advertisement
वीडियो एडिटर: पूर्णेंदू प्रीतम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे टर्म यानी मोदी 2.0 के पहले साल में हमेशा की तरह स्क्रिप्ट पर उनका पूरा नियंत्रण था लेकिन इसी साल स्क्रिप्ट में एक नया किरदार आ गया वो भी बिना उनकी परमिशन के. वो है कोरोना वायरस. मोदी अपनी Audacity यानी बड़े और साहसी रिस्क लेने के लिए जाने जाते हैं. कोरोना वायरस से भी लड़ाई में यही दिखलाई पड़ रहा है कि ये लड़ाई भी उनकी शैली में लड़ी जाएगी. दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन, लेकिन उसके पहले ताली-थाली.
पीएम मोदी कल्पना से परे ये काम और ये करिश्मे कैसे करते हैं. नरेंद्र मोदी को आप खतरों के खिलाड़ी कह सकते हैं. दरअसल, प्रधानमंत्री के रूप में पिछले छह सालों में उन्होंने कई ऐसे काम किए जो आमतौर पर पॉलिटिशियन करने के पहले दस बार सोचता है. उनमें बड़ा राजनीतिक जोखिम उठाने की अपार क्षमता है. ऐसा वो क्या करते हैं, कैसे करते हैं और क्यों करते हैं? आइए तलाशते हैं इन सवालों के जवाब.
2019 में वो जब नरेंद्र मोदी दोबारा जीत कर आए तो लोगों को ये लगता था कि दूसरे कार्यकाल में वो थोड़ा आराम से, थोड़ा इत्मिनान से चलेंगे, लेकिन दोबारा सत्ता में आते ही हमने देखा कि उन्होंने नोटबंदी से भी बड़ा गेम खेल दिया - अगस्त 2019 में उन्होंने कश्मीर की ऑटोनोमी को खत्म कर दिया. एक स्पेशल राज्य तो छोड़िए उसे एक केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया. उसको एक अंतहीन लॉकडाउन में बंद करके वहां के सभी विरोधी नेताओं को बंदी भी बना दिया.
पाकिस्तान के संदर्भ में यहां ऑडैशियस मोदी के दो रूप देखिए. अचानक लाहौर जाकर नवाज शरीफ से मिलने वाले एक मोदी और आतंकी वारदातों का जवाब देने वाले, सर्जिकल स्ट्राइक करने और फिर बालाकोट पर एयर स्ट्राइक करने वाले दूसरे मोदी.
BJP के बारे में एक धारणा थी कि वो सत्ता में आने के पहले तक धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति करती है, लेकिन सत्ता में आने के बाद वो सेक्युलर या कहिए मध्यमार्गी पार्टी बन जाती है. नरेंद्र मोदी ने इस धारणा को भी पलटकर रख दिया और ध्रुवीकरण की महा-फैक्ट्री से मुस्लिम महिलाओं के तुरंत तलाक वाला कानून और फिर नागरिकता कानून में बदलाव जैसे प्रोडक्ट निकल कर बाहर आए.
धर्म के आधार पर नागरिकता देने का ये तरीका हमारे संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. देश में CAA-NRC के खिलाफ बड़ा विरोध-प्रदर्शन खड़ा हुआ. बवाल बढ़ा तो मोदी ने कह दिया NRC पर अभी कोई बात ही नहीं हुई. थोड़े बहुत सवाल उठे लेकिन मोदी सरकार ने इसको भी हजम कर ही लिया.
सार्वजनिक जीवन का कोई भी विषय हो, उसको “ऑल अबाउट मोदी” बना देना नरेंद्र मोदी की एक बड़ी खासियत है. अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी 'मोदीमय' कर देने में तो वो 2014 के शपथ ग्रहण समारोह से ही लग गए थे, जब सार्क देशों के नेताओं को बुलाया गया था. लेकिन 2019 में ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' और उसके बाद अहमदाबाद में 'नमस्ते ट्रंप', इन दो कार्यक्रमों को मोदी ने अप्रत्याशित स्तर का इवेंट बना डाला, जो खुद को ग्लोबल लीडर बनाने के उनके अगले प्रोजेक्ट का हिस्सा था.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का भारत आना और मोदी की मर्जी के मुताबिक क्यूरेट किए गए कार्यक्रम में परफॉर्म करना कोई साधारण बात नहीं थी.
हालांकि इसकी आर्थिक कीमत बहुत बड़ी है. इतनी बड़ी कि आर्थिक बर्बादी का हम हिसाब भी नहीं लगा सकते. 4 घंटे के अल्टीमेटम पर लगाए गए संपूर्ण लॉकडाउन से गरीबों-प्रवासी मजदूरों का क्या हश्र हुआ, ये पूरे देश ने देखा. ऐसा नहीं है कि मोदी को ये पता नहीं होगा कि करोड़ों दिहाड़ी मजदूरों पर लॉकडाउन से क्या बीतेगी, लेकिन उन्होंने खतरा उठाया और अब देखिए कि टीवी के परदों पर रोते मजदूरों को कई दिन तक देखने के बाद भी मोदी समर्थक टस से मस नहीं हो रहे. ये मोदी ही कर सकते हैं.
तो मोदीजी इतने ऑडैशियस क्यों हैं और उनका हर काम चौंका देने वाला क्यों होता है. दरअसल मोदी जी पॉलिटिक्स में कोई रूटीन कहानी लिखने नहीं आए हैं. उनके तौर तरीकों का बारीकी से अध्ययन किया जाए तो ये साफ हो जाता है कि इतिहास उन्हें कैसे याद करे, ये पहले से सोचकर, उसका एक-एक पैराग्राफ और एक एक पन्ना लिखते हैं.
ऐसे दर्जनों प्रसंग याद किए जा सकते हैं जिसका बड़ा विरोध हो सकता था लेकिन ये मुद्दे टिक नहीं पाते. दो उदाहरण देखें -
मोदी जी ये सब कैसे कर लेते हैं इसमें राजनीतिक संदर्भ तो एक बात है, जहां कमजोर विपक्ष, मीडिया और संस्थाएं उन्हें ये सब करने देती हैं. लेकिन एक दूसरा फैक्टर भी है. उन्होंने अपनी राजनीति को एक ऐसा मैनेजमेंट साइंस बना लिया है, एक ऐसा बड़ा ऑपरेशन खड़ा कर दिया है जो भारत के विपक्षी नेताओं की समझ के बाहर है. उनके पास डेटा और फीडबैक का एक रहस्यमय संसार है.
युद्ध के मैदान में अगर किसी कमांडर के पास जीत का तगड़ा ट्रैक रिकॉर्ड हो और हाथ में इतना कंट्रोल हो, तो मुझे इस बात पर कोई शक नहीं कि कोरोना काल के बाद जब तक हम नई दुनिया को समझने की कोशिश ही कर रहे होंगे, तब तक हम देखेंगे कि खतरों का ये खिलाड़ी किसी नई स्क्रिप्ट के साथ लोगों को रोमांचित करने में जुटा होगा.
इस थीम पर नजर रखिएगा. मोदी जी ने आपके और हमारे लिए होमवर्क दे दिया है- राष्ट्रवादी आत्मनिर्भरता में हम नागरिकों का कर्तव्य!
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 25 May 2020,06:48 PM IST