1 फरवरी को बजट का दिन सरकार के लिए सायरन की आवाज वाला दिन रहा. इस दिन बजट के साथ-साथ राजस्थान और पश्चिम बंगाल उपचुनाव के नतीजे आए, जो सायरन के सामने साइकिल की छोटी-सी बजती हुई घंटी जैसी है. बजट के कारण उपचुनाव की खबर लोगों के सामने कम उभर कर आई.
दोनों राज्यों में उपचुनाव नतीजे बीजेपी के लिए खतरे की घंटी की तरह हैं.
राजस्थान में बीजेपी की करारी हार
राजस्थान की मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया और इसे बीजेपी से छीन लिया. कांग्रेस ने राज्य की अजमेर और अलवर लोकसभा सीट पर अच्छे मार्जिन से जीत हासिल की है.
मांडलगढ़ में कांग्रेस का एक बागी उम्मीदवार था, उसके बावजूद जीत हासिल की. 2019 की तैयारी के लिए राजस्थान को एक दिशासूचक यंत्र की तरह देखा जा रहा है. लोकसभा चुनाव में यहां से मोदी मैजिक बेअसर लग रहा है.
ऐसा माना जा रहा था कि अजमेर में बीजेपी को सहानुभूति के कारण सीट मिलेगी, क्योंकि यहां लोकसभा के सीटिंग एमपी सांवरलाल के निधन के बाद उनके बेटे को बीजेपी ने टिकट दिया था.
वहीं अलवर में पहलू खान की हत्या के बाद बीजेपी ने हाईप्रोफाइल उम्मीदवार मैदान पर उतारे थे.
राजस्थान में अलार्म की घंटी बज उठी है. हालांकि बीजेपी किसी भी चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ती है, पूरा जी-जान लगा देती है. मांडलगढ़ सीट पर कांग्रेसी नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट प्रचार के लिए नहीं गए थे.
पश्चिम बंगाल के नतीजे उम्मीद के मुताबिक
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने नोआपाड़ा और उलुबेरिया लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की. लोकसभा और विधानसभा, दोनों सीटें TMC के खाते में गई हैं. यहां उम्मीद के मुताबिक नतीजे रहे हैं.
दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी है और कांग्रेस पिछड़कर चौथे स्थान पर रही. नोआपाड़ा में कांग्रेस विधायक मधुसूदन घोष के निधन के कारण उपचुनाव हुआ था. यहां तृणमूल के सुनील सिंह ने बीजेपी के संदीप बनर्जी को 63,000 से ज्यादा वोटों से मात दी.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की उम्मीदवार गार्गी चटर्जी तीसरे स्थान पर रहीं. कांग्रेस चौथे स्थान पर रही और उसकी जमानत जब्त हो गई.
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