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श्रीनगर ग्राउंड रिपोर्ट 13- ‘हमें क्यों टॉर्चर किया जा रहा है’

*जुनैद ने क्विंट से बातचीत में उनके साथ जो हुआ उसकी पूरी कहानी बताई

पूनम अग्रवाल
न्यूज वीडियो
Published:
(फोटो: क्विंट हिंदी)
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(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम

9 अगस्त को श्रीनगर की एक मस्जिद के बाहर 22 साल के जुनैद पैलेट का निशाना बन गए. इससे उनकी आंख पर भी चोट लगी. *जुनैद ने पहचान छिपाने की शर्त पर क्विंट से बातचीत की. इस बातचीत में जुनैद ने एक बड़ा सवाल पूछा- 'हमें क्यों प्रताड़ित किया जा रहा है?'

जुनैद (बदला हुआ नाम) ने क्विंट से बातचीत में उनके साथ जो हुआ उसकी पूरी कहानी बताई, उन्होंने कहा- ‘’शुक्रवार को प्रोटेस्ट चल रहा था, नमाज खत्म हुई और प्रदर्शन शुरू हो गया, उसके बाद हम फिर से नमाज पढ़ने जा रहे थे. तब हालात सामान्य थे, घरवालों ने भी रोक-टोक नहीं की, घरवालों का कहना था कि स्थिति सामान्य है आप जा सकते हो नमाज पढ़ने. हम नमाज पढ़ने गए, फिर जब बाहर आए तो हमने शोर शराबा देखा, सभी लोग बैठ गए थे, हमने पूछा कि 'मसला क्या है?' तो उन्होंने कहा कि 'पता नहीं ये पैलेट्स कहां से आ रहे हैं?'

जुनैद ने आगे बताया -

हम आहिस्ता-आहिस्ता आगे जा रहे थे. फिर मैंने खुद देखा कि वहां CRPF के 3 जवान और J&K पुलिस के 4 जवान थे. इसे हम ‘गलती’ नहीं कह सकते, इसे हम प्रताड़ित करना कहेंगे. उन्होंने हम पर टारगेट किया, हमारे साथ बुजुर्ग और बच्चे भी थे ,वो भी जख्मी हो गए. एक को नजदीकी अस्पताल ले गए, जिनकी स्थिति ज्यादा गंभीर थी. 
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जुनैद की दाईं आंख डैमेज हो गई और पैलेट उनके दिमाग में फंस गई, अभी जुनैद देख पा रहे हैं लेकिन उन्हें धुंधला दिखाई देता है.

जुनैद ने बताया-

हम उनसे कहना चाहते हैं, जो यहां के सियासतदान हैं कि ‘कब तक हम ये जुल्म सहेंगे.’ एक कश्मीरी मां को ये डर लगता है कि उनका बेटा वापस आएगा भी या नहीं. तो हम ये कहना चाहते हैं कि ये रोज-रोज क्यों हो रहा है? ये हमारी जमीन है, तो इसका हक बनता है हमें. हम आवाज क्यों नहीं उठाएंगे? और ये लोग जानबूझ कर हमारे साथ ये सब कर रहे हैं.

सुरक्षाकर्मियों ने क्विंट को बताया है कि उन्होंने पैलेट प्रदर्शनकारियों के खिलाफ इस्तेमाल की, न कि आम जनता पर.

SMHS अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि 14 अगस्त तक उन्होंने 14 मरीज एडमिट किए हैं, जिन्हें पैलेट के कारण आंख में चोट लगी थी. उनका ये भी कहना है कि इन 14 मरीजों में से किसी ने भी अपनी आंखें नहीं खोई हैं. लेकिन अभी भी वो लगातार अस्पताल आ रहे हैं, फॉलोअप के लिए.

5 से 14 अगस्त के बीच कई पीड़ितों को अस्पताल में भर्ती किया गया है, इनमें 1 महिला भी शामिल है

370 से पहले भी पैलेट

सुरक्षाकर्मी आर्टिकल 370 बेअसर होने के बाद ही प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. कश्मीर में पैलेट गन से घायल होने वाले लोगों की खबरें पहले भी आती रही हैं.

शोपियां का एक 17 साल का युवक 2 अगस्त को पैलेट से घायल हुआ था, अब उसे एक आंख से दिखना बंद हो गया है. इस युवक के भाई ने भी क्विंट से बात की.

2 अगस्त को शोपियां में एनकाउंटर था, जो लगभग 40 घंटों तक चला. हम उस एनकाउंटर साइट से 1-2 किलोमीटर दूर ही रहते हैं. जब सुरक्षाकर्मी लौट रहे थे वो जहां मन आया वहां पैलेट चला रहे थे. हमारा भाई आंगन में बैठा था, गेट बंद था, फिर भी पैलेट उसकी आंख में लग गया. मेरे घर के लोग दूसरी साइड पर थे, इसलिए वो घायल होने से बच गए.
शोपियां में पैलेट गन से जख्मी युवक का भाई

सुरक्षाबल के एक वरिष्ठ अधिकारी का दावा है कि वे पैलेट गन का इस्तेमाल तभी करते हैं, जब आंसू-गैस प्रदर्शनकारियों को काबू नहीं कर पाती.

तो क्या इसका मतलब ये है कि 5 अगस्त से प्रदर्शनकारी भारी संख्या में सड़कों पर निकले हैं और सुरक्षाबलों को उन्हें काबू में करने के लिए जूझना पड़ा है?

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