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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
क्विंट हिंदी के स्पेशल सीरीज ‘पैसा है तो संभव है’ के चौथे एपिसोड में जानिए उन 6 सवालों की चेकलिस्ट जिनका जवाब घर खरीदने से पहले मिलना जरूरी है. घर खरीदने से पहले आपका होमवर्क क्या होना चाहिए?
चेकलिस्ट जिसमें हैं ये 6 मस्ट आस्क सवाल.
रियल एस्टेट डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन कानून 2016 यानी RERA के लागू होने के बाद से रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट के पास RERA रजिस्ट्रेशन नंबर होना जरूरी है. बस ये ध्यान रहे कि उन्हीं प्रोजेक्ट्स के पास RERA रजिस्ट्रेशन होगा जिनका एरिया 500 स्कवायर मीटर से ज्यादा होगा या 8 से ज्यादा फ्लैट होंगे. अगर अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में आप घर खरीदने वाले हैं तो बिल्डर से उसका RERA रजिस्ट्रेशन नंबर जरूर मांगें. इस रजिस्ट्रेशन नंबर को आप RERA की वेबसाइट पर क्रॉस चेक जरूर करें. बिल्डर का रजिस्ट्रेशन नंबर लेने के बाद जिस प्रोजेक्ट में आप घर खरीद रहे हैं उसके स्पेसिफिकेशन और अप्रूवल्स को राज्य की RERA पोर्टल पर जाकर गौर से पढ़ें- आपको जो बताया गया है वही फ्लैट का साइज, डिलीवरी डेट और डिजायन अप्रूवल मिले हैं या नहीं?
अगर आप ‘रेडी टू मूव इन’ फ्लैट ले रहे हैं तो उस प्रोजेक्ट के पास ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट यानी OC होना जरूरी है. ये OC एक बिल्डर को तभी मिलता है जब उसने न सिर्फ प्रोजेक्ट पूरा किया हो बल्कि अथॉरिटी के सारे पेमेंट्स कर दिए हों. अथॉरिटी से ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट का मतलब है कि पजेशन के लिए प्रॉपर्टी फिट है और फायर सेफ्टी से लेकर लिफ्ट सेफ्टी की जांच हो चुकी है यानी अथॉरिटी का ये ठप्पा है कि घर रहने लायक है. और वैसे भी आप घर की रजिस्ट्री भी तभी करवा पाएंगे जब आपके बिल्डर के पास OC होगा.
बिल्डर के पुराने डिलीवरी रिकॉर्ड को जानना बेहद जरूरी है जिसके लिए आपको B-4 पर भरोसा नहीं करना है मतलब ब्रोकर की बातों और बिल्डर के फैंसी ब्रोशर. इसके अलावा खुद भी बिल्डर के बैकग्राउंड के बारे में मालूम करें. इसका सबसे अच्छा तरीका है कि पता कीजिए कि बिल्डर ने अपने पुराने प्रोजेक्ट्स में टाइम कमिटमेंट को कैसे पूरा किया. इसमें गूगल बाबा भी आपकी मदद करेंगे लेकिन इसके अलावा आप बिल्डर से जुड़ी सारी खबरें जुटाइए. प्रोजेक्ट के बारे में जानिए और वहां रहने वाले लोगों से बात कीजिए. बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट का एक टूर जब आप लेगें तो कंस्ट्रक्शन क्वालिटी का भी अंदाजा आपको मिलेगा. और ये टूर किसी ब्रोकर के जरिये प्लान नहीं कीजिए बल्कि अपने दोस्तों या कलिग के जरिये जान पहचान निकालकर सोसायटी में पहुंच जाइए.
अप्रूविंग अथॉरिटी के बारे में जानना इसलिए जरूरी है ताकि आप सीधा अथॉरिटी से भी उस प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकें. अगर अथॉरिटी पता होगी तो आप RTI के जरिये संबधित अथॉरिटी से सैंक्शन मैप और बिल्डर को मिले सारे अप्रूवल्स के बारे में जान सकते हैं. ये जानना बेहतर है कि आपको पसंद आया प्रोजेक्ट किस अथॉरिटी के अंदर आता है.
बिल्डर से DOD यानी डीड ऑफ डिक्लेरेशन मांगें जो पूरे प्रोजेक्ट का एक ब्लू प्रिंट होता है. इससे आपको पता चलेगा कि पूरे प्रोजक्ट में कितने टावर होंगे? कॉमन एरिया कितना होगा? फ्लैट में लिवेबल एरिया कितना मिलेगा? और फ्लैट की वैल्यू कैसे आंकी गई है?
साथ ही में DOD आपको प्रोजेक्ट में ग्रीन एरिया, क्लब का साइज, ओपन एरिया के बारे में भी बताएगा.
जिस इलाके में घर खरीद रहें हैंउस इलाके को समझिए. जब भी घर खरीदने के लिए सैंपल फ्लैट देखने जाते हैं तो उजाले में जाते हैं और हममें से कितने लोग उसी लोकेशन को दिन ढलने के बाद जाकर देखते हैं. कितने लोग ये देखते हैं कि वहां सड़क और स्ट्रीट लाइट्स का क्या हाल है? अपनी कार के अलावा सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट सेउस लोकेशन पर पहुंचना कितना आसाना या मुश्किल है? नजदीकी सब्जी मार्केट, अस्पताल कहां हैं? तो किसी भी घर को फाइनल करने के पहले उस लोकेशन को केवल दिन के उजाले में ही नहीं बल्की रात के अंधेरे में भी परखें.
अगर ये 6 सवाल आप पूछेंगे तो शायद किसी फर्जी बिल्डर के झांसे में न फंसें!
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