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Israel-Hamas War: गाजा में इजरायल का सैन्य अभियान चाकू की नोक पर खड़ा है.
एक तरफ तो इजरायल प्रधान मंत्री नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इजरायली रक्षा बल (IDF) गाजा के आखिरी छोर पर स्थिति रफा पर हमला करेगा. गाजा के उत्तर में इजरायल के सैन्य हमले के बाद विस्थापित हुए दस लाख से अधिक लोग रफा में रह रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने मार्च की शुरुआत में चेतावनी दी थी कि अगर इजरायल रफा पर हमला करता है तो वो उस लाल रेखा को पार कर जाएगा जिसे अमेरिका ने खींचा है.
लेकिन नेतन्याहू इस बात पर जोर दे रहे हैं कि रफा में हमास सेना के आखिरी निशान तक को खत्म किए बिना वो उद्देश्य पूरे नहीं होंगे जो इजरायल पूरे करना चाहता है.
पिछले हफ्ते, गाजा के अंदर इजरायली हमले में वर्ल्ड सेंट्रल किचन के 7 सहायता कर्मियों की मौत हुई. इसके मद्देनजर, राष्ट्रपति बाइडेन ने नेतन्याहू को फिर से चेतावनी दी थी कि अमेरिकी नीति इजरायल के उन "ठोस" और "मापने योग्य" कदमों से निर्धारित होगी जो वह गाजा में नागरिकों की मौत के मुद्दे पर उठाएगा.
इस बीच, इजरायली सेना यानी IDF ने दावा किया है कि उसने छह महीने की लड़ाई में हमास की सैन्य क्षमताओं को नष्ट कर दिया है और "जीत इजरायल की पहुंच में है." इजरायली सेना ने फिलहाल गाजा में अपनी कार्रवाई कमोबेश खत्म कर दी है और अपनी सेना को कम करके लगभग तीन ब्रिगेड तक कर दिया है, जबकि पहले उसने यहां अपने तीन डिवीजनों को तैनात किया था.
इजरायली सेना खान यूनुस से भी बाहर निकल आई है. यह एक अन्य ऐसा दक्षिणी शहर है जिसे लगभग पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है. इजरायल की इस कार्रवाई के बाद हमास ने इजराइल पर रॉकेट बरसाए हैं जिससे संकेत मिलता है कि युद्ध अभी समाप्त होने की संभावना नहीं है. वजह है कि हमास के बाद अभी भी लगभग चार बटालियनों सहित महत्वपूर्ण सैन्य क्षमता बरकरार है. अब यह मुख्य रूप से रफा में केंद्रित है.
इजरायल और उसके प्रधान मंत्री, दोनों इस समय एक कठिन मोड़ पर हैं. हालांकि उनके दृष्टिकोण हर बार आपस में मेल नहीं खाते हैं.
अभी इजरायल की चुनौती अपने प्राथमिक उद्देश्य को पाना है- यानी हमास की सैन्य क्षमता को पूरी तरह से खत्म करना और यह सुनिश्चित करना कि वह आगे कभी भी फिर से जिन्दा न हो. ऐसा करना यह पहले से ही मुश्किल साबित हो रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और खुद इजरायल के संरक्षक, अमेरिका की यह स्पष्ट मांग है कि रफा में इजरायल का जो भी सैन्य अभियान हो उसमें कम से कम नागरिकों की मौत हो. सवाल है कि जब इस क्षेत्र में दसों लाख से अधिक शरणार्थी जमा हैं तो यहां इजरायल की सेना किस प्रकार का अभियान चला सकती है?
गाजा पर अपने हमले की शुरुआत में इजरायल ने सभी को निशाना बनाओ वाली रणनीति अपनाई. इसमें 30,000 से अधिक लोग मारे गए. गाजा के उत्तरी आधे हिस्से को नष्ट कर दिया गया और अब वो रहने लायक नहीं है. इस वजह से गाजा के दक्षिण में शरणार्थियों की भीड़ जमा हो गई है. अगर इजरायल अपनी सभी को निशाना बनाओ वाली रणनीति नहीं बदलता है तो यहां एक और सैन्य अभियान चलाने से हजारों और लोग मारे जाएंगे.
