Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019PM मोदी की सुरक्षा में चूक:राजनीति,'भक्तिगिरी' छोड़िए, इन 7 सवालों के जवाब खोजिए

PM मोदी की सुरक्षा में चूक:राजनीति,'भक्तिगिरी' छोड़िए, इन 7 सवालों के जवाब खोजिए

'अपने सीएम को थैंक्‍स कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया', ये बयान सबसे ज्यादा चर्चा में है.

शादाब मोइज़ी
वीडियो
Updated:
<div class="paragraphs"><p>PM मोदी की सुरक्षा में चूक: राजनीति, भक्तिगिरी छोड़िए, इन 7 सवालों के जवाब</p></div>
i

PM मोदी की सुरक्षा में चूक: राजनीति, भक्तिगिरी छोड़िए, इन 7 सवालों के जवाब

फोटो- क्विंट हिंदी

advertisement

वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

'अपने सीएम को थैंक्‍स कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया'.. ये वाक्य देश की मीडिया में सबसे ज्यादा चर्चा में है. अब सच में ये बात पीएम मोदी ने पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) के लिए कही है या नहीं ये पीएम ही बता सकते हैं. लेकिन एक न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से ये खबर दी उसके बाद सरकार के किसी व्यक्ति ने इससे इंकार नहीं किया है. और इसपर लगातार मीडिया 'हुंकार' भर रहा है. 'पीएम की खतरे में जान, गद्दारों का प्लान', 'मौत के मुंह से लौटे मोदी.' जैसी हेडलाइन बनाई जा रही हैं.

दूसरी तरफ सत्ता की साइड वाले नेता इसे प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) की सुरक्षा में चूक बता रहे हैं. लेकिन कोई ये नहीं बता रहा कि अगर पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक हुई तो कैसे हुई? असल जिम्मेदार कौन हैं? क्या देश की इंटेलिजेंस एजेंसियां कमजोर हैं? क्या पंजाब पुलिस ने जानबूझकर पीएम को खतरे में डाला? मीडिया और नेताओं के शोर गुल में असल सवाल पीछे छूट रहे हैं, इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

5 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फिरोजपुर में चंडीगढ़ स्थित पीजीआईएमईआर के ‘सैटेलाइट’ और दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे सहित 42,750 करोड़ रुपये से अधिक की लागत की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करने का कार्यक्रम था. इससे पहले पीएम मोदी को बठिंडा एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर से हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाना था. और आखिर में एक नॉन ऑफिशियल पब्लिक मीटिंग यानी रैली को संबोधित करने था. लेकिन ये सब नहीं हो सका.

दरअसल, पीएम मोदी जब पंजाब के बटिंडा पहुंचे तो वहां मौसम खराब हो गया. मौसम के कारण हेलिकॉप्टर से फिरोजपुर जाना संभव नहीं था. इसलिए सड़क के रास्ते उन्हें हुसैनीवाला ले जाने का फैसला किया गया.

पीएम मोदी का काफिला जब रास्ते में था तब हुसैनीवाला से लगभग 25 किलोमीटर और फिरोजपुर शहर से ठीक पहले, प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा सड़क जाम करने के कारण एक फ्लाईओवर पर रुक गया. यहीं पीएम मोदी को 15 से 20 मिनट इंतजार करना पड़ा और फिर आखिरकार बिना हुसैनीवाला गए ही बटिंडा लौटना पड़ा. इसी को पीएम की सुरक्षा में चूक बताया गया और निशाने पर आ गई पंजाब की सरकार.

अब सारा विवाद यहीं से शुरू होता है और सवाल भी..

पहला सवाल

पीएम जब किसी रास्ते से ट्रैवेल करते हैं तो उस रास्ते को पहले सैनेटाइज किया जाता है, यानी वो रास्ता सुरक्षित है या नहीं इसकी जांच होती है. क्या इस बार ऐसा नहीं हुआ? तो क्यों नहीं हुआ? पीएम की सुरक्षा जरूरी है या कार्यक्रम में जाना?

सवाल नंबर दो

जिस रास्ते से पीएम जा रहे थे वो पूरा रुट बठिंडा, फरीदकोट और फिरोजपुर जैसे जिलों से होकर गुजरता है, जो ग्रामीण मालवा में हैं. ग्रामीण मालवा किसानों के विरोध का केंद्र है. तो क्या इस बात की जानकारी केंद्रीय एजेंसियों, जैसे कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को नहीं थी?

सवाल नंबर तीन

आखिरी समय में अगर पीएम का प्लान सड़क से जाने का हुआ तो पंजाब पुलिस ने इतने कम समय में पीएम के काफिले को इस रास्ते से जाने की मंजूरी क्यों दी? और फिर SPG ने इसपर आपत्ति क्यों नहीं जताई?

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सवाल नंबर चार

प्लान बी यानी ऑप्शनल रुट.. पीएम की यात्रा SPG रूलबुक के आधार पर होती है, जिसके मुताबिक बैकअप रूट तय होता है, सेफ हाउस तय होता है.

