केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी बवाल मचा हुआ है. हालांकि, सीएम पिनराई विजयन ने साफ कर दिया है कि वो कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे. क्विंट ने केरल की कई महिलाओं से बात की. इस मसले पर उनकी राय बंटी हुई दिखी. कई महिलाएं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से खुश हैं तो कई का मानना है कि धार्मिक मामलों में कोर्ट की दखल नहीं होनी चाहिए.
केरल की कुछ महिलाओं की राय
मैं बचपन में गई थी लेकिन अगर मैं फिर जाना चाहूं तो मैं तब ही जाऊंगी जब मैं बूढ़ी हो जाऊंगी.संध्या, त्रिवेंद्रम
यहां मुद्दा ये है कि सबरीमाला के अंदर हमें जाने नहीं दिया जा रहा है. और भी कई चीजें सोचने के लिए है. आज वो संस्थाएं जो महिलाओं को काम पर नहीं रखते उसकी जांच करनी चाहिए. वहां पर महिलाओं के लिए जगह क्यों नहीं है? मुझे वहां(मंदिर) जाने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं है.देवी संजय, त्रिवेंद्रम
हमें किसी जगह पर जाने से कोई नहीं रोक सकता. ये हमारा हक है कि हम कहां जाएं. सिर्फ इसलिए कि मैं महिला हूं और हमें 15 से 45 की उम्र तक पीरियड्स आता है, हम मंदिर नहीं जा सकते? इसमें कोई लाॅजिक नहीं है. हमें वहां जाना होगा.हशीफा, कन्नूर
मैं इसे लेकर आश्वस्त नहीं हूं कि मैं जाऊंगी या नहीं. लेकिन ये मेरी जरुरत के हिसाब से मैं तय करुंगी.मिनी मोहन, कोल्लम
क्या है ताजा फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि अब मंदिर में हर उम्र वर्ग की महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं. इससे पहले सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को एंट्री नहीं थी. इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने कोर्ट में इस प्रथा को चुनौती दी थी. पांच जजों की संविधान पीठ में 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाया गया था.
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