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(क्या पीएम मोदी के स्टार सांसदों के गांवों को गोद लेने से उनके ‘अच्छे दिन’ आ गए? सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इन गोद लिए गए गांवों का क्या हाल है, देखिए क्विंट की ग्राउंड रिपोर्ट.)
पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है. उन्होंने 2014 में वाराणसी के जयापुर गांव को गोद लिया ताकि ये गांव 'आदर्श' बन सके. सांसद आदर्श ग्राम योजना के जरिए खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा, साफ-सफाई, पर्यावरण और जीविका में उन्नति की बात कही गई. मूल रूप से बात ये थी कि इस गांव को कम से कम बुनियादी सुविधाएं जरूर मिलें.
प्रधानमंत्री के गोद लेने के बाद गांव के विकास के लिए होड़ मच गई. प्राइवेट कंपनियों ने काफी ‘पैसा’ बहाया लेकिन गांव वालों का कहना है की कई चीजें सिर्फ कागजों पर हुईं.
हमारे सांसदों के गांव:अच्छे दिन? क्विंट हिंदी की इस खास सीरीज में ये छठा गांव है जिसके हालात हम आपको दिखा रहे हैं. इससे पहले हमने मथुरा से सांसद हेमा मालिनी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद प्रधान , विदेस मंत्री सुषमा स्वराज के गोद लिए गांवों पर भी रिपोर्ट पेश की थी.
सांसदों से उम्मीद की जाती है कि वो अपने गोद लिए गांवों को बेहतर और आदर्श बनाने की दिशा में काम करेंगे. इनमें से कुछ लक्ष्य हैं:
इस योजना के तहत सरकार का उद्देश्य मार्च 2019 तक हरेक संसदीय क्षेत्र में तीन गांवों को आदर्श ग्राम बनाना था जिसमें से कम से कम एक गांव को 2016 तक ही ये लक्ष्य हासिल करना था.
क्विंट के ग्राउंड रिपोर्ट में जयापुर गांव से कई बातें सामने निकल कर आईं.
गांव में तीन बैंक खुले. रोडवेज बस स्टैंड शुरू हुआ. गलियां और सड़कें रातों-रात तैयार की गईं. लेकिन तेज विकास के चक्कर ने गांव का हाल बिगाड़ दिया. स्मार्ट क्लास बने लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं मिला. सोलर पैनल लगे लेकिन बैटरी नहीं मिली. ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार के फंड का गलत इस्तेमाल हुआ है.
ग्राम प्रधान का दावा है कि गांव की तरक्की के लिए कई योजनाओं पर काम हुआ है.
लेकिन उनका कहना है कि कुछ योजनाओं की घोषणा तो की गई लेकिन उन पर काम नहीं हुआ.
पीएम के जयापुर को स्कूल से हैंडलूम केंद्र तक कई सौगात मिलीं लेकिन अभी काफी कुछ होना बाकी है.
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