Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019अगर चीन LAC पर कब्जा बढ़ाता है तो युद्ध ही विकल्प - टीसीए रंगाचारी

अगर चीन LAC पर कब्जा बढ़ाता है तो युद्ध ही विकल्प - टीसीए रंगाचारी

गाचारी चीन में राजनयिक भी रह चुके हैं और विदेश मंत्रलाय में चीन डेस्क पर काम भी कर चुके हैं.

संजय पुगलिया
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क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने बात की चीन मामलों के विशेषज्ञ टीसीए रंगाचारी से
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क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने बात की चीन मामलों के विशेषज्ञ टीसीए रंगाचारी से
(Photo: Altered by Quint Hindi)

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लद्दाख की गलवान घाटी में चीन से खूनी झड़प और हमारे 20 जवानों की शहादत. पिछले कई दशकों में चीन से इतना तनाव नहीं बढ़ा. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि चीन की मंशा क्या है और हमारी प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए. इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने चीन मामलों के विशेषज्ञ टीसीए रंगाचारी से बातचीत की. रंगाचारी चीन में राजनयिक भी रह चुके हैं और विदेश मंत्रलाय में चीन डेस्क पर काम भी कर चुके हैं. बातचीत के अहम हिस्से यहां पढ़िए और पूरा इंटरव्यू वीडियो में सुनिए.

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क्यों हुई झड़प,चीन की मंशा क्या है?

LAC को लेकर असमंजस. चीन चाहता है कि आगे बढ़ जाएं और जब बातचीत हो तो बता सके कि हमारा तो इस इलाके पर कब्जा है, इसलिए इसपर बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं. और ये काम चीन ने सिर्फ के साथ नहीं किया है. साउथ चाइना सागर में भी चीन ने यही किया है. इसे आप उसकी न्यू रियलिटी रणनीति कह सकते हैं. चीन सीमा पर आगे बढ़ने का काम लगातार करता रहा है. अब ये कहना मुश्किल हो गया है कि LAC की रेखा कहां है. आज अगर हम चीन को कहें कि आप तो कुछ साल पहले किसी और लाइन के लिए राजी थे लेकिन इसपर चीन का रवैया ये होगा कि अब तो यही लाइन है जो अभी है. लेकिन उसके इस रवैये के कारण शांति बहाल रख पाना मुश्किल होगा.

अगर चीन LAC कब्जा बढ़ाता जाता है तो भारत के पास फिर कोई विकल्प नहीं बचेगा. हम किस आधार पर फिर शांति की बात करेंगे.
टीसीए रंगाचारी, चीन मामलों के विशेषज्ञ

भारत कैसे दे चीन को जवाब?

गलवान में हमारी ये कोशिश होनी चाहिए कि पांच मई से पहले की स्थिति में लाया जाए. दोनों देशों के सामने दो विकल्प हैं - हम चाहें तो आगे बढ़ें और लड़ाई का दौर आगे बढ़ाएं. दूसरा विकल्प ये है दोनों देशों के लिए युद्ध ठीक नहीं है इसलिए शांति बहाल करने की तरफ बढ़े. साथ ही चीन को ये याद दिलाना जरूरी है कि इस तरह की घटनाओं के बाद शांति कायम रख पाना मुमकिन नहीं है. और इससे आपसी संबंधों पर गहरा असर होगा. 1962 युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच भरोसा कायम करने में 25 साल लग गए. लिहाजा फिर ऐसा कुछ होता है तो फिर न जाने कितने साल लग जाएंगे स्थिति सामान्य होने में.

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