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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
कैमरा: सुमित बडोला
स्मृति ईरानी जी, सबरीमाला मामले पर आपकी टिप्पणी मुझे एक महिला के तौर पर दुखी कर गई, क्योंकि मुझे पीरियड्स आते हैं और मेरा खून मेरे भगवान या मेरे दोस्तों को अपमानित नहीं करता.
और हां, मैं अपने ‘खून से सने’ सैनिटरी नैपकिन में अपने दोस्त के घर जाती हूं. मेरे आॅफिस में या मेरे स्कूल में कोई मुझे वहां से निकलने के लिए मजबूर नहीं करता. इसके बजाय, वो मेरे लिए अच्छा माहौल बनाने की कोशिश करते हैं, जिसपर ‘भगवान के घर’ को भी विचार करना चाहिए. मुझे अपने देश के संविधान की ओर से दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए किसी और की इजाजत की जरूरत नहीं है.
केरल में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के खिलाफ प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मामले पर कहा कि पूजा करने के अधिकार का ये मतलब नहीं है कि आपको मंदिर अपवित्र करने का भी अधिकार है.
23 अक्टूबर को स्मृति ईरानी के कथन पर गौर फरमाएं-
आप सही कह रही हैं, मुझे प्रार्थना करने का अधिकार है पर अपमान करने का अधिकार नहीं. लेकिन अपमान है कहां?
मैडम, एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा के सबरीमाला मंदिर में खून से सने सैनिटरी नैपकिन लेकर जाने की बात अफवाहें थीं. एक आसानी से किया जानेवाला गूगल सर्च आपको बता देगा कि इसे लेकर कोई विश्वसनीय न्यूज रिपोर्ट नहीं है कि रेहाना फातिमा ने ऐसा कुछ किया भी था.
रेहाना ने इन आरोपों से साफ तौर पर इनकार किया है और कहा कि सबरीमाला मंदिर के गेट से मजबूरन लौटने के बाद पुलिस ने उनके ‘इरुमुदि’ यानी उनके प्रार्थना-पूजा के लिए चढ़ाए जाने वाली चीजों की जांच की थी. उनके पास से कोई ‘खून से सना’ सैनिटरी नैपकिन नहीं मिला था.
आपने ट्विटर पर कहा कि आप उस अग्नि मंदिर का सम्मान करती हैं, जिसमें आपके पारसी बेटों और पति को जाने का अधिकार है, लेकिन आपको नहीं. आपने कहा कि अपना अधिकार हासिल करने के लिए आप कभी कोर्ट नहीं जाएंगी. हम आपकी इस इच्छा का सम्मान करते हैं, लेकिन असली बात ये है कि ये आपकी मर्जी है. इसे अपनी मर्जी ही रहने दीजिए. हर औरत के पास उसकी मर्जी होनी चाहिए, वो चाहे तो सबरीमाला जाकर प्रार्थना करे और प्रार्थना करने के अपने बुनियादी अधिकार को बरकरार रखे या इसे फिर छोड़ दे.
इस बचाव की जगह, मैडम, एक कैबिनेट मंत्री के तौर पर और उससे भी ज्यादा एक महिला के तौर पर जिसकी आवाज मायने रखती है, हम आपसे उम्मीद कर रहे थे कि आप धर्म के नाम पर चल रहे गुंडावाद की निंदा करेंगी. माफ करें, गलत बोल गई, मेरा मतलब है पितृ सत्ता के नाम पर जो हो रहा है उसकी.
ये सब तब हो रहा है, जब सबरीमाला में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दिखा दी है. मैं दोहराती हूं, मेरा खून किसी और की समस्या नहीं है. न तो आपकी, न ही मेरे दोस्त की , न ही मेरे भगवान की.
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