मुख्य रुट में तकनीकी या दूसरे कारणों से अंतिम समय में बदलाव की स्थिति में SPG इन ऑप्शनल रुट का इस्तेमाल कर सकती है. तो क्या इस बार ये रूट तय नहीं हुआ था? नहीं हुआ तो किसकी गलती? किसके कहने पर इस प्रोटोकॉल को ताक पर रख दिया गया?

सवाल नंबर पांच

अगर पीएम को असुरक्षित रूट पर यात्रा करने दिया गया तो एसपीजी चीफ को इस्तीफा क्यों नहीं देना चाहिए? रूट को ग्रीन सिग्नल राज्य पुलिस देती है, तो अगर असुरक्षित रास्ते पर जाने के लिए राज्य पुलिस ने ग्रीन सिग्नल दिया तो डीजीपी को इस्तीफा क्यों नहीं देना चाहिए?

छठे सवाल पर जाने से पहले एक वीडियो के बारे में जान लीजिए. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें पीएम की कार फ्लाईओवर पर दिख रही है और कुछ लोग नारे लगा रहे हैं. बीजेपी समर्थक मीडिया ने इस वीडियो को तुरंत पीएम मोदी का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों से जोड़ दिया. लेकिन वीडियो के आखिर में एक शख्स बीजेपी का झंडा लिए दिखता है. अगर वो प्रदर्शनकारी था तो वो बीजेपी का झंडा लेकर क्या कर रहा था? खैर वो भी छोड़िए, सवाल पर आते हैं कि चाहे वो प्रदर्शनकारी हो या बीजेपी समर्थक, उन्हें पीएम के काफिले के इतने करीब क्यों आने दिया गया? पीएम के काफिले के आगे एक चेतावनी कार चलती है, तो इस कार ने लोगों को क्यों नहीं नोटिस किया?

सवाल नंबर छह

प्रदर्शनकारियों या BJP समर्थक, पीएम के काफिले के इतने करीब इन्हें क्यों आने दिया गया? पीएम के काफीले के आगे एक चेतावनी कार चलती है, तो इस कार ने लोगों को क्यों नहीं नोटिस दिया?

सवाल नंबर सात

जब लोग नारे लगा रहे थे, भीड़ थी. एक बस भी दिख रही थी. फिर SPG ने तुरंत यूटर्न क्यों नहीं लिया? 20 मिनट का इंतजार क्यों? अगर पीएम कह रहे हैं कि जान को खतरा था कि एसपीजी को जवाब देना चाहिए क्योंकि इनर लेयर की सुरक्षा पूरी तरह से एसपीजी की है. पीएम की जान को खतरा था तो पीएम की गाड़ी के आगे शील्ड बनकर गार्ड क्यों नहीं थे? उन्हें कवर क्यों नहीं दिया गया? कैसे गाड़ी का फ्रंट एरिया खाली था?

'नतमस्तक मीडिया कवरेज'

आप कुछ हेडलाइन्स पढ़िए-

  • मोदी के खिलाफ खूनी साजिश

  • मौत के मुंह से लौटे मोदी

  • पंजाब में मोदी की जान जा सकती थी?

इन हेडलाइन को देखने और पढ़ने से तो ऐसा ही लग रहा है जैसे सच में पीएम पर कोई हमला हुआ है. एक एंकर ने तो भारत से ज्यादा पाकिस्तान में पीएम मोदी की सुरक्षा की बात कह दी. क्या ये अपने देश और अपनी सुरक्षा एजेंसियों को नीचा दिखाना नहीं हुआ? क्या राजनीति के लिए अपने जवानों का अपमान करेंगे, बिना पुख्ता सबूत के? देश की सबसे काबिल और भरोसेमंद कमांडो से लैस एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के काबीलियत पर भी सवाल उठाएंगे. अपने ही जवानों की क्रेडिबिलिटी पर सवाल उठाएंगे, ये कैसी देशभक्ति है?

अब आते हैं पीएम के उस कथित बयान पर जिसके बाद सारा हंगामा शुरू हुआ है..

'अपने सीएम को थैंक्‍स कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया’. अंडमान, निकोबार और पुडुचेरी के पूर्व उपराज्यपाल और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल भोपिन्दर सिंह कहते हैं,

किसी का ये कहना कि पीएम की रैली में भीड़ नहीं आई इसलिए ये सब हुआ या फिर 'बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया' जैसी राजनीतिक बयानबाजी सिक्योरिटी इकोसिस्टम को बेहतर बनाने के काम नहीं आएंगे.. प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक बेहद खेदजनक है, क्योंकि यह एक बार फिर अतीत से न सीखे गए सबक, राजनीतिकरण और समाज के भीतर अनसुने 'विभाजन' की ओर इशारा करती है जो राष्ट्र के लिए अच्छा नहीं हो सकता है.

चूक हुई है तो जिम्मदेरी तय हो? सजा मिले.. लेकिन अगर राजनीतिक दल और मीडिया पीएम की सुरक्षा से ज्यादा टीआरपी, भक्तिगिरी और राजनीतिक फायदे के लिए हंगामा करेंगी तो हम पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 07 Jan 2022,11:50 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT