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बिहार के सीतामढ़ी में भारत-नेपाल बॉर्डर के पास नेपाली आर्मी की तरफ से हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और इसके अलावा तीन अन्य लोग घायल हुए. बिहार क्षेत्र के सशस्त्र सीमा बल के आईजी ने इस बात की पुष्टि की. स्थानीय लोगों का कहना है कि ये घटना नेपाल की तरफ से हुई गोलीबारी के कारण हुई है. अब इस पूरे मामले को लेकर एसएसबी के डीजी ने अपना पक्ष रखा है.
डीजी एसएसबी कुमार राजेश चंद्रा ने न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा-
सीतामढ़ी के एसपी अनिल कुमार ने IANS को बताया कि घायल लोगों को पास के ही हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है और वो खतरे से बाहर हैं.
प्राथमिक जांच के आधार पर सीमा सुरक्षा बल के DG ने बताया कि ये स्थानीय मुद्दा है और घटना स्थानीय विवाद के कारण हुई है.
उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच के आधार पर जो मिला है उसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी गई है. अभी सरकार ने इस बारे में कोई बयान जारी नहीं किया है.
नेपाल की आर्म्ड पुलिस फोर्स (APF) के एडिशनल इंस्पेक्टर जनरल नारायण बाबू थापा ने PTI से काठमांडू में कहा कि घटना उस समय हुई जब 25-30 भारतीय नेपाल में घुसने की कोशिश कर रहे थे. थापा का आरोप है कि इन लोगों ने नेपाल के सुरक्षा बल पर हमला भी किया.
थापा ने कहा, "बॉर्डर एरिया के फॉरवर्ड बेस पर इन लोगों को APF ने रोका तो कुछ और लोग भी जमा हो गए और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी की. इन लोगों ने हथियार छीनने की भी कोशिश की. पहले हमारे लोगों ने हवा में फायरिंग की लेकिन फिर आत्मरक्षा में उन्हें गोली चलनी पड़ी."
शुक्रवार को इकनॉमिक टाइम्स ने रिपोर्ट किया था कि नेपाल ने इतिहास में पहली बार उत्तराखंड को लगने वाली भारत-नेपाल सीमा के 15 बॉर्डर आउटपोस्ट पर आर्म्ड पुलिस फोर्स तैनात की है.
ये सब तब हो रहा है जब नेपाल ने अपने नए मानचित्र में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना हिस्सा बताया है. नेपाल ने अपने देश के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में इसको लेकर बिल पेश किया था, जिसमें नए मानचित्र को स्वीकार करने की मांग की गई थी.
13 मई को नेपाल ने बॉर्डर पर अपनी तरफ कालापानी के पास छांगरू में आर्म्ड पुलिस फोर्स (APF) को तैनात कर दिया. ये तैनाती भारत के रणनीतिक तौर पर अहम लिपुलेख पास को जोड़ने वाली एक लिंक रोड को बनाने के जवाब में की गई थी.
इसके बाद भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने चीन की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि नेपाल की हालिया आपत्ति किसी और के कहने पर थी, ऐसा मानने का कारण है. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव है.
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