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एग्जिट पोल में 'तीसरी बार मोदी सरकार' की भविष्यवाणी, लेकिन 4 जून का करें इंतजार

Exit Poll की भविष्यवाणी अगर सही साबित होती है तो बीजेपी की जीत का श्रेय तीन M फैक्टर को दिया जा सकता है: मोदी, मंदिर और महिला.

अमिताभ तिवारी
नजरिया
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<div class="paragraphs"><p>एग्जिट पोल में 'तीसरी बार मोदी सरकार' का अनुमान, लेकिन 4 जून का करें इंतजार </p></div>
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एग्जिट पोल में 'तीसरी बार मोदी सरकार' का अनुमान, लेकिन 4 जून का करें इंतजार

फोटो- (विभूषित सिंह/द क्विंट)

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एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आ गए हैं और जो नतीजे आए हैं वह हैरान नहीं करते.

एग्जिट पोल (Exit Poll) के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी करेगी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर तीसरी बार शपथ लेंगे. वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) 350 से अधिक सीटें हासिल करेगी.

बता दें कि एग्जिट पोल के आंकड़े असल परिणाम नहीं हैं. चुनाव के असल परिणाम के लिए 4 जून को इंतजार करें. एग्जिट पोल बस एक जरिया है जो चुनाव परिणाम को जानने के हमारे कौतुहल को शांत करता है.

एग्जिट पोल चुनावी नतीजों और रुझानों का बेहतर मापदंड हैं, क्योंकि यह मतदान देकर लौटे वोटरों से उनका मत पूछ कर तैयार किया गया आंकड़ा है. हालांकि, सीटों की सटीक भविष्यवाणी करने के मामले में ज्यादातक पोलस्टर्स का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं है, लेकिन वह रुझान की दिशा का बहुत अच्छी तरह से अनुमान लगाने में सही साबित होते हैं. 2004 से, जब से सभी एग्जिट पोल सही साबित हुए, तब से सटीकता में सुधार हो रहा है.

डेढ़ महीने की अवधि में चुनावी नतीजों को लेकर सुगबुगाहट एकतरफा से “कांटे की टक्कर ” में बदल गया. ऐसा लग रहा था कि सोशल मीडिया पर INDIA ब्लॉक ने चुनाव जीत लिया है. नजदीक मुकाबलों के आंकलन ने बाजार के महौल में भी बेचैनी का छौंका लगा दिया था. हालांकि एग्जिट पोल से ठीक उलट संकेत मिल रहे हैं.

यदि सर्वे सही साबित होते हैं, तो बीजेपी की जीत का श्रेय तीन M/म फैक्टर को दिया जा सकता है: मोदी, मंदिर और महिला.

इस चुनाव में सभी ने पीएम मोदी के परफॉर्मेंस पर बीजेपी को वोट दिया है. 2019 लोकसभा चुनाव में 37 प्रतिशत मतदाताओं के लिए प्रधानमंत्री का चेहरा वोट देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू था. चूंकि INDIA ब्लॉक ने किसी भी प्रधानमंत्री पद के चेहरे को आगे नहीं बढ़ाया, इसलिए बीजेपी को इस पीच पर अकेले खेलने का मौका मिल गया.

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NDA ने मुकाबले को स्थानीय बनाने की कोशिश की और कुछ राज्यों में सफल भी हुए. 2019 में मोदी के नाम पर तीन में से एक मतदाता ने बीजेपी पार्टी का समर्थन किया और अगर इस बार के आंकड़े सही साबित होते हैं तो यह संख्या और भी मजबूत होती दिख रही है. जहां उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में पीएम मोदी की लोकप्रियता चरम पर है, वहीं दक्षिणी और पूर्वी राज्यों में उनकी लोकप्रियता बढ़ी है.

इसका मतलब है कि मंदिर का असर सिर्फ हिंदी पट्टी और सबसे महत्वपूर्ण राज्य, उत्तर प्रदेश में ही नहीं हुआ है, जहां पोल के अनुसार बीजेपी को सीटें मिल रही हैं, बल्कि अन्य क्षेत्रों पर भी हुआ है. बीजेपी के सबसे बड़े वादे के साकार होने से उसके मूल (कोर) समर्थकों और मतदाताओं में जोश भर गया है.

दक्षिण से उत्तर की ओर पीएम मोदी की यात्रा, भगवान राम के जीवन के बिंदुओं को छूते हुए, उत्तर-दक्षिण के बीच की खाई को पाटने में कारगर साबित होती दिख रही है. पोल ऑफ पोल्स से पता चलता है कि दक्षिण भारत में भी बीजेपी कांग्रेस से आगे चल रही है, केरल और तमिलनाडु में भी उसका खाता खुल सकता है. इस मुद्दे का वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, ऐसा इसलिए भी क्योंकि आम तौर पर 60 वर्ष की आयु के बाद लोग अधिक धार्मिक हो जाते हैं.

महिला वोटर चुनाव दर चुनाव किंगमेकर के रूप में उभरी है. माना जाता है कि जागरूकता और साक्षरता के स्तर में वृद्धि के कारण उनके वोट जाति और वर्ग की सीमाओं से परे हैं. उनके पास पुरुषों की तुलना में अलग-अलग मुद्दे हैं, जैसे हिंदी पट्टी में कानून और व्यवस्था. महिलाओं के लिए पीएम मोदी की विशेष रूप से लक्षित/टारगेटेड योजनाएं, जैसे आवास योजना, उज्ज्वला योजना, शौचालयों का निर्माण, बैंक खाते, मुद्रा ऋण, आदि ने महिला मतदाताओं का रास्ता बीजेपी की ओर मोड़ दिया है.

2024 के जनादेश में मुख्य प्रश्न: किस राज्य में कांग्रेस बीजेपी को आसानी से हरा रही है, और किस राज्य में INDIA ब्लॉक 2019 के रिजल्ट से आगे बढ़कर एनडीए को हरा रहा है? एग्जिट पोल्स के अनुसार ऐसा कोई राज्य नहीं है. कांग्रेस हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी पीछे चल रही है, जहां उसे सबसे ज्यादा उम्मीदें थीं. NDTV के सर्वे से पता चलता है कि यहां तक कि महाराष्ट्र में भी NDA आगे चल रही है.


हालांकि, एग्जिट पोल का सेवन हमेशा चुटकी भर नमक जितना ही करना चाहिए. टीवी चैनलों पर हो रहे इस चुनावी तमाशा का आनंद लें. जो पर्दे के पीछे हैं वह भी यही कर रहे हैं.

(अमिताभ तिवारी एक स्वतंत्र राजनीतिक टिप्पणीकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @politicalbaaba है. यह एक ओपिनियन पीस है और ऊपर व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी का सहमत होना आवश्यक नहीं है.)

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