ADVERTISEMENTREMOVE AD

गोरखपुर-फूलपुर उपचुनाव: पिछले 5 लोकसभा चुनाव के नतीजों के मायने?

1998 से लेकर 2014 के चुनावी नतीजे क्या ट्रेंड बता रहे हैं? फूलपुर-गोरखपुर सीटों की खास बातें

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

देश की राजनीतिक 'राजधानी' उत्तर प्रदेश की दो हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है. गोरखपुर और फूलपुर की लोकसभा सीटों के लिए 11 मार्च को वोटिंग होगी और नतीजे 14 मार्च को आएंगे. गोरखपुर सीट से योगी आदित्यनाथ और फूलपुर सीट से केशव प्रसाद मौर्य सांसद थे. बाद में योगी के सीएम और केशव प्रसाद मौर्य के डिप्टी सीएम बनने के बाद ये दोनों सीटें खाली हो गईं थीं.

ऐसे में योगी सरकार के एक साल पूरे होने के बाद सबसे बड़ा मुकाबला सीएम और डिप्टी सीएम के गढ़ में ही है. फूलपुर में जहां बीजेपी ने पहली बार जीत दर्ज की थी वहीं गोरखपुर में 1991 के बाद से ही बीजेपी की सरकार है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

फूलपुर सीट का राजनीतिक 'गणित'

1998 से लेकर 2014 के चुनावी नतीजे क्या ट्रेंड बता रहे हैं? फूलपुर-गोरखपुर सीटों की खास बातें
केशव प्रसाद मौर्य, योगी आदित्यनाथ, दिनेश शर्मा और वेंकैया नायडू
(फोटो: पीटीआई)

इस सीट का इतिहास अपने आप में बेहद खास है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू समेत कई बड़े दिग्गजों ने इस सीट का नेतृत्व किया है. वहीं बीजेपी-बीएसपी के लिए भी ये सीट अहमियत रखता है. साल 1952,1957 और 1962 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस सीट का प्रतिनिधत्व किया था. साल 1962 में नेहरू को टक्कर देने के लिए डॉ राम मनोहर लोहिया उतरे, लेकिन करीब 55 हजार वोटों से हार गए.

1998 से लेकर 2014 के चुनावी नतीजे क्या ट्रेंड बता रहे हैं? फूलपुर-गोरखपुर सीटों की खास बातें
नोट: आंकड़ों में दशमलव का अंतर आ सकता है
(इंफोग्राफिक्स: द क्विंट)

पिछले 5 लोकसभा चुनाव की बात करें तो साल 2014 में बीजेपी को जहां 52 % वोट मिले, वहीं कांग्रेस, बीएसपी, एसपी के कुल वोटों की संख्या महज 43 % ही रह गई.

साल 2014 लोकसभा चुनाव की मोदी ‘लहर’ से पहले बीजेपी एक बार भी ये सीट जीत नहीं सकी, केशव प्रसाद मौर्य ने ‘लहर’ का फायदा उठाते हुए 5 लाख से भी ज्यादा वोटों से जीत हासिल की. 
0

बीएसपी के लिए ये सीट अहम

अटकलें ये भी लगाई जा रही थी कि इस सीट से बीएसपी अध्यक्ष मायावती चुनाव लड़ सकती हैं. ये वही सीट है जहां से साल 1996 के लोकसभा चुनावों में बीएसपी के संस्थापक कांशीराम हार चुके हैं. कांशीराम को समाजवादी पार्टी उम्मीदवार जंग बहादुर पटेल ने 16 हजार वोटों से हराया था. मायावती की बीएसपी ने इस सीट पर अपना खाता 2009 के चुनाव में खोला, जब कपिल मुनि करवरिया ने 30 फीसदी वोट हासिल किए थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

गोरखपुर सीट का राजनीतिक 'गणित'

पिछले 29 साल से गोरखपुर सीट से लगातार गोरक्षपीठ का दबदबा रहा है. साल 1989 में पीठ के महंत अवैद्यनाथ ने हिंदू महासभा की टिकट पर चुनाव लड़ा और 10 फीसदी वोट शेयर के अंतर से जनता दल के उम्मीदवार रामपाल सिंह को मात दी थी. 1991 और 1996 के चुनाव में अवैद्यनाथ ने बीजेपी की टिकट से जीत हासिल की थी. फिर 1998 से लगातार 2 दशक तक यानी अबतक इस सीट पर बीजेपी के टिकट पर योगी आदित्यनाथ काबिज हैं.

ऐसा नहीं है कि ये सिलसिला महंत अवैद्यनाथ के दौर से शुरू हुआ है. 1967 से 1970 के बीच महंत दिग्विजय नाथ गोरखपुर से निर्दलीय सांसद थे.
1998 से लेकर 2014 के चुनावी नतीजे क्या ट्रेंड बता रहे हैं? फूलपुर-गोरखपुर सीटों की खास बातें
नोट: आंकड़ों में दशमलव का अंतर आ सकता है
(इंफोग्राफिक्स: द क्विंट)

पिछले 5 लोकसभा चुनाव की बात करें तो 1998, 1991 में जहां बीजेपी को समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिलती दिखी थी. वहीं 2004 के बाद से बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×