advertisement
वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
कैमरा: सुमित बडोला
मजाज़ लखनवी साहब का मशहूर शेर है
तेरे माथे पे ये आंचल बहुत ही खूब है
लेकिन तू इस आंचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था
2 जनवरी तड़के खबर आई कि सबरीमाला मंदिर में 2 महिलाओं ने प्रवेश कर लिया है. इन दोनों महिलाओं ने बरसों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए ये कदम उठाया था. इसके बाद रातों रात कनक दुर्गा और बिंदु आमिनी महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन गईं.
मंदिर प्रवेश के बाद पूरे केरल में बवाल शुरू हो गया था. दोनों महिलाओं का सामाजिक बहिष्कार करने की मांग उठने लगी. हिंसक प्रदर्शन होने लगे. बीजेपी जैसी कुछ राजनीतिक पार्टियों ने भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. लेकिन आक्रामक धमकियों के सामने वो डटी रहीं, राजनीतिक पार्टियों के हंगामे झेलती रही. लेकिन परायों के हमलों को बहादुरी से झेलने वाली कनक दुर्गा, अपनों से हार गई.
हाल में खबर आई कि कनक दुर्गा की सास ने उनके साथ मार पिटाई की. वजह ये थी कि वो घरवालों की बिना इजाजत सबरीमाला मंदिर में क्यों गईं?
ये वही सोच है जो खाप पंचायतों की शक्ल में बेटियों की हत्या करती है, जो जात-पात में फंसी अपनी नकली प्रतिष्ठा के लिए बेटियों की मोहब्बत को मसल देती है. ये वही सोच है जो किसी देश की फौज के जनरल के दिमाग में पलती है और महिलाओं को जंग में लड़ने के नाकाबिल समझती है.
देश में घरेलू हिंसा एक्ट को बने 10 से ज्यादा साल हो चुकें हैं लेकिन महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा घटने के बजाए बढ़ा ही है. कनक दुर्गा पर हुआ हमला किसी एक शख्स पर हुआ हमला नहीं है. इस हमले के बाद ना जाने कितनी लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी, पीवी सिंधु, इंदिरा नूई, कल्पना चावला अपनी हसरत और हिम्मत का गला घोंटकर वापस समाज के इस ‘पौरुष’ की मोहताज हो जाएंगी!
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)