फिर इसके बाद हमास में पास बंधक बने 130 इजरायली नागरिकों को वापस लाने का मुद्दा भी है. पिछले कुछ महीनों से, अस्थायी युद्धविराम के बदले में उनकी रिहाई के लिए एक समझौते पर काम चल रही है. इसके लिए कतर, अमेरिका और मिस्र के अधिकारियों की उपस्थिति में इजरायल और हमास के बीच बातचीत हो रही है.
हमास के लिए, ये असहाय बंधक उस गड्ढे से निकलने का रास्ता हैं जिसे उसने खुद खोदा है. सूत्रों के मुताबिक समझौते की बातचीत में भले ही कुछ प्रगति हुई है, लेकिन फिलिस्तीनी शरणार्थियों को उत्तरी गाजा में घर लौटने की अनुमति देने की हमास की मांग को लेकर चीजें रुकी हुई हैं. हमास एक ऐसे समझौते की भी मांग कर रहा है जिससे इजरायल के साथ अंततः स्थायी युद्धविराम हो.
नेतन्याहू के लिए, हमास के साथ जंग को लम्बा खींचना या इसे अनिश्चित काल के लिए अधर में छोड़ना उनके खुद के राजनीतिक अस्तित्व को बनाए रखने का एक साधन है. उन्हें अपनी सरकार बनाए रखने के लिए इजरायल के अति-दक्षिणपंथी सांसदों के 13-मजबूत समूह के निरंतर समर्थन की आवश्यकता है. नेतन्याहू के इस्तीफे की मांग को लेकर देश के अंदर आंदोलन बढ़ गया है और उनके युद्ध मंत्रिमंडल में दरारें दिखाई दे रही हैं. नेशनल यूनिटी पार्टी के वरिष्ठ विपक्षी नेता बेनी गैंट्ज ने सितंबर तक चुनाव की मांग की है.
फिलहाल, नेतन्याहू इस बात पर जोर दे रहे हैं, जैसा कि उन्होंने पिछले सोमवार को किया था, कि रफा पर आक्रमण होगा. उनका तर्क है कि हमास पर पूरी जीत की गारंटी तभी मिलेगी जब उसके बाकि बचे चार बटालियनों को खत्म कर दिया जाएगा. उन्होंने जोर देकर कहा, ''ऐसा होगा, उसके लिए एक तारीख है.''
इन सभी मोर्चों पर बात करते समय हम इजरायल की उस बड़ी चुनौती का जिक्र नहीं कर रहे हैं कि हमास को सैन्य रूप से खत्म करने के बाद गाजा के साथ क्या करना है. इस स्थान को कौन चलाएगा? वहां कानून व्यवस्था की गारंटी कौन लेगा?
इजरायल और अमेरिका अब इस काम के लिए संयुक्त राष्ट्र पर भरोसा नहीं करते. उन्हें लगता है कि वे इस काम को करने के लिए मिस्रवासियों या फिलिस्तीनी प्राधिकरण (Palestinian Authority) को बुला सकते हैं. लेकिन मौजूदा हालातों में यह एक कल्पना ही लगती है.
इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि इजरायल ने गाजा में जो भारी विनाश किया है, वह पीढ़ियों की कड़वाहट छोड़ देगा. जब तक कि अधिक कल्पनाशील और सहानुभूति की नींव पर रखी नीतियां नहीं बनाई जातीं, यह कड़वाहट भविष्य में इजरायली असुरक्षा को बढ़ावा देती रहेगी.
(लेखक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के प्रतिष्ठित फेलो हैं. यह एक ओपिनियन पीस है और ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है।)
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