"मैं आतंकवादी वाली भाषा नहीं बोलता, मैं किसी को आतंकित नहीं करता, मैं जाति और धर्म के नाम पर उन्माद पैदा करने वाली भाषा नहीं बोलता मैं किसी की भावनाओं को भड़काने वाली बात नहीं करता." ये बोलना है आम आदमी पार्टी के नेता राजेंद्र गौतम का, जो अब दिल्ली सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं. क्विंट से बात करते हुए उन्होंने ये सब बातें कही.
उन्होंने कहा कि दीक्षा समारोह पूरे देश में हुआ. नागपुर में हर साल होता है, लाखों लोग शामिल होते हैं. यहां तक बीजेपी के मुख्यमंत्री शामिल होते हैं, भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं. तब तो बीजेपी ने इसको मुद्दा नहीं बनाया. ये हमे और हमारी पार्टी को बदनाम करने की साजिश है.
गौतम ने कहा कि आज देश की जितनी जांच एजेंसिया (CBI, ED, IT) हैं, उसे बीजेपी टूल की तरह इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा कि असली मुद्दा गुजरात का चुनाव है. गुजरात में बीजेपी बुरी तरीके से हार रही है और आम आदमी पार्टी की सरकार बन रही है.
राजेंद्र गौतम ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि इस मुद्दे को बीजेपी ने जान बूझकर बनाया है. क्योंकि, उसी 5 अक्टूबर के दिन नागपुर की दीक्षा भूमि में भारत सरकार के दो-दो केंद्रीय मंत्री देवेंद्र फणडवीस और रामदास अठावले भी शामिल हुए थे. वहां, भी 22 प्रतिज्ञाएं दोहराई गईं हैं. और ये आज से नहीं हो रहा है.
उन्होंने बताया कि 14 अक्टूबर 1956 को डॉ. बाबा साहब अंबेडकर जी ने नागपुर की दीक्षा भूमि में अपने लाखों अनुयायिओं के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी और लोगों को 22 प्रतिज्ञाएं दिलवाई थीं. इसमें कोई गलत नहीं है. इसमें किसी के धर्म की आस्था को ठेस पहुंचाने की कोई बात नहीं है. ये मुद्दा वो नहीं है. ये मुद्दा गुजरात चुनाव है. क्योंकि, बीजेपी वहां हार रही है और आम आदमी पार्टी की सरकार बन रही है.
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