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#TalkingStalking एपिसोड 4 | जब ‘ना’ समझ न आए तो क्या करें?

‘ना’ कहने का मतलब ये तो नहीं कि स्टॉकिंग शुरु कर दी जाए

गर्विता खैबरी
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क्या समाज में लड़कियों को ‘ना’ कहने का हक नहीं?
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क्या समाज में लड़कियों को ‘ना’ कहने का हक नहीं?
(फोटो: क्विंट)

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जब एक दोस्त ने अनामिका (बदला हुआ नाम) को वरुण (बदला हुआ नाम) से मिलवाया, तो उसे और जानने में अनामिका की दिलचस्पी बढ़ गई. उन्होंने एक-दूसरे का फोन नंबर लिया और बातचीत शुरू हो गई. जल्द ही अनामिका को इस बात का एहसास हुआ कि दोस्ती कुछ जम नहीं रही और उसने पीछे हटने का फैसला कर लिया.

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ना का मतलब ‘ना’ ही होता है

जब उसने वरुण को बताया कि वो दोस्ती जारी रखना नहीं चाहती तो वरुण ने इसे विश्वासघात समझ लिया. अनामिका का ‘ना’ उसके लिए झटका था.

अनामिका से बदला लेने का उसे इससे बेहतर कोई रास्ता नहीं सूझा कि वो एक खतरनाक स्टॉकर में बदल जाए. अनामिका को वापस पाना उसने अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया. वो उसे दिन में 100 से ज्यादा बार कॉल करने लगा. कई बार फर्जी अकाउंट से फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी, मेल भेजे कि वो वापस आ जाए.

अनामिका भारी तनाव में जीने लगी. वो सोच नहीं पा रही थी कि वरुण को उसकी न को समझ क्यों नहीं पा रहा. जब सहने की सीमा खत्म हो गई तो अनामिका ने एक दोस्त की मदद से पूरा मामला गुरुग्राम सायबर पुलिस को रिपोर्ट किया.

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पुलिस ने इस केस में पूरी मदद की. उन्होंने न सिर्फ मामले का संज्ञान लिया बल्कि तुरंत कार्रवाई भी की. पुलिस ने स्टॉकर को कॉल किया और उसे धमकाया. वरुण बुरी तरह डर गया. उसने तुरंत कमिश्नर और अनामिका के नाम एक माफीनामा लिखा और कसम खाई कि वो उसे फिर परेशान नहीं करेगा.

कई दूसरे मामलों की तरह अनामिका के केस में भी स्टॉकिंग की शुरुआत तभी हुई जब उसने रिश्ता जारी रखने से साफ इनकार कर दिया. समाज में पुरूषों को अक्सर ‘ना’ सुनने की आदत ही नहीं होती. जब ऐसा होता है तो उन्हें ये कोई अलग दुनिया की बात लगती है. हालात को अपने हिसाब से बदलने के लिए ही वो स्टॉकिंग का सहारा लेने लगते हैं.

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‘अच्छी लड़की’ से उम्मीदें

हमारे समाज में ‘अच्छी लड़की’ से उम्मीद की जाती है कि वो कोई रिश्ता न बनाए. ऑफिस जाए, कॉलेज जाए, सीधे घर आए, खाना पकाए और साफ-सफाई करे. जहां पिता कहें वहां शादी कर ले. तो एक तरह से महिला को कोई आजादी ही नहीं है. इसका नतीजा ये होता है कि जब वो महिला ‘ना’ कहती है तो पुरुष को समझ ही नहीं आता. हमारी संस्कृति और फिल्मों में भी ये दिखाया जाता है कि महिलाओं की कोई राय नहीं हो सकती.

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स्टॉकिंग बने गैर-जमानती अपराध

क्या आप जानते हैं कि स्टॉकिंग एक जमानती अपराध है. जिसकी वजह से स्टॉकर, बिना किसी गहरी जांच-पड़ताल के जमानत पर छूट जाते हैं. इसका एक असर ये भी होता है कि स्टॉकिंग का सामना करने वाले लोगों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाता है जैसे एसिड अटैक, रेप या हत्या तक.

यही वजह है कि क्विंट ने वर्णिका कुंडू के साथ मिलकर change.org पर एक पिटीशन जारी की है. क्विंट इस पिटीशन के जरिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह से अपील करता है कि स्टॉकिंग को एक गैर-जमानती अपराध बनाने संबंधित कानून जल्द से जल्द लाया जाए.

कैमरामैन- अतहर राथर, अभिषेक रंजन, शिव कुमार मौर्या

वीडियो एडिटर- राहुल सांपुई

प्रोड्यूसर- गर्विता खैबरी

एक्टर- समीक्षा खरे, जयवर्धन सिंह, तेजस अल्हाट

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 30 Jan 2018,11:45 AM IST

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