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इन खबरों के साथ पहली फरवरी को एडिटर्स भागते हुए न्यूजरूम में पहुंचे. बिजनेस एडिटर मिस्टर बी को बजट के दिन की इस मीटिंग का बेसब्री से इंतजार रहता था. इससे उन्हें अपने ताकतवर होने का अहसास होता था. वजह यह थी कि बजट के दिन पेज वन पर उनका कब्जा हुआ करता था.
उनके प्रतिद्वंद्वी और समकक्ष पॉलिटिकल एडिटर मिस्टर पी अक्सर बजट की शाम की एडिटोरियल मीटिंग में नहीं आते थे. तब तो बिल्कुल भी नहीं, जब कोई उन्हें प्रेस क्लब आकर जिन और टॉनिक के कुछ पैग लेने का ऑफर देता था. इसलिए मिस्टर बी ने जब मिस्टर पी को हाथ में नोटबुक लिए एडिटोरियल मीटिंग में आते देखा तो उन्हें कुछ हैरानी हुई.
मिस्टर बीः अरे, तुम यहां कैसे? आज तो बिजनेस न्यूज का दिन है.
मिस्टर पी (आगे की तरफ झुकते हुए): क्या मजाक कर रहे हो? क्या तुमने देखा नहीं कि कांग्रेस ने किस तरह से राजस्थान उपचुनाव में बीजेपी को हराया? सच कहूं तो बजट में कुछ भी नहीं है. यह घिसा-पिटा है. लेकिन राजस्थान में जो हुआ है, वह किसी राजनीतिक जलजले से कम नहीं. मैं चाहता हूं कि यह स्टोरी पेज वन के ऊपरी हिस्से में जाए.
मिस्टर बीः बजट में मोदीकेयर को लॉन्च किया गया है, जो शायद दुनिया का सबसे महत्वाकांक्षी और साहसी हेल्थकेयर प्लान है. इसमें सरकार 50 करोड़ लोगों के अस्पताल में भर्ती होने पर 5 लाख सालाना तक का इलाज का खर्च उठाएगी. दो लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देश में यह एक लाख करोड़ डॉलर की हेल्थ कवरेज स्कीम है. इस तरह की योजना पेश करने के लिए हिम्मत होनी चाहिए. इस पर अमल के लिए जो ऊर्जा और क्षमता चाहिए, उसका तो कहना ही क्या.
मिस्टर पीः क्या कहा, स्कीम लॉन्च हो गई? अरे मेरे दोस्त, यह ग्रैंड ‘जुमला’ है. सरकार अभी तो योजना तैयार करने के लिए बस एक समिति बनाने जा रही है. सच तो यह है कि इसके लिए प्रति व्यक्ति सिर्फ 40 रुपये का बजट तय किया गया है. इसे लॉन्च करने के लिए 1 अप्रैल 2019 की डेडलाइन तय की गई है. मजे की बात क्या है, जानते हो. 1 अप्रैल को ‘मूर्ख दिवस’ कहते हैं. इतना ही नहीं, उस समय लोकसभा चुनाव भी सिर पर होगा. इस स्कीम के लॉन्च होने की बात तो भूल ही जाओ. एडिटोरियल स्टाफ के बीच जो कानाफूसी चल रही थी, उससे लगा कि इस राउंड में मिस्टर पी ने बाजी मार ली है.
मिस्टर पी (विरोधी को चित करने की कोशिश में): राजस्थान में ऐसा कमाल हुआ है, जो पिछले तीन दशक में नहीं हुआ था. वहां पहली बार सत्तारूढ़ पार्टी की लोकसभा उपचुनाव में हार हुई है. वह भी एक नहीं, दो-दो संसदीय क्षेत्रों में. असल इतिहास तो अजमेर और अलवर में रचा गया है, बजट में तो सिर्फ कोरी बातें हैं. इतना तो तुम भी मानोगे.
मिस्टर बी (असहज होते हुए): ठीक है, लेकिन एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर जो बोल्ड घोषणा हुई है, उसका क्या? रबी फसल के बाद अब खरीफ फसल पर भी लागत से 50 पर्सेंट अधिक का प्रॉफिट मार्जिन किसानों को मिलेगा. यह रिवॉल्यूशनरी फैसला है.
मिस्टर पीः क्या कहा, इन्फ्लेशनरी. हां, ठीक ही कह रहे हो, इससे तो महंगाई बेकाबू हो जाएगी. और जरा ये बताओ, क्या सरकार ने इस ‘रिवॉल्यूशनरी’ फैसले की डिटेल दी है. क्या 50 पर्सेंट का मार्जिन सी2 बेसिस पर दिया जाएगा, जिसमें पैदावार की व्यापक लागत में जमीन का रेंट और ब्याज दर के साथ पूंजी जोड़ी जाती है या यह A2+FLके आधार पर दिया जाएगा, जिसमें सिर्फ इनपुट कॉस्ट और किसान परिवार के श्रम की लागत जोड़ी जाती है.
