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4 साल बाद कितना ‘आदर्श’ बन पाया पीएम मोदी का गोद लिया गांव?

प्राइवेट कंपनियों ने काफी ‘पैसा’ बहाया लेकिन गांव वालों का कहना है की कई चीजें सिर्फ कागजों पर हुईं.

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<b>बनारस के जयापुर गांव के लोग पीएम नरेंद्र मोदी से नाराजगी क्यों जता रहे हैं?</b>
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बनारस के जयापुर गांव के लोग पीएम नरेंद्र मोदी से नाराजगी क्यों जता रहे हैं?
(फोटो: क्विंट)

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(क्या पीएम मोदी के स्टार सांसदों के गांवों को गोद लेने से उनके ‘अच्छे दिन’ आ गए? सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इन गोद लिए गए गांवों का क्या हाल है, देखिए क्विंट की ग्राउंड रिपोर्ट.)

पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है. उन्होंने 2014 में वाराणसी के जयापुर गांव को गोद लिया ताकि ये गांव 'आदर्श' बन सके. सांसद आदर्श ग्राम योजना के जरिए खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा, साफ-सफाई, पर्यावरण और जीविका में उन्नति की बात कही गई. मूल रूप से बात ये थी कि इस गांव को कम से कम बुनियादी सुविधाएं जरूर मिलें.

प्रधानमंत्री के गोद लेने के बाद गांव के विकास के लिए होड़ मच गई. प्राइवेट कंपनियों ने काफी ‘पैसा’ बहाया लेकिन गांव वालों का कहना है की कई चीजें सिर्फ कागजों पर हुईं.

हमारे सांसदों के गांव:अच्छे दिन? क्विंट हिंदी की इस खास सीरीज में ये छठा गांव है जिसके हालात हम आपको दिखा रहे हैं. इससे पहले हमने मथुरा से सांसद हेमा मालिनी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद प्रधान , विदेस मंत्री सुषमा स्वराज के गोद लिए गांवों पर भी रिपोर्ट पेश की थी.

‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के उद्देश्य?

सांसदों से उम्मीद की जाती है कि वो अपने गोद लिए गांवों को बेहतर और आदर्श बनाने की दिशा में काम करेंगे. इनमें से कुछ लक्ष्य हैं:

  • शिक्षा की सुविधाएं
  • साफ-सफाई
  • स्वास्थ्य सुविधाएं
  • कौशल विकास
  • जीवनयापन के बेहतर मौके
  • बिजली, पक्के घर, सड़कें जैसी बुनियादी सुविधाएं
  • बेहतर प्रशासन

इस योजना के तहत सरकार का उद्देश्य मार्च 2019 तक हरेक संसदीय क्षेत्र में तीन गांवों को आदर्श ग्राम बनाना था जिसमें से कम से कम एक गांव को 2016 तक ही ये लक्ष्य हासिल करना था.

क्विंट के ग्राउंड रिपोर्ट में जयापुर गांव से कई बातें सामने निकल कर आईं.

कंपनियां आई वो देख कर चली गई. उसके बाद सारा डुप्लीकेट कागज से पूरा करके मोदी जी को दे दिए कि ये गांव सुंदर हो गया है. कागज से सब काम किया गया है यहां.
स्थानीय निवासी, जयापुर
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गांव में तीन बैंक खुले. रोडवेज बस स्टैंड शुरू हुआ. गलियां और सड़कें रातों-रात तैयार की गईं. लेकिन तेज विकास के चक्कर ने गांव का हाल बिगाड़ दिया. स्मार्ट क्लास बने लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं मिला. सोलर पैनल लगे लेकिन बैटरी नहीं मिली. ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार के फंड का गलत इस्तेमाल हुआ है.

उनको जो पैसा भेजना था, वो तो भेज दिए पर यहां जो काम करवाने वाले थे, लूट पाट कर, खाकर चले गए. किसी चीज का विकास नहीं हुआ. बैटरी लगी वो भी चोरी हो गई.चोर यहां पर हैं तो किस चीज का विकास हो पाएगा. जो वो आते हैं देने के लिए वो भी चमचा लोग खा जाते हैं. काम नहीं हो रहा है, तो उनका कैसा दोष?
राजन, स्थानीय निवासी, जयापुर

ग्राम प्रधान का दावा है कि गांव की तरक्की के लिए कई योजनाओं पर काम हुआ है.

7 नवंबर 2014 को माननीय नरेंद्र मोदी ने गांव को गोद लिया था. गोद लेने के बाद यहां पर निरंतर विकास कार्य चल रहा है. बैंकिंग सेवा, पोस्ट ऑफिस, स्वरोजगार के विषय में, कंप्यूटर ट्रेनिंग, सिलाई प्रशिक्षण...लोगों को जागरूक करने के लिए काम किया गया है.
नारायण, ग्राम प्रधान, जयापुर

लेकिन उनका कहना है कि कुछ योजनाओं की घोषणा तो की गई लेकिन उन पर काम नहीं हुआ.

पहले बताया गया था गांव के हर एक परिवार में एक गाय या एक भैंस दी जाएगी और उससे जो प्रोडक्शन होगा वो कलेक्ट होकर डेयरी में जाएगा. इससे अच्छा पैसा मिलेगा तो गांव में पशुपालन करने वालों को अच्छी आमदनी होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
नारायण, ग्राम प्रधान, जयापुर

पीएम के जयापुर को स्कूल से हैंडलूम केंद्र तक कई सौगात मिलीं लेकिन अभी काफी कुछ होना बाकी है.

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