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वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम
मोदी सरकार ने साल 2015 में बेघर महिलाओं के लिए 'स्वाधार गृह' स्कीम की शुरुआत की थी. महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कुल 559 शेल्टर होम के लिए करीब 200 करोड़ रुपये का फंड जारी किया. लेकिन आखिर ये पैसा गया कहां? क्योंकि कई शेल्टर होम की हालत जस की तस बनी हुई है.
दरअसल, ये पैसा बेघर महिलाओं के सिर पर छत के साथ-साथ उनके कौशल विकास पर खर्च करने के लिए आवंटित किया गया था. लेकिन राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की दिसंबर की एक रिपोर्ट कुछ अलग ही हालात बयां कर रही है.
इस रिपोर्ट में यूपी, ओडिशा, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के कुल 26 में से 25 शेल्टर होम को बेहद बुरी हालात में ऑपरेट होता बताया गया है. अब NCW की चेयरपर्सन रेखा शर्मा का कहना है कि इस हालत के जिम्मेदार शेल्टर होम को चलाने वाले एनजीओ का लाइसेंस तुरंत रद्द होना चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं को बेहद बुनियादी सुविधाएं भी हासिल नहीं हैं. कुछ महिलाएं जो मानसिक रूप से स्थिर नहीं हैं, उन्हें दवा तक नहीं दी जाती है और बाकी 'सामान्य' महिलाओं के साथ रखा जाता है. कई महिलाएं शारीरिक उत्पीड़न का शिकार भी होती हैं.
रेखा शर्मा कहती हैं:
इन 25 शेल्टर होम के खिलाफ महिला और बाल विकास मंत्रालय ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. अब राष्ट्रीय महिला आयोग अब देशभर के 560 स्वाधार गृह का निरीक्षण करने की तैयारी में है.
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