advertisement
वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की दो लोकसभा सीटों- फूलपुर और गोरखपुर में चुनाव नजदीक आते-आते हर दिन समीकरण बदलते दिख रहे हैं. 11 मार्च को चुनाव होना है और उससे पहले बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को समर्थन देने की घोषणा कर दी है.
कांग्रेस, एसपी और बीएसपी तीनों इस चुनाव के जरिए अपनी मजबूती टेस्ट करना चाहते हैं. ऐसा कहा जा सकता है कि ये उपचुनाव सभी पार्टियों के लिए बड़ी परीक्षा है. एक बार फिर इस चुनाव में मुख्य तौर पर जाति कार्ड पर ही जोर है.
फूलपुर संसदीय क्षेत्र में ओबीसी की तादाद ज्यादा है और इसमें भी कुर्मी वोटरों को निर्णायक माना जाता है. इसलिए अब कुर्मी वोटरों को अपने पाले में करने की लड़ाई तेज हो गई है. यहां बीजेपी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती इसलिए उसने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवारों के नाम आने के बाद पत्ते खोले और पटेल वोटों को ध्यान में रखते हुए बनारस के कौशलेंद्र सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया. कौशलेंद्र के सामने होंगे, एसपी के नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल. कौशलेंद्र के बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें बनारस से इंपोर्ट किया गया है. यानी उन पर बाहरी होने का ठप्पा है.
ये भी पढ़ें- यूपी उपचुनाव में एसपी-बीएसपी साथ, इसे 2019 के चश्मे से देखिए
क्विंट को अपनी ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान ऐसे कई लोग मिले जिन्होंने कहा कि चार साल के दौरान फूलपुर में ज्यादा कुछ हुआ नहीं हैं. वहीं ऐसे लोगों की भी ठीक-ठाक संख्या थी जिनसे बात करके ये इशारा मिला कि मामला अब भी जातिगत समीकरणों के इर्द-गिर्द ही रहने वाला है.
(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)