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MCD Election|शाहीन बाग: क्यों यहां नहीं दिखता 'सबका साथ-सबका विकास'

Shaheen Bagh: आंदोलन, बिरयानी से दूर विकास के लिए तरसते लोग

शादाब मोइज़ी
न्यूज वीडियो
Published:
<div class="paragraphs"><p>शाहीन बाग: क्यों यहां नहीं दिखता 'सबका साथ-सबका विकास'</p></div>
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शाहीन बाग: क्यों यहां नहीं दिखता 'सबका साथ-सबका विकास'

फोटो- क्विंट हिंदी

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नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान एक नाम सबसे ज्यादा मशहूर हुआ था. वो नाम था शाहीन बाग. दिल्ली के शाहीन बाग को लेकर नेताओं और मीडिया के एक धड़े ने एक अलग नकारात्मक छवि गढ़ी- आंदोलन, बिरयानी, भीड़, सरकार विरोधी. लेकिन इन सबसे कहीं दूर शाहीन बाग की एक अलग तस्वीर भी है, जो शाहीन बाग के हालात को बयान करती है.

दरअसल, देश की राजधानी दिल्ली में नगर निगम चुनाव हो रहे हैं. दिल्ली की गलियों में भारतीय जनता पार्टी से लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के झंडे से लेकर प्रचार की गाड़ियां घूम रही हैं. लेकिन दिल्ली के शाहीन बाग में 'विकास' की गाड़ी शायद पंकचर हो गई है.

एक एंबुलेंस, 3 किलोमीटर का रास्ता, 32 मिनट का सफर

दरअसल, क्विंट ने शाहीन बाग में एक रियलिटी चेक किया. हमने शाहीन बाग में लोगों की जरूरी सुविधाओं को समझने के लिए एक एंबुलेंस को बुलाया. ताकि हम ये देख सकें कि एक मरीज को पास के अस्पताल में जाने के लिए कितना वक्ता लगता है.

शाहीन बाग की संकरी गलियों में एंबुलेंस को डेढ़ किलोमीटर के रास्ते को पार करने में 20 मिनट लगे. फिर वापस अस्पताल पहुंचने में 12 मिनट. कुल मिलाकर 32 मिनट में हमने 3 किलोमीटर का रास्ता तय किया.

एंबुलेंस ड्राइवर, महेश कुमार कहते हैं कि कई बार इन देरी की वजह से लोगों की जान भी चली जाती है.

महेश कहते हैं कि आज पता नहीं कैसे भीड़ कम थी इसलिए सिर्फ 32 मिनट ही लगे, नहीं तो इस इलाके में इनती दूरी के लिए 45 से 60 मिनट लग जाते हैं. महेश की माने तो सड़क की चौराई के साथ-साथ अतिकरमण और खराब सड़कों की वजह से वक्त ज्यादा लगते हैं.

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"सड़क कहां है? नाले पर सड़क है, वो भी टूटी हुई"

शाहीन बाग में एक ऐसी 'नायाब' सड़क है जहां सड़क से ज्यादा चौड़ा नाले का ढ़क्कन है. करीब-करीब हर 10-20 मीटर की दूरी पर बना ये गटर का ढ़क्कन कहीं टूटा है तही धसा. शाहीन बाग के रहने वाले मोहम्मद इमरान, जिनकी इस सड़के के पास दुकान है, वो कहते हैं,

पिछले दो सालों से नाले का ढ़क्कन टूटा हुआ है. लोग इसकी वजह से चोटिल होते हैं, गाड़ियां फंस जाती हैं, जल जमाव होता है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं है. हर पार्टी के नेता आते हैं और बस वादा कर के जाते हैं. ठीक कोई नहीं कराता.

कूड़े का ढेर, जनता की उम्मीदें भी ढेर

शाहीन बाग में खुले में कुड़े का ढ़ेर आम बात है. जैसे ही आप उत्तर प्रदेश के नोएडा से कालिंदी कुंज के रास्ते शाहीन बाग जाएंगे को सड़क किनारे या कहें आधे सड़क पर कूड़े का ढेर दिख जाएगा. ऊपर से उन कूड़ों में मौजूद गंदगी और प्लास्टिक खाते गौवंश और चील, बगुले दिख जाएंगे.

बता दें कि दिल्ली नगर निगम चुनाव के लिए 4 दिसंबर को वोटिंग होनी है इसके नतीजे 7 दिसंबर को जारी किए जाएंगे.

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