Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019नीतीश जी, ‘बिहार में बहार है’ फिर आपके सिस्टम में क्यों हाहाकार है

नीतीश जी, ‘बिहार में बहार है’ फिर आपके सिस्टम में क्यों हाहाकार है

मीडिया को पॉजिटिव खबर दिखाने की नीतीश कुमार की नसीहत.

शादाब मोइज़ी
वीडियो
Updated:
सुशासन बाबू नीतीश के राज में दुशासन ने कैसे जन्म ले लिया
i
सुशासन बाबू नीतीश के राज में दुशासन ने कैसे जन्म ले लिया
(फोटोः क्विंट हिंदी)

advertisement

बिहार के मुजफ्फरपुर में जो हुआ, उससे सुशासन बाबू मतलब नीतीश कुमार के राज में दु:शासन की कहानी याद आ रही है. हां, वही महाभारत वाला दु:शासन. वो दु:शासन, जिसने द्रोपदी का चीर हरण किया था... लेकिन दु:शासन इस तरह सुशासन के दौर में जन्म लेगा, किसी ने सोचा नहीं होगा.

सोचा तो किसी ने ये भी नहीं होगा कि 13 साल से बिहार की सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार की नाक के नीचे मासूम लड़कियां के साथ दरिंदगी होती रहेगी और नीतीश जी सिस्टम को ही दोषी करार देंगे.

अब आप ही बताइए, एक दशक से ज्यादा से जिसकी सरकार हो, सिस्टम जिसके इशारे पर काम करता हो, जिसके एक हुक्म पर मंत्री से लेकर संतरी की नींद उड़ जाए, जो नियम बनाता हो, नियम बदलता हो, वो कह रहा है कि ‘सिस्टम’ में flows है, मतलब सिस्टम दोषी है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में कभी हंसी, तो कभी व्यंग्य

सिस्टम को कोसते-कोसते नीतीश जी भूल ही गए कि वो बलात्कार जैसे रूह कंपा देने वाले गुनाह पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. बिहार की उन बेटियों के साथ हुई हैवानियत पर बोलते हुए नीतीश कुमार कभी व्यंग्य कसते, तो कभी चवनिया मुस्कान देते.

यकीन न हो तो खुद ही देख लीजिये. नीतीश जी जब सिस्टम की नाकामी गिना रहे थे, तब कभी हंसी-ठिठोली हो रही थी, तो कभी मुस्कुराहट के तीर छोड़े जा रहे थे.

मीडिया को पॉजिटिव खबर दिखाने की नसीहत

पिछले 13 सालों से नीतीश कुमार को सब कुछ 'अच्छा' सुनने की ऐसी आदत लग गई थी कि उन्हें चीख के बीच भी तारीफ चाहिए. इसलिए सीएम साहब ने मीडिया को पॉजिटिव खबर दिखाने की नसीहत तक दे डाली.

नीतीश जी ने कहा:

जरा पॉजिटिव फीड पर भी आप लोग कृपा करके देख लें. एकाध निगेटिव चीज हो गई, उसी को लेकर चल रहे हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्या-क्या पॉजिटिव दिखाएं?

तो आपके हिसाब से ये एकाध चीज है, चलिए नीतीश जी तो आप ही बताइए कि क्या पॉजिटिव दिखाएं,

क्या ये दिखाएं कि उन लड़कियों के आंसू के बदले ब्रजेश ठाकुर के NGO को करोड़ों रुपये मिलते रहे और उसका विकास होता रहा. या फिर ये दिखाएं कि बिहार के अस्पताल में इलाज हो न हो, लेकिन मछली पालन का काम भी हो रहा है. या फिर बस आपकी तारीफ में यूं गुनगुनाते रहें कि बिहार में बहार है, फिर नीतीशे कुमार है?

चलिए मान लिया कि उन लड़कियों के दर्द को जानने के लिए आपने ही TISS (Tata Institute of Social Sciences) से ऑडिट करवाया, सब आपने ही करवाया, तो फिर ऑडिट रिपोर्ट सबमिट करने के दो महीने बाद 31 मई को FIR क्यों हुई?

ब्रजेश ठाकुर को गिरफ्तार करने में इतने दिन कैसे लग गए? रेस्क्यू के बाद मधुबनी में रखी गई लड़कियों में से एक लड़की गायब कैसे हो गई? क्या ये भी सिस्टम की गलती है या फिर सवाल करने वाले पत्रकारों की?

कैमरा- शिव कुमार मौर्या

वीडियो एडिटर- अभिषेक शर्मा

ये भीपढ़ें- नीतीश बाबू, हमें जिस बिहार पर नाज है, वो अब है कहां...

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 09 Aug 2018,04:38 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT