Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019उर्दूनामा: जानिए कितनी होती है हमारे ‘तसव्वुर’ में ताकत

उर्दूनामा: जानिए कितनी होती है हमारे ‘तसव्वुर’ में ताकत

ज़रा ध्यान से करें ‘तसव्वुर’, जो हम सोचते हैं वही बन जाते हैं

फ़बेहा सय्यद
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उर्दूनामा: लफ्ज़ ‘तसव्वुर’ के क्या हैं मायने
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उर्दूनामा: लफ्ज़ ‘तसव्वुर’ के क्या हैं मायने
(फोटो: क्विंट हिंदी) 

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जी ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन

बैठे रहे तस्सवुर-ए-जाना किये हुए

मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर है ये जिस में वो उन फुर्सत के लम्हात का ज़िक्र कर रहे हैं जब अपने महबूब का तसव्वुर करना पसंद करते हैं.

उर्दू शायरी में ज़्यादातर शायरों ने 'तसव्वुर' हमेशा अपने महबूब का किया है जिसके बारे में सोचते सोचते या तो बहुत ग़मगीन हो जाते हैं, या फिर महबूब के तसव्वुर से शायर जिंदगी में एक पॉजिटिविटी की बात करते हैं. नए कॉन्फिडेंस की बात करते हैं.

उर्दूनामा के इस एपिसोड में हम लफ्ज़ 'तसव्वुर' के मायने उर्दू शायरी में अलग अलग शायरों के ज़रिये समझेंगे.

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