अगर 50 पर्सेंट का मार्जिन सी2 के आधार पर दिया जाता है तो यह कदम वाकई रिवॉल्यूशनरी है, लेकिन मेरे दोस्त ये तो बताओ कि सरकार के पास इसके लिए पैसा है क्या? क्या तुमने सुना है कि इस पर जानकार क्या कह रहे हैं? एक ने कहा कि यह तमाशा है.
सरकार अभी तक रबी फसलों पर भी किसानों को लागत के ऊपर 50 पर्सेंट का मार्जिन नहीं दे पाई है. दूसरे ने कहा, ‘आज तक किसी भी फसल के एमएसपी में 1.5 गुना की बढ़ोतरी नहीं हुई है.’ इससे भी बुरी बात तो यह है कि सिर्फ 6 पर्सेंट अनाज को एमएसपी पर खरीदा जाता है. इसलिए अगर यह कदम सफल हो भी जाता है तो इससे बहुत फायदा नहीं होगा. यह भी फ्लॉप स्कीम है. एडिटोरियल स्टाफ के बीच कानाफूसी और तेज हो गई. मिस्टर पी को दूसरी बाजी भी जीतने की संभावना दिखने लगी थी.
मिस्टर पी ( इससे उत्साहित होकर): अब इसके मुकाबले अजमेर और अलवर को देखो. 2014 में इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के बड़े नेताओं को बीजेपी के उम्मीदवारों ने भारी अंतर से हराया था. अजमेर सीट पर सचिन पायलट 1.72 लाख वोटों के अंतर से और भंवर जीतेंद्र सिंह अलवर में 2.84 लाख वोटों के अंतर से हारे थे. सिर्फ चार साल में बाजी कैसे पलटी है, इसे देखो. बीजेपी ने अजमेर सीट 84 हजार और अलवर की सीट 1.96 लाख वोटों के अंतर से गंवाई है. क्या इसके बाद मुझे कुछ और कहने की जरूरत है...
मिस्टर बी (मायूस हो गए थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी थी): इक्विटी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स में कटौती, नए कर्मचारियों के लिए कुछ साल तक सरकार की तरफ से प्रॉविडेंट फंड में कंट्रीब्यूशन, डिफेंस बजट में कटौती नहीं और कस्टम ड्यूटी में बढ़ोतरी जैसे कदम बजट में उठाए गए हैं.
मिस्टर पी (बीच में ही रोकते हुए): 50 चीजों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई गई है, जिससे पीक ड्यूटी 20 पर्सेंट के करीब पहुंच गई है. कुछ ही दिनों पहले डावोस में प्रधानमंत्री ने संरक्षणवाद पर हमला बोला था. क्या यह उससे मेल खाता है? पिछले 25 साल में यह सबसे संरक्षणवादी सरकार है. दूसरी तरफ, हम अंतरराष्ट्रीय मंच पर ग्लोबलाइजेशन की वकालत कर रहे हैं. कभी सोचा है, इससे हमारी साख का क्या होगा? और क्या तुम जानते हो कि पिछले एक साल में कच्चे तेल के दाम में 50 पर्सेंट की बढ़ोतरी के बाद भी सब्सिडी एलोकेशन नहीं बढ़ाया गया है. क्या ऐसे हिसाब-किताब रखा जाता है. मैं बजट की ऐसी कई खामियों के बारे में बता सकता हूं, लेकिन मैं ऐसा करना नहीं चाहता. मैं सिर्फ पेज वन पर कुछ कॉलम सेंटीमीटर स्पेस चाहता हूं.
मिस्टर पी (नरम आवाज के साथ विजयी मुद्रा में): क्या तुमने कुछ चुनावी सर्वे देखे हैं? अगर 20 पर्सेंट का नेगेटिव स्विंग बना रहा तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राजस्थान की 200 सीटों में से 140 सीटों पर जीत मिलेगी. अभी बीजेपी के पास इनमें से 163 सीटें हैं. यह किसी राजनीतिक जलजले से कम नहीं होगा. मिस्टर बी हथियार डालने को तैयार थे, लेकिन इससे पहले कि वह कहते कि पेज वन में दायीं तरफ टॉप की जगह राजस्थान की खबर के लिए छोड़ देंगे, स्पोर्ट्स एडिटर मिस्टर एस न्यूजरूम में दौड़ते हुए पहुंचे.
मिस्टर एसः विराट कोहली ने शतक जमा दिया है और डरबन में भारत अभी तक का पहला वनडे मैच जीतने जा रहा है. मुझे पेज वन पर 25 पर्सेंट जगह चाहिए. मैं इस खबर के साथ पिक्चर्स, ग्राफिक्स और अनुष्का के ट्वीट्स लेना चाहता हूं...
मिस्टर पी, मिस्टर बी और मिस्टर एस में से किसी के मन में यह भ्रम नहीं रह गया था कि कल सुबह की सबसे बड़ी हेडलाइन क्या होगी? और इस तरह से न्यूजरूम का ‘विराट स्टैंड-ऑफ’ खत्म हुआ.
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Published: 02 Feb 2018,07:16 PM IST