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Israel's Attack on Rafah: गाजा के रफा शहर में रविवार, 26 मई की रात एक टेंट शिविर पर इजरायली हवाई हमले में 45 लोगों की मौत हो गई, जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी नाराजगी है. कई देशों के नेताओं ने इजरायल से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) के बीते शुक्रवार के क्षेत्र में हमले रोकने के आदेश पर अमल करने की मांग की है.
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने कहा कि मौतें एक “दुखद गलती” थी और उन्होंने जांच का वादा किया है. इजरायल ने दावा किया कि हमले में हमास के दो नेता मारे गए. इजरायल इस बात पर जोर देता है कि रफा में तीन हफ्ते पहले शुरू किए गए इसके हमले का मकसद हमास की बची हुई बटालियनों का खात्मा करना है, और यह नागरिक नुकसान को रोकने के लिए पूरी सावधानी बरत रहा है.
इजरायल ने अब तक इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के आदेशों को नजरअंदाज किया है, जिसने सैन्य अभियानों को रोकने की मांग की है “जिससे रफा में फिलिस्तीनी आबादी का पूर्ण या आंशिक खात्मा हो सकता है” . ICJ ने गाजा में मानवीय मदद पहुंचाने के लिए रफा क्रॉसिंग को फिर से खोलने का भी आदेश दिया.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों फिर ने दोहराया कि वह इजरायली हमले से “गुस्से” में हैं, और यूरोपीय संघ के फॉरेन पॉलिसी चीफ जोसेफ बोरेल ने भी हमले की निंदा की. इस हमले की तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने भी निंदा की है. जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून दूसरों के साथ “इजरायल के युद्ध व्यवहार पर भी” लागू होता है. इटली के रक्षा मंत्री ने कहा कि गाजा में फिलिस्तीनी नागरिकों पर हमलों को “अब और सही नहीं ठहराया जा सकता.” नॉर्वे, आयरलैंड, स्पेन, इजिप्ट, सऊदी अरब और जॉर्डन ने भी इसी तरह की टिप्पणियां कीं.
ICJ का फैसला इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) के उस बयान के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें उसने कहा था कि उसके प्रोसीक्यूटर हमास के तीन नेताओं के साथ ही नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योव गैलेंट पर गाजा में 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमलों और इसके नतीजे में किए गए इजरायली हमलों से जुड़े युद्ध अपराधों का मुकदमा चलाने की मांग करेंगे.
मंगलवार को नॉर्वे, स्पेन और आयरलैंड ने कहा कि वे एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देंगे. यह कदम सिर्फ प्रतीकात्मक होते हुए भी इजरायल के लिए बेहद नुकसानदायक था.
ICJ का निर्देश फिलिस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए विश्व संस्था की ओर से जारी किया गया नवीनतम अंतरिम आदेश है. ICJ दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका की तरफ से दायर मामले की सुनवाई कर रहा है, जिसमें इजरायल पर जनसंहार का आरोप लगाया गया है. हालांकि विश्व न्यायालय के आदेश बाध्यकारी हैं, लेकिन उसके पास उन्हें लागू कराने का कोई जरिया नहीं है. इन्हें UN सुरक्षा परिषद द्वारा आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन अमेरिका निश्चित रूप से उस पर वीटो लगा देगा.
1948 के जनसंहार समझौते (Genocide Convention) के पक्षकारों के तौर पर इजरायल और दक्षिण अफ्रीका इसे लागू कराने के बारे में ICJ में मुकदमा दायर कर सकते हैं. अदालत के पास एक खास आबादी को तबाह करने या खत्म करने के मकसद से की जाने वाली कार्रवाइयों के मामलों पर अधिकार क्षेत्र है, लेकिन सैन्य कार्रवाइयों पर नहीं, यहां तक कि उन कार्रवाइयों पर भी नहीं जिन पर युद्ध अपराध के आरोप लगते हैं.
विडंबना यह है कि इजरायल का जन्म भी संयुक्त राष्ट्र से हुआ था, जिसने 29 नवंबर 1947 को महासभा में मतदान के आधार पर फिलिस्तीन को स्वतंत्र अरब और यहूदी राज्यों में विभाजित किया था. इजरायल ने तब से लगातार अपनी सीमाओं का विस्तार किया है. इसके जन्म का आधार किसी दैवी कृपा से तय नहीं हुआ है.
समस्या यह तय करना है कि जनसंहार में क्या शामिल है. इजरायल ने गाजा में सभी खाद्य सामग्री और ईंधन सप्लाई के आने को बड़े पैमाने पर रोक दिया है, और इसके कुछ हिस्से भुखमरी की हालत में पहुंच गए हैं. इस बीच, इजरायल ने दूसरे रास्ते खोलने से मना कर दिया है, और यहूदी चरमपंथियों द्वारा बेबस फिलिस्तीनियों के लिए आने वाली सहायता को रोक और बर्बाद कर गाजा को आने वाली मदद में भी रुकावट डाली जा रही है.
हमास के खात्मे की कोशिश के मामले में इजरायल निश्चित रूप से खुद को सही ठहरा सकता है. मगर युद्ध के मानवीय कानूनों के तहत वह नागरिकों को निशाना नहीं बना सकता है और उसे अनुपात से बहुत ज्यादा ताकत के इस्तेमाल से बचना चाहिए. लेकिन गाजा के प्रति इजरायल का नजरिया नागरिक जीवन की परवाह किए बिना भारी ताकत के इस्तेमाल का रहा है, और हकीकत में इसने उसके बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है, जिससे यह रहने लायक नहीं बचा है.
इजरायलियों का कहना है कि रफा में कम क्षमता के बमों का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन इससे मौतों की गिनती का अनुपात 2:45 रहा, जिसका मतलब है कि हमास के दो नेताओं के साथ 45 नागरिक मारे गए. नागरिक मौतों की परवाह किए बिना सैन्य कार्रवाई निश्चित रूप से जनसंहार के दायरे में आती है, और निश्चित रूप से युद्ध अपराध है.
इस बीच लड़ाई जारी है. ICJ के आदेश में उन सैन्य अभियानों का नाम नहीं लिया गया है, बल्कि कहा गया है कि उसके अभियान जो जनसंहार की गतिविधियों की तरफ ले जाते हैं, उन्हें इजरायल को रोकने की जरूरत है. इस बीच पूरे गाजा में हमले जारी हैं, सोमवार को इजरायलियों ने 75 ठिकानों पर हमले किए और दूसरी जगहों पर 145 नागरिक मारे गए. रविवार को, हमास ने इजरायल की ओर आठ या दस रॉकेट लॉन्च करने के लिए रफा क्षेत्र का भी इस्तेमाल किया था, जो महीनों में पहला हमला था.
(लेखक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के प्रतिष्ठित फेलो हैं. यह एक ओपिनियन पीस है और यह लेखक के अपने विचार हैं. क्विंट हिंदी का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है.)
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