को सजा क्यों दी?
क्योंकि खाड़ी के देश काफी ज्यादा मायने रखते हैं.
लेकिन हैरानी की बात ये है कि BJP के प्रवक्ताओं को या तो ये सब पता नहीं, या फिर उन्हें इस बात की परवाह नहीं, कि किसी दिन समाचार चैनलों पर उनके लगभग हर दिन दिए जाने वाले हेट स्पीच की कीमत, भारत को चुकानी होगी. अभी भी, इन प्रवक्ताओं को हटाना, खाड़ी देशों की नाराजगी को कम करने के लिए एक रणनीतिक चाल की तरह ज्यादा दिख रही है.. न कि इस बात को स्वीकार करना कि हमारे सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने में कुछ गहरी खराबी है...
एक और सवाल जो कई लोग पूछ रहे हैं - BJP की गलती का भुगतान देश क्यों कर रहा है? भारत माफी क्यों मांग रहा है? खाड़ी में भारतीय राजदूत इस रायते को क्यों समेट रहे हैं, जबकि पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने वाले, दो BJP प्रवक्ता थे?
सवाल वाजिब हैं. मिडिल ईस्ट में भारत की विदेश नीति, खाड़ी देशों के साथ हमारे सफल संबंध, आर्थिक संबंध, सांस्कृतिक संबंध, दशकों की नीतियों और मेहनत का परिणाम है. इन रिश्तों पर खुद मोदी ने मेहनत की है. क्या ये उचित है कि BJP का कोई प्रवक्ता 'रिश्तों की इस जमा पूंजी' एक झटके में खराब दे? नहीं, लेकिन ऐसा ही हुआ है.
एक और सवाल पूछा जा रहा है कि - कतर में भारत के राजदूत ने नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की टिप्पणी को "फ्रिंज एलिमेंट के विचार" क्यों कहा? क्या बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली बीजेपी के मीडिया हेड को फ्रिंज एलिमेंट कहा जा सकता है?
नूपुर शर्मा के ट्विटर अकाउंट को मोदीजी, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और अन्य बड़े नेता फॉलो करते हैं. नवीन कुमार जिंदल को दिल्ली बीजेपी के सभी नेता फॉलो करते हैं. और फिर, 'राष्ट्रीय प्रवक्ता' का क्या अर्थ है? इसका मतलब है कि नुपुर शर्मा राष्ट्रीय स्तर पर BJP के लिए बोलती हैं. उनके विचार, उनके शब्द, BJP के विचार और शब्द हैं. सो जी नहीं, नूपुर शर्मा और जिंदल फ्रिंज एलिमेंट नहीं थे.
और इससे जुड़ा एक और सवाल है - फ्रिंज या नॉन-फ्रिंज, क्या वास्तव में भारत में हेट स्पीच से निपटने के लिए कोई योजना है?
सीधा जवाब- हमें ऐसी कोई योजना नहीं दिखती. कुछ भी हो, फ्रिंज वाले हो या पार्टी के प्रवक्ता .. समाचार चैनल हो या चुनावी भाषण या धर्म संसद.. देश भर में हेट स्पीच हाल के दिनों में, बढ़ी ही है. मुसलमानों को मारने, मुस्लिम महिलाओं के बलात्कार, देश के कानून की अनदेखी करने की बात बार-बार सुनी जाती है. बुलडोजर राज से लेकर धर्मांतरण विरोधी कानून तक, जिन्हें हम संविधान के खिलाफ मानते हैं ... मुख्यमंत्रियों का अल्पसंख्यकों को परेशान करने के लिए आपसी होड़ – हर तरह से नफरत केवल बढ़ रही है.
और दुनिया नहीं देख रही कि कौन फ्रिंज है, कौन फ्रिंज नहीं है... उन्हें यति नरसिंहानंद और नूपुर शर्मा की कट्टरता के बीच अंतर नहीं दिखता . आश्चर्य की बात ये भी है कि जहां BJP ने नुपुर शर्मा को सस्पेंड किया, वहीं नरसिंहनाद ने, नूपुर शर्मा की तारीफ की है… BJP नेतृत्व को बार-बार ताना मारने के बावजूद... नफरत फैलाने के लिए कई FIR दर्ज होने के बावजूद, नरसिंहानंद आजाद घूमते हैं… ये दिखाता है कि हम वास्तव में नफरत के खिलाफ कुछ नहीं कर रहे हैं.
ये जो इंडिया है ना... यहां, जब तक मुस्लिमों को टारगेट करना चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बना रहेगा - हिंदू खतरों में है, और यह सब मुसलमानों के कारण है - हम पार्टी के प्रवक्ताओं को भारत के मुसलमानों को बार-बार निशाना बनाते हुए देखेंगे.
सोच ऐसी लगती है - अगर इससे हमें चुनाव में सफलता मिलती है, तो ये करना जरूरी है, जायज है. हां, मुस्लिम दुनिया को एतराज हो सकता है, लेकिन उस नुकसान को विदेश मंत्री और भारत के राजदूत किसी तरह से सम्भाल लेंगे. इस मामले में भी, मुझे लगता है, सरकार कि यही उम्मीद है. और अगर नूपुर शर्मा कुछ ही महीनों में टीवी पर वापसी कर लेती हैं, तो हैरान मत होना.
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