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Religious Conversion: क्या भारत में धर्म परिवर्तन गैर कानूनी है?

क्या हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम, या बौद्ध धर्म अपनाना या कोई और धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाना कानून अपराध है?

शादाब मोइज़ी
न्यूज वीडियो
Published:
<div class="paragraphs"><p>धर्म परिवर्तन पर आखिर बवाल क्यों?</p></div>
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धर्म परिवर्तन पर आखिर बवाल क्यों?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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क्या भारत में धर्म परिवर्तन यानी religious conversion अवैध है, illegal है? क्या हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम, या बौद्ध धर्म अपनाना या कोई और धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाना कानून अपराध है? आपके मन में भी सवाल होगा कि आखिर धर्म परिवर्तन पर इतना बवाल क्यों होता है? धर्म परिवर्तन पर भारत का कानून क्या कहता है? ऐसे ही सवालों के जवाब आसान शब्दों में समझाने के लिए हम लेकर आए हैं.. नई सीरीज Quint Explainer- आसान भाषा में.

धर्म परिवर्तन की पूरी कहानी

5 अक्टूबर 2022 को आम आदमी पार्टी के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसमें हजारों लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली. इस दीक्षा में 22 प्रतिज्ञा यानी कसम खाई गई. प्रतिज्ञा यह है कि बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद लोग हिंदू भगवानों, जैसे ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम, कृष्ण, गौरी और गणपति की पूजा नहीं करेंगे. अब इस प्रतिज्ञा के बाद बवाल शुरू हो गया.

लेकिन आपको बता दें कि 14 अक्टूबर 1956 को भारत के संविधान के निर्माता भीम राव अंबेडकर ने जातिगत उत्पीड़न और छुआछूत की वजह से हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था. इसी दिन उन्होंने दीक्षा ली और 22 प्रतिज्ञाएं अपने follower को दी थी. इसी कसम को हर साल भारत में कई जगहों पर दोहराया जाता है.

चलिए अब आते हैं पहले सवाल पर, क्या भारत में धर्म परिवर्तन अपराध है?

जवाब है, बिल्कुल नहीं. इस बात को आप ऐसे समझिए कि जैसे आपको कोई स्कूल, कॉलेज नहीं पसंद है या पसंद है तो आप अपने हिसाब के स्कूल की तलाश करते हैं, ठीक उसी तरह धर्म परिवर्तन का भी मामला है.

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धर्म को लेकर संविधान क्या कहता है?

जिस किताब से देश चलता है मतलब भारतीय संविधान, constitution, उसमें आर्टिकल 25 से लेकर 28 तक धर्म की स्वतंत्रता यानी right to freedom of religion का जिक्र है. ये मौलिक अधिकारों में से एक है. इसमें धर्म के प्रचार-प्रसार की आजादी की बात है. आर्टिकल 25 में साफ-साफ लिखा है कि भारत में हर व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने की, प्रैक्टिस करने की और धर्म का प्रचार करने की आजादी है.

धर्म परिवर्तन पर कानून क्या कहता है?

इस सवाल के जवाब को समझने के लिए थोड़ा इतिहास पर नजर डालना होगा. आजादी से पहले अंग्रेजों ने धर्म परिवर्तन को लेकर कोई कानून नहीं बनाया था. लेकिन कई रियासतों ने इस पर कानून बनाया था. जैसे कि Raigarh State Conversion Act, 1936, Patna Freedom of Religion Act, 1942, Udaipur State Anti-Conversion Act, 1946. etc. अब अगर आजादी के बाद की बात करें तो धर्मांतरण विरोधी कानून पारित करने के लिए संसद से कई कोशिश की गई थीं, लेकिन ऐसा हो नहीं सका.

आसान भाषा में कहें तो फिलहाल सेंट्रल लेवल पर कोई ऐसा कानून नहीं है जिससे धर्मांतरण को रेगुलेट किया जा सके. लेकिन पिछले कई सालों में अलग-अलग राज्यों ने जबरदस्ती, फ्रॉड या लालच देकर किए जाने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए कानून बनाए हैं. ये राज्य हैं- 1. ओडिशा 2. मध्य प्रदेश 3. अरुणाचल प्रदेश 4. छत्तीसगढ़ 5. गुजरात 6. हिमाचल प्रदेश 7. झारखंड 8. उत्तराखंड 9. उत्तर प्रदेश.

धर्मांतरण कब 'अवैध' हो जाता है?

पिछले कुछ वक्त से कथित लव जिहाद या कहें जबरन Inter religious शादी रोकने के लिए धर्म परिवर्तन कानून बनाने की कोशिश हो रही है. लेकिन यहां आप ये जान लीजिए कि कानून के हिसाब से सभी धर्म परिवर्तन पर बैन या उसे अपराध की कैटेगरी में शामिल नहीं किया गया है. बल्कि जिन राज्यों में धर्म परिवर्तन पर कानून बने हैं वहां कानून में गलत बयानी, जबरदस्ती, forced, धोखाधड़ी के जरिए धर्मांतरण को अवैध बनाया गया है. मतलब धर्म परिवर्तन अवैध नहीं है. Illegal नहीं है. जबरन, धोखाधड़ी के जरिए धर्म परिवर्तन अपराध है.

जिन राज्यों में ऐसे कानून नहीं हैं वहां जबरन धर्म परिवर्तन पर कैसे रोक लग सकता है?

जवाब है कि धड़ाधड़ बन रहे धर्मांतरण विरोधी कानूनों के बिना भी किसी को मजबूर करना या धोखे से किसी का धर्म परिवर्तन कराना भारतीय दंड संहिता के तहत एक अपराध है. IPC में पहले से ही कई सारे कानून मौजूद हैं जिनके जरिए ऐसी समस्या से निपटा जा सकता है.

अगर किसी की मर्जी के खिलाफ उससे कोई काम करने के लिए मजबूर किया जाता है तो, आपराधिक धमकी (criminal intimidation) का मामला बनता है और इसके लिए कानून मौजूद है. इसके लिए पहले से ही 7 साल की सजा का प्रावधान है. अगर आप किसी लड़की से शादी करने के लिए उसे अगवा करते हो तो उसमें भी अपहरण का केस दर्ज होता है, उसके लिए भी कानून मौजूद है.

अब यहां एक बात समझना सबसे जरूरी है कि अपनी मर्जी से किसी एडल्ट को धर्म परिवर्तन करने से कोई रोक नहीं सकता, लेकिन मामला यहां इतना साफ नहीं है. दरअसल, इस पूरे मामले को शक के घेरे में लाने के लिए 'प्रलोभन' Allurement और 'जबरन' forced, undue influence शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे अलग-अलग राज्यों में बने कानूनों में आकर्षण या प्रलोभन की साफ परिभाषा या definition नहीं है

थोड़ा इसे और आसान भाषा में एग्जैंपल के साथ समझते हैं. अब अगर यूपी के नए धर्मांतरण कानून को लें, तो इसमें लुभाना शब्द का जिक्र किया गया है. लेकिन आप देखेंगे कि कई दलितों ने कई मौकों पर अलग-अलग धर्मों को अपनाया है क्योंकि उनका मानना ​​है कि नए धर्म में उनके साथ बेहतर व्यवहार किया जाएगा, तो ऐसे में क्या यह 'बेहतर लाइफ स्टाइल' का ‘लालच’ कहलाएगा क्या?

धर्म परिवर्तन का प्रोसेस क्या है?

हर राज्य में इसका अलग-अलग प्रोसेस है. उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास एक घोषणा पत्र देना होता है. व्यक्ति को घोषणापत्र में 60 दिन का नोटिस और धर्म परिवर्तन करवाने वाले को एक महीने का नोटिस देना होता है. दोनों के घोषणापत्र मिलने के बाद डीएम को मामले में पुलिस जांच करानी होती है ताकि वो धर्म परिवर्तन के पीछे के कारण वगैरह का पता लगा सकें.

इसके साथ ही धर्म परिवर्तन करने वाले को यह भी बताना होगा कि वे बिना किसी लालच, डर और बहकावे के धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. इसके बाद डीएम सार्वजनिक तौर पर घोषणापत्र की कॉपी जारी करेंगे और धर्मांतरण में किसी भी तरह की आपत्ति अगर हो तो वो दर्ज करेंगे. घोषणापत्र जारी करने के 21 दिन के अंदर धर्म बदलने वाले को डीएम के सामने पेश होना होगा जिससे वो अपनी पहचान पुख्ता कर सके.

इसमें एक बात और है कि धर्म परिवर्तन करने वाला शख्स कभी भी अपने पुराने धर्म को अपना सकता है.

जबरन धर्म परिवर्तन की सजा क्या है?

इस कानून में सजा की बात भी कही गई है. जैसे धर्म छिपाकर शादी करने पर 10 साल तक की सजा, नाबालिग या अनुसूचित जाति या जनजाति की महिला और किसी भी शख्स का जबरन धर्म परिवर्तन करवाने पर 10 साल तक की सजा, 25 हजार तक जुर्माना. गैरकानूनी सामूहिक धर्म परिवर्तन करवाने पर 50 हजार तक जुर्माना, 3 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है.

लेकिन आपको बता दें कि कई राज्यों के इन ऑर्डिनेंस को अपर कोर्ट में चुनौती दी गई है. फिलहाल मामला अदालत में है, लेकिन कानून का इस्तेमाल सरकारें अपने हिसाब से कर रही हैं.

कुल मिलाकर धर्म परिवर्तन जुर्म नहीं है, जबतक कि जबरन न हो, लालच, धोखा न हो. अब जरूरत है कि प्रलोभन, लालच को परिभाषित किया जाए, define किया जाए. ये तो हुई religious conversion की बात, लेकिन अगर आप चाहते हैं कि हम और भी किसी अहम मुद्दे को आसान भाषा में समझाएं तो कमेंट बॉक्स में अपने सजेशन जरूर लिखें.

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