advertisement
वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता
कैमरा: शिव कुमार मौर्य
वीडियो प्रोड्यूसर: सोनल गुप्ता
चलिए. आखिरकार! मोदी सरकार को सरकारी खर्च बढ़ाकर देश के जीडीपी में तेजी लाने की कोशिश के फिजूल होने का अहसास हो गया. पिछले 6 साल में सरकारी खर्च में चक्रवृद्धि दर (कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट) में दहाई अंकों में बढ़ोतरी के बावजूद जीडीपी ग्रोथ खस्ताहाल बनी हुई थी. याद रखिए कि भारत सरकार सिर्फ हमारी 10 पर्सेंट इकॉनमी को निर्देशित कर सकती है और यह काम भी वह अक्सर ढंग से नहीं कर पाती.
आखिरकार, सरकार ने मान लिया कि 5 जुलाई 2019 को उसने जो बजट पेश किया था, वह नाकाम नीतिगत दस्तावेज था. उसने यह भी कबूल किया कि देश की आर्थिक ग्रोथ का सबसे ताकतवर इंजन निजी क्षेत्र है, जिसका जीडीपी में 90 पर्सेंट से अधिक योगदान है.
आखिरकार 6 दर्दनाक वर्षों के बाद उसने यह रवैया भी छोड़ दिया कि‘मैं ही सरकार हूं और मैं सब कुछ ठीक कर सकती हूं.’ अंत में उसने यह बात भी मान ली कि‘मैं आपको सशक्त बनाकर और आप पर भरोसा करके एनिमल स्पिरिट्स को आजाद करूंगा.’
सरकार ने जीडीपी के 0.6 पर्सेंट से अधिक का हैरतंगेज फिस्कल पैकेज दिया है. इसमें कोई शक नहीं कि इस दरियादिली से कंपनियों की बैलेंस शीट में 1.45 लाख करोड़ का अतिरिक्त कैश जुड़ेगा. पहली नजर में देखने पर लगता है कि सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स रेट में एक झटके में 10 पर्सेंट की कमी की है (इससे पी चिदंबरम के 1997-98 के ‘ड्रीम बजट’ की याद ताजा हो गई है- आउच!)
बेशक, मैं इस कदम से खुश हूं, लेकिन खुशी के मारे झूम नहीं रहा. मैं यहां इसकी तीन वजहें दे रहा हूं:
जरा कल्पना करिए कि कंपनियों को अधिक कैश देने के बजाय सरकार ने नीचे दिए गए टैक्स में कटौती की होती तो इसका आम लोगों को सीधा और तुरंत फायदा मिलताः
मैंने अपनी रिसर्च टीम से पता लगाने को कहा था कि अगर ये तीनों टैक्स खत्म किए जाते तो सरकार को कितना रेवेन्यू लॉस यानी आमदनी का नुकसान होता.अफसोस कि इस लेख के लिखे जाने तक हम भारी-भरकम सरकारी दस्तावेजों से यह आंकड़ा हासिल नहीं कर पाए थे. खैर, मेरा अनुमान है कि इन तीनों टैक्स को खत्म करने से सरकार को 1.50 लाख करोड़ रुपये या इससे कुछ हजार करोड़ कम या ज्यादा का रेवेन्यू लॉस होता, जो इतने व्यापक बदलाव को देखते हुए मायने नहीं रखता.
इतना ही नहीं, मैं शर्तिया कह सकता हूं कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से कंजम्पशन और निवेश में जितनी बढ़ोतरी होगी, उससे कई गुना अधिक इन पर असर आम लोगों को सीधे नकदी देने से होता. क्या कोई मेरे साथ इस पर शर्त लगाने को तैयार है, खासतौर पर रायसीना हिल का कोई शख्स (जहां वित्त मंत्रालय का ऑफिस है)?
इस वीडियो को English में देखने के लिए यहां क्लिक करें:
Dear FM, Here Are 3 Tax Cuts the Common People Would Welcome More